MP: क्या है धार का इमामबाड़ा विवाद, जिसको लेकर मुस्लिम संगठन पहुंचा सुप्रीम कोर्ट? पुलिस छावनी में तब्दील हुआ शहर
क्या है धार का इमामबाड़ा विवाद?
MP News (जाफर अली, धार): मध्य प्रदेश के धार जिला स्थित इमामबाड़ा का विवाद बढ़ता ही जा रहा है. अब यह विवाद सुप्रीम तक पहुंच गया है. वहीं, प्रशासन की कार्रवाई के बाद आज शहर में पहला जुमा है. ऐसे में शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. जगह-जगह पर भारी पुलिस बल तैनात है. पूरा शहर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है. जानें क्या है पूरा मामला-
क्या है इमामबाड़ा विवाद?
धार शह स्थित इमामबाड़े के आधिपत्य को लेकर विवाद बड़ा हो गया है. प्रशासन ने आदेश जारी कर ताजिया कमेटी का आधिपत्य हटाने और इमामबाड़े को लोक निर्माण विभाग के सुपुर्द करने का फैसला लिया है. प्रशासन की ओर से जारी आदेश के तहत 20 अगस्त की देर रात SDM ने इमामबाड़ा को सील कर दिया. इस दौरान हटवाड़ा क्षेत्र पुलिस छावनी में बदल गया. इमामबाड़े के दोनों ओर बेरिकेडिंग कर दी गई और शहर में STF सहित भारी पुलिस बल तैनात कर दी गई.
पुलिस छावनी में तब्दील हुआ शहर
प्रशासन की ओर से कार्रवाई किए जाने के बाद शहर में जगह-जगह पर पुलिस बल तैनात किया गया है. वहीं, इस कार्रवाई के बाद आज पहला जुमा भी है. इससे पहले शहर में ASP विजय डावर के नेतृत्व में पुलिस ने शहर में फ्लैग मार्च निकाला, ताकि आमजन में सुरक्षा का संदेश जा सके.
जानें इमामबाड़ा के बारे में
धार के इमामबाड़ा को लेकर कहा जाता है कि आजादी से पहले धार के महाराजा आनंद राव पंवार के शासनकाल में इसका निर्माण कराया गया था. साल 1947 में जब देश आजाद हुआ तो इसे PWD को सौंप दिया गया. तब से PWD इस जगह को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए किराए पर देने लगा. इसके बाद साल 1960 के आसपास मुस्लिम समाज ने इस भवन को ताजिया रखने के लिए किराए पर लिया. आरोप है कि कुछ सालों बाद मुस्लिम समाज द्वारा इस इमारत पर कब्जा कर लिया गया. ऐसे में इमामबाड़ा विवादों और सुर्खियों में है.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई को लेकर मुस्लिम समाज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. मुस्लिम संगठन के सदर अब्दुल समद ने प्रशासन की कार्रवाई को असंवैधानिक बताया है. उन्होंने कहा- ‘सुप्रीम कोर्ट में हमारा मामला लंबित है. 200 सालों से इमामबाड़े का पजेशन हमारे पास रहा है, जहां मुस्लिम समाज अपने त्योहार मनाते आ रहे हैं. खासकर मोहर्रम पर्व पर 40 दिनों तक यहां समाज के लोग मन्नतें मांगते हैं और अपनी पूजा-अर्चना करते हैं. इमामबाड़े पर हम मालिकाना हक नहीं जता रहे, लेकिन धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए इमामबाड़ा हमारे उपयोग में रहा है. इसलिए इसे बनाए रखने के लिए कानूनी लड़ाई जारी रहेगी.’
अब्दुल समद ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड ने पहले भी इस इमारत को लेकर सिविल सूट लगाया था. मुस्लिम समाज इमामबाड़े की देखरेख और परंपराओं को बनाए रखने के लिए आखिरी दम तक कानूनी लड़ाई लड़ेगा.
आदेश पर की गई कार्रवाई
वहीं प्रशासन का दावा है कि कार्रवाई पूरी तरह कानूनी और संभाग आयुक्त के आदेश पर धार एसडीएम द्वारा की गई है.
पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस उपमहानिरीक्षक मनोज कुमार सिंह ने कहा- ‘इमामबाड़ा कार्रवाई के दौरान धार शहर की जनता ने शांति एवं सद्भाव बनाए रखा इसके लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं.’ उन्होंने आगे भी इसी प्रकार की शांति व्यवस्था में प्रशासन को सहयोग की अपेक्षा की.’