MP में किसान कल्याण के लिए खर्च करने थे 5.5 करोड़, अफसरों ने खरीद ली 4.50 करोड़ की गाड़ियां, CAG रिपोर्ट में खुलासा
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MP News: मध्य प्रदेश विधानसभा में पेश हुई CAG (Comptroller and Auditor General of India) की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. सरकार की ओर से किसानों के लिए जारी हुए फर्टिलाइजर डेवलपमेंट फंड (FDF) में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. फर्टिलाइजर डेवलपमेंट फंड के लिए 5.5 करोड़ रुपए जारी किए थे. इसमें से 4.5 करोड़ की अफसरों ने गाड़ियां खरीद ली. जानें पूरा मामला-
CAG रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
CAG रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. किसानों के कल्याण के लिए बनाए गए फर्टिलाइजर डेवलपमेंट फंड (FDF) का अधिकांश पैसा 2017-18 से 2021-22 के बीच गाड़ियों के पेट्रोल और रखरखाव पर खर्च किया गया. इस फंड का मकसद किसानों को मुश्किल समय में सहायता, प्रशिक्षण और प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) का विकास था, लेकिन कैग रिपोर्ट कुछ और ही कहानी बयां करती हैं.
90% रकम गाड़ियों में खर्च
रिपोर्ट के मुताबिक रजिस्ट्रार, सहकारी संस्थाओं ने 5.31 करोड़ रुपए में से करीब 4.79 करोड़ रुपए (90%) सिर्फ राज्य और जिला स्तर पर गाड़ियों के उपयोग, ड्राइवरों की तनख्वाह और रखरखाव पर खर्च किए. वहीं, किसानों के प्रशिक्षण, प्राकृतिक आपदा में खाद पर छूट या कृषि उपकरण जैसे जरूरी कार्यों पर केवल 5.10 लाख रुपए खर्च हुए. राज्य स्तर पर 2.77 करोड़ रुपए में से 2.25 करोड़ रुपए अकेले 20 गाड़ियों पर खर्च किए गए.
किसानों पर अतिरिक्त बोझ
CAG की रिपोर्ट में खुलासा किया कि मार्कफेड (MP State Cooperative Marketing Federation) ने किसानों को खाद (DAP, MOP) पर मिलने वाली सप्लायर छूट का लाभ नहीं दिया, जिससे किसानों पर 10.50 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा. साथ ही, 2021-22 रबी सीजन में महंगे दाम पर खरीदी गई खाद को सस्ते में बेचने से मार्कफेड को 4.38 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.
वाहनों पर फोकस, अन्य उद्देश्यों की अनदेखी
रिपोर्ट में कहा गया कि फरवरी 2024 में सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव ने दावा किया कि FDF का उद्देश्य खाद वितरण की निगरानी और पर्यवेक्षण है. फंड का उपयोग अधिकारियों को सुविधाएं देने, भंडारण, वितरण और PACS व मार्कफेड के गोदामों के निरीक्षण के लिए किया गया. इसके तहत वाहन खरीदे गए और फंड का उपयोग ‘उद्देश्य के अनुरूप’ हुआ. लेकिन कैग ने इस जवाब को अस्वीकार करते हुए कहा कि फंड का ज्यादातर हिस्सा सिर्फ वाहनों पर खर्च हुआ, जबकि FDF के अन्य प्राथमिक उद्देश्यों को नजरअंदाज किया गया.
खाद की जरूरत का आंकलन नहीं
रिपोर्ट में सबसे गंभीर बात यह है कि राज्य सरकार ने खाद की जरूरत का आंकलन तय फॉर्मूले के आधार पर नहीं किया. न जिला स्तर से जानकारी ली गई, न मिट्टी की स्थिति का विश्लेषण हुआ, न ही फसलवार जरूरत का हिसाब लगाया गया. पिछले साल की खपत के आंकड़ों के आधार पर ही खाद की मात्रा तय की गई.
कैग के अनुसार, सब्जियों और बागवानी फसलों में खाद का उपयोग हुआ, लेकिन 2017-22 के बीच इनके रकबे को आंकलन में शामिल नहीं किया गया. कैग की यह परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट 2017-18 से 2021-22 तक मध्य प्रदेश में खाद प्रबंधन और वितरण की जांच करती है. इस दौरान राज्य में तीन सरकारें रहीं, जिनमें वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में दो बीजेपी सरकारें और कमलनाथ के नेतृत्व में 15 महीने की कांग्रेस सरकार शामिल है.