कांस्टेबल के बेटी को भरण-पोषण नहीं दे सकने वाले मामले HC ने कहा- पिता की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते

CG News: फैमिली कोर्ट अंम्बिकापुर ने इस मामले पर 9 जून 2025 को फैसला सुनाते हुए पत्नी के भरण पोषण के लिए 30,000 रुपये की मांग को अस्वीकार ​कर दिया था.
Bilaspur High Court

बिलासपुर हाई काेर्ट

CG News: छत्तीसगढ़ में बिलासपुर हाई कोर्ट का एक आदेश चर्चा का केंद्र बना हुआ है. याचिकाकर्ता ने परिवार के भरण पोषण पर फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की​ थी. हाई कोर्ट ने दाखिल याचिका को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को वैध बताया और कांस्टेबल साहब को कोर्ट के निर्णय को पालन करने का आदेश दिया है. ​

कांस्टेबल के बेटी को भरण-पोषण देने के मामले HC की सुनवाई

कोण्डागांव जिला पुलिस बल में पदस्थ कांस्टेबल साहब याचिकाकर्ता की पत्नी ने उनपर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने, छोड़ देने और बेटी की देखरेख से मुंह मोड़ने जैसे आरोप लगाए हुए न्यायालय में सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मामला दर्ज कराया था. जिसमें उन्होंने कांस्टेबल साहब से भरण-पोषण की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी. याचिका में उन्होंने भरण-पोषण के लिए 30,000 प्रतिमाह की मांग की थी.

याचिका पर फैमिली कोर्ट का आदेश

फैमिली कोर्ट अंम्बिकापुर ने इस मामले पर 9 जून 2025 को फैसला सुनाते हुए पत्नी के भरण पोषण के लिए 30,000 रुपये की मांग को अस्वीकार ​कर दिया था. वही कोर्ट ने छह साल की बेटी के लिए 5000 रुपये का भरण पोषण के आदेश ​देते हुए कहा कि नाबालिग बच्ची की परवरिश और शिक्षा के लिए यह सहायता आवश्यक है.

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आदेश पर याचक की दलील

फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए कांस्टेबल साहब ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. दाखिल याचिका में या​चक ने कहा कि बच्ची उसकी पुत्री नहीं है और वह स्वयं एचआईवी संक्रमित है, जिसके इलाज में भारी खर्च आता है. उसके लिए भत्ते की राशि देना एक अतिरिक्त आर्थिक बोझ होगा.

कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट के आदेश को वैध बताया. कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि कांस्टेबल अपनी पिता की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता और उसे अपनी बेटी को भरण-पोषण देना होगा.

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