Bhopal में ANM का धरना प्रदर्शन, प्रदेश भर से इकट्ठा होकर JP अस्पताल पहुंची, आमरण अनशन जारी

आमरण अनशन पर बैठी महिलाओं ने कहा है कि पिछली बार जब आए थे तो उप मुख्यमंत्री ने मौखिक तौर पर आश्वासन दिया था कि 2 दिन के भीतर जॉइनिंग आदेश एक बार फिर से जारी कर दिए जाएंगे.
ANM sat on a dharna outside JP hospital

जेपी अस्पताल के बाहर धरने पर बैठीं ANM

MP News: प्रदेश भर की ANM भोपाल में JP अस्पताल में स्वास्थ्य संचालनालय के बाहर धरने पर बैठी हैं. नौकरी से बाहर निकाले जाने के बाद वापस रखने की मांग को लेकर आमरण अनशन जारी है. रक्षाबंधन से पहले प्रदेश भर की ANM ने डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला के नाम राखी लेकर पहुंची हैं. नौकरी से निकाली गई महिलाओं को बहाली को लेकर पूरी उम्मीद है.

आमरण अनशन पर बैठी ANM की बिगड़ी तबियत

आमरण अनशन पर बैठी महिलाओं ने कहा है कि पिछली बार जब आए थे तो उप मुख्यमंत्री ने मौखिक तौर पर आश्वासन दिया था कि 2 दिन के भीतर जॉइनिंग आदेश एक बार फिर से जारी कर दिए जाएंगे. लेकिन अब तक विभागीय अधिकारियों की मनमानी के चलते नियुक्ति के आदेश तक जारी नहीं किए गए हैं और अब एक बार फिर से नियुक्ति के आदेश को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं.

कोर्ट के आदेश को किया स्वास्थ्य विभाग ने किया दरकिनार

धरने पर बैठी ANM महिलाओं ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. 28 अप्रैल को जबलपुर हाईकोर्ट ने विभाग को निर्देश दिए थे कि जिन ANM के पास 18 माह का डिप्लोमा है, उन्हें नियमित नियुक्ति दी जाए. महिलाओं ने परीक्षा दी थी पास भी हुईं, लेकिन विभाग ने पहले नियुक्ति दी और बाद में उसे निरस्त कर दिया. इसके खिलाफ महिलाओं ने फिर से कोर्ट में सामूहिक याचिका दायर की और कोर्ट ने दोबारा नियुक्ति का आदेश दिया था. महिलाओं का कहना है कि कोर्ट के आदेश को स्वास्थ्य विभाग ने दरकिनार कर अचानक 08 दिन बाद ही नौकरी से बाहर कर दिया.

ग्रुप 05 के तहत निकली थी भर्ती

साल 2022-23 में ग्रुप -05 के तहत संविदा ANM के लिए भर्ती निकाली गई थी. नए नियम में 24 माह का डिप्लोमा जरूरी कर दिया गया था. जबकि पहले 18 माह वाला डिप्लोमा मान्य था. पुराने संविदा कर्मचारियों ने इसे कोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट ने आदेश दिया कि 18 माह डिप्लोमा धारकों को भी परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए. इसके बाद लगभग 400 ANM महिलाओं ने परीक्षा दी और सभी परीक्षा में पास हुए. 124 महिलाओं को नियमित नियुक्ति दी गई. 6 महीने तक सेवा देने के बाद विभाग ने अचानक नियुक्तियां रद्द कर दीं. ANM दोबारा कोर्ट गई और कोर्ट ने ANM के पक्ष में फैसला दिया.

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