पटना से लेकर पूर्णिया और दरभंगा से लेकर गोपालगंज तक…वोटर लिस्ट से 65 लाख नाम गायब, ‘चुनावी सफाई’ की पूरी कहानी!
प्रतीकात्मक तस्वीर
Bihar Voter List 2025: बिहार में 2025 की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट ने सबको चौंका दिया है. चुनाव आयोग ने हाल ही में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत 7.2 करोड़ मतदाताओं वाली लिस्ट से 65.64 लाख लोगों के नाम हटा दिए. जी हां, आपने सही सुना, 65 लाख से ज्यादा नाम! लेकिन आखिर ऐसा क्यों हुआ? कौन हैं ये लोग जिनके नाम लिस्ट से गायब हो गए, और इसके पीछे की कहानी क्या है? चलिए, सबकुछ आसान भाषा में विस्तार से जानते हैं.
पटना में घर-घर जाकर ढूंढे वोटर, लेकिन…
पटना में इस बार बूथ लेवल अधिकारी (BLO) जासूसों की तरह घर-घर गए. 24 जून के बाद उन्होंने फॉर्म बांटे, लेकिन कई घरों में तो वोटर ही नहीं मिले. कुछ लोग शहर के भीतर इधर-उधर खिसक गए थे, तो कुछ बिहार छोड़कर कहीं और बस गए. शहरी इलाकों में ये आम बात है. लोग नौकरी, पढ़ाई या दूसरी वजहों से पलायन कर जाते हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि अकेले पटना जिले में 14 विधानसभा क्षेत्रों से 3.95 लाख वोटरों के नाम हटा दिए गए. यानी, पटना में हर कोने से वोटर गायब थे.
22 लाख मृत, बाकी कहां गए?
इन 65 लाख नामों में से 22 लाख लोग ऐसे थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है. लेकिन बाकी के 43 लाख से ज्यादा लोग? वो तो जिंदा हैं, पर उनकी कहानी थोड़ी पेचीदा है. कुछ लोग शहरों में छोटे-छोटे परिवारों में बंट गए. एक वोटर ने बताया, “हमारे मोहल्ले में कई परिवार अब बंट गए हैं. कोई बताने वाला नहीं कि उनका नाम वोटर लिस्ट से हट गया.” कुछ लोग बिहार से बाहर नौकरी या पढ़ाई के लिए चले गए, और कुछ की शादी-ब्याह के बाद नया ठिकाना बन गया. लेकिन सबसे मजेदार बात? कुछ मृतकों के नाम अभी भी लिस्ट में जिंदा हैं. एक पटना के वोटर ने कहा, “लिस्ट में मेरे पड़ोसी का नाम अब भी है, भले ही वो दो साल पहले गुजर चुके हैं. ”
उत्तरी बिहार में माइग्रेशन का खेल
उत्तरी बिहार की बात करें तो वहां माइग्रेशन की सुनामी आई है. मधुबनी में 3.5 लाख, दरभंगा में 2 लाख से ज्यादा और गोपालगंज में 3.1 लाख वोटरों के नाम कट गए. ये वो लोग हैं जो अस्थायी रूप से अपने इलाके से बाहर गए और शायद उन्हें पता ही नहीं कि उनका नाम वोटर लिस्ट से गायब हो चुका है. अधिकारियों का कहना है कि ये लोग या तो नौकरी के लिए दिल्ली-मुंबई गए या फिर दूसरे राज्यों में बस गए. लेकिन जानकारी के अभाव में उनके नाम लिस्ट से बाहर हो गए.
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सीमांचल में ‘रोटी-बेटी’ का रिश्ता
सीमांचल की कहानी तो और भी दिलचस्प है. भारत-नेपाल सीमा पर बिहार के कई लोग ‘रोटी-बेटी’ के रिश्ते से जुड़े हैं. यानी, बिहार की बेटियां शादी के बाद नेपाल चली गईं, और उनका नाम यहां की वोटर लिस्ट से हट गया. वहीं, कुछ लोग नेपाल, बांग्लादेश या म्यांमार से जुड़े होने के कारण भी लिस्ट से बाहर हुए. चुनाव आयोग के मुताबिक, 13 जुलाई को इस बारे में अधिकारियों ने बताया था कि सीमांचल में ऐसे कई मामले सामने आए.
क्यों जरूरी थी ये सफाई?
अब सवाल ये कि इतने बड़े पैमाने पर नाम क्यों हटाए गए? दरअसल, चुनाव आयोग चाहता है कि वोटर लिस्ट साफ-सुथरी और सटीक हो. मृतकों, गैर-मौजूद या डुप्लिकेट वोटरों के नाम हटाकर लिस्ट को विश्वसनीय बनाया जा रहा है. लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ गलतियां भी हो रही हैं. कई लोग शिकायत कर रहे हैं कि उनके नाम बेवजह कट गए. अब चुनाव आयोग ने दावों और आपत्तियों की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि लोग अपने नाम वापस जुड़वा सकें.
बिहार में ये बदलाव सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने की कोशिश है. लेकिन सवाल ये है कि क्या जिन लोगों के नाम कटे, उन्हें इसकी जानकारी दी गई? और क्या वो अपने नाम वापस जुड़वा पाएंगे? अगर आप बिहार में हैं, तो अपनी वोटर लिस्ट जरूर चेक करें. कहीं ऐसा न हो कि चुनाव के दिन आप पोलिंग बूथ पर जाएं और आपका नाम ही गायब हो.