एमपी के इस गांव की है रहस्यमयी परंपरा, शादी से पहले नहीं काट सकते हैं चोटी, जानें क्या है वजह

MP News: गांव में देवनारायण बाबा नाम के एक सिद्ध संत की गद्दी है. गांव के लोग उन्हीं की कृपा समझ कर बरसों से चली आ रही परंपरा को निभा रहे हैं.
Unique village of MP

इस गांव में बच्‍चे नहीं काटते अपनी चोटी (File Photo)

MP News: भारत देश अपनी संस्कृति, सभ्यता और धार्मिक मान्यताओं के लिए पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है. सीहोर जिले का एक गांव इन्हीं मान्यताओं का अद्भुत उदाहरण है. इस गांव में विवाह तक कोई भी बच्चा अपनी शिखा नहीं काटता है. आइए, जानते हैं कि इसके पीछे क्या वजह है.

धार्मिक मान्यताओं के लिए मशहूर है ये गांव

सीहोर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर स्थित विशनखेड़ा गांव अपनी अनोखी धार्मिक मान्यताओं के लिए मशहूर है. इस गांव के लोग अपने बच्चों को उनकी शिखा नहीं काटने देते हैं. यहां धार्मिक मान्यता है कि जब तक बच्चे की शादी नहीं हो जाती, तब तक वो अपनी ​शिखा (चोटी) नहीं काट सकता, चाहे वो किसी भी समाज का हो. इसलिए आज भी गांव में जितने भी छोटे-बड़े बच्चे हैं, सभी चोटी (शिखा) रखते हैं.

इसलिए करते हैं लोग मान्यता का पालन

गांव में देवनारायण बाबा नाम के एक सिद्ध संत की गद्दी है. गांव के लोग उन्हीं की कृपा समझ कर बरसों से चली आ रही परंपरा को निभा रहे हैं. इसे कृपा कहें या फिर खौफ ये हर एक व्यक्ति की मान्यता का विषय है.  

गांव वालों के अनुसार इस मान्यता का पालन करने वाले बच्चे कभी बीमार नहीं पड़ते है. वहीं उस बालक की आयु भी लंबी हो जाती है. इसलिए कम से कम 21 साल या फिर जब तक शादी नहीं हो जाती. इसके बाद चाहे तो युवक चोटी को रख सकते हैं या फिर नहीं चाहे तो कटवा देते हैं. गांव के लोग सदियों से इस मान्यता का निर्वहन करते हुए आ रहे हैं.

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हर घर में गाय होने पर भी नहीं बेचते दूध

एम एस मेवाड़ा के अनुसार इस गांव के हर एक घर में गाय होने के बावजूद दूध न बे​चने की मान्यता है. 800 लोगों की आबादी वाले इस गांव में हर एक घर में गाय और भैंस का पालन किया जाता है. बावजूद ​इसके गांव के लोग किसी को भी दूध नहीं बेच सकते हैं. एक मान्यता के अनुसार कुछ लोगों ने बीच में ऐसा करने का प्रयास किया था. ऐसा करने वाले व्यक्ति धन की हानि हो गई थी. ऐसा माना जाता है कि दूध बेचने से देव बाबा नाराज हो जाते हैं.

गांव वाले किसी को दूध बेच नहीं सकते ​लेकिन जरूरत होने पर मुफ्त में दे देते हैं. ऐसा करने से उनकी गौरक्षा और गौसेवा का प्रदर्शन और प्रचार होता है. साथ ही साथ इस गांव के लोग न तो शराब पीते हैं ओर न कभी लड़ाई-झगड़ा करते हैं.

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