MP News: उज्जैन के पंकज मारू की पहल का असर, 7 करोड़ दिव्यांगों को मिलेगा सम्मान, ‘मानसिक विकृत’ अब कहलाएंगे ‘बौद्धिक दिव्यांग’
अब मानसिक विकृत को बौद्धिक दिव्यांग के नाम से जाना जाएगा
MP News: मानसिक रूप से दिव्यांग लोगों के लिए रेलवे द्वारा जारी किए जाने वाले रियायती पास पर अब ‘मानसिक विकृत’ की जगह ‘बौद्धिक दिव्यांग’ लिखा होगा. अब से रेलवे की तरफ से जारी किए जाने वाले रियायत प्रमाण पत्र पर दिव्यांगजनों को मानसिक कमजोर नहीं बल्कि बौद्धिक दिव्यांगजन जैसे शब्द नजर आएंगे.
7 करोड़ दिव्यांगों को मिला सम्मान
उज्जैन जिले के नागदा के पंकज मारू की याचिका पर हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की चीफ कमिश्नर की कोर्ट के आदेश पर रेलवे द्वारा निकाले शब्द प्रतिस्थापन के नए सर्कुलर से देश के 7 करोड दिव्यांगजनों को सम्मान मिला है. पंकज मारू ने ऑटिज्म को भी रेलवे द्वारा छूट से वंचित रखने का जिक्र किया. जिस पर न्यायालय ने ऑटिज्म विकृति वालों को दिव्यांगता की श्रेणी में मानते हुए छूट का लाभ देने के आदेश दिए हैं. इससे देश के 20-25 लाख ऑटिज्म विकृति वालों को भी रेलवे से छूट का लाभ मिलेगा.
रेलवे विभाग ने बदला नियम
दरअसल, पंकज मारू की बेटी सोनू को 68 प्रतिशत बौद्धिक दिव्यांगता है. ऐसे में रेलवे की तरफ से वर्ष 2019 में जारी रियायत प्रमाण पत्र में मानसिक विकृति, फिर वर्ष 2024 में जारी दूसरे रियायत प्रमाण पत्र में मानसिक रुप से कमजोर जैसे शब्दों का उपयोग किया. जिस पर मारू ने डीआरएम से रेलवे बोर्ड को पत्राचार करके उनके द्वारा उपयोग किए इस शब्द पर आपत्ति दर्ज कराई, मगर रेलवे ने कोई जवाब नहीं दिया. तब मारू ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुख्य दिव्यांग जन आयुक्त की कोर्ट में वाद लगाते हुए रेलवे द्वारा उपयोग किए इस शब्द को अपमानजनक बताया.
ये भी पढ़ें: भोपाल ड्रग्स जिहाद मामले में बड़ा खुलासा, यासीन राजस्थान से लाता था MD Drugs, पंजाब-मुंबई तक फैला रखा है नेटवर्क
ट्रायल के दौरान मारू ने दिव्यांगजनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की रुलिंग प्रस्तुत की. जिस पर संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने रेलवे को दिव्यांगजनों को अपमानित करने वाले शब्द मानसिक रुप से विकलांग जैसे शब्दों को अनुपुक्त बताते हुए प्रतिस्थापित करने के आदेश दिए. जिसके पालन में रेलवे ने विगत 9 मई को सर्कुलर जारी करते हुए मानसिक रुप से कमजोर व्यक्ति को बौद्धिक दिव्यांगता वाले व्यक्ति के रुप में प्रतिस्थापित किया. विगत 1 जून से नया सर्कुलर लागू भी हो गया है. इसलिए दिव्यांगजनों के अब जो नए रियायत पास बनेंगे, उनमें दिव्यांगजनों को सम्माजनक शब्दों से संबोधित किया जाएगा.