धरी की धरी रह गई ट्रंप की शांति वार्ता! रूसी रॉकेट ने बदली युद्ध की तस्वीर, जानें कंबोडिया-थाईलैंड में ज्यादा ताकतवर कौन?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
Thailand Cambodia War: कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है, लेकिन क्या युद्ध भी? थाईलैंड और कंबोडिया के बीच एक प्राचीन शिव मंदिर को लेकर चल रहा विवाद अब एक बड़े युद्ध में बदल गया है. खुद को दुनिया का सरपंच मानने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही ‘जल्द युद्धविराम’ की बातें कर रहे हों, लेकिन ज़मीन पर हालात बताते हैं कि मामला अभी भी बेहद गरम है. इस लड़ाई में एक बात जो सबको हैरान कर रही है, वो है कमज़ोर माने जाने वाले कंबोडिया का ज़बरदस्त पलटवार.
कंबोडिया कैसे कर रहा मुकाबला?
सैन्य ताक़त के हिसाब से देखें तो थाईलैंड कहीं ज़्यादा शक्तिशाली है. 2025 के ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स में थाईलैंड 24वें स्थान पर है, जबकि कंबोडिया 83वें पर. थाईलैंड के पास F-16 जैसे 40-50 लड़ाकू विमान, SAAB ग्रिपेन जेट और 100 से ज़्यादा हेलिकॉप्टर हैं. उसकी ज़मीन पर भी 200 से ज़्यादा आधुनिक टैंक हैं, और नौसेना के पास तो एक एयरक्राफ्ट कैरियर, पनडुब्बी और 20 युद्धपोत तक हैं. वहीं, कंबोडिया के पास चीनी Mi-8 और Z-9 हेलिकॉप्टर ही हैं, और उसके पास एक भी युद्धपोत नहीं है.
थाईलैंड के पास 3.6 लाख सक्रिय सैनिक हैं, जबकि कंबोडिया के पास सिर्फ़ 1.7 लाख. इन आंकड़ों को देखकर लगता है कि थाईलैंड कंबोडिया को आसानी से कुचल देगा, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा.
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कंबोडिया का ‘गुपचुप हथियार’
कंबोडिया ने इस युद्ध में एक ऐसा हथियार इस्तेमाल किया है, जिसने समीकरण बदल दिए हैं, रूसी BM-21 रॉकेट सिस्टम! कहने को कंबोडिया के पास आधुनिक सैन्य शक्ति नहीं है, लेकिन ये एक रॉकेट सिस्टम ही थाईलैंड को भारी नुक़सान पहुंचा रहा है.
आप सोच रहे होंगे, ऐसा क्या ख़ास है इस रॉकेट में? ये रॉकेट सिस्टम सिर्फ़ 6 सेकंड में 40 रॉकेट दागने की क्षमता रखता है. सोचिए, पलक झपकते ही दुश्मनों के टैंक, आर्टिलरी या सैन्य ठिकानों को बर्बाद किया जा सकता है. इसे एक ट्रक के ज़रिए लॉन्च किया जाता है, और एक बार मिसाइलें दागने के बाद, इसे दोबारा लोड करने में लगभग 10 मिनट लगते हैं.
चौंका रहा है कंबोडिया का पलटवार
जानकार बताते हैं कि इस रॉकेट सिस्टम से दागी गई मिसाइलें 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दुश्मनों पर वार करती हैं. आमतौर पर सीमाई झड़पों में इसका इतना ज़्यादा इस्तेमाल नहीं होता, लेकिन कंबोडिया इसे थाईलैंड के ख़िलाफ़ खुलकर इस्तेमाल कर रहा है. इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि कंबोडिया इस युद्ध को हर हाल में जीतना चाहता है और वो पूरी आक्रामकता से लड़ रहा है.
तो भले ही थाईलैंड सैन्य रूप से ज़्यादा ताक़तवर हो, लेकिन कंबोडिया का ये ‘रॉकेट वाला पलटवार’ सबको चौंका रहा है. देखना होगा कि ये युद्ध कब और कैसे थमेगा, लेकिन एक बात तय है कि कंबोडिया ने अपनी ‘कमज़ोरी’ को ‘ताक़त’ में बदल दिया है.