“अगर सम्मान नहीं, तो गठबंधन नहीं”, BJP को ऐसे क्यों धमका रहे हैं संजय निषाद? समझिए सियासी ‘खेल’

Sanjay Nishad On BJP: 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों से भी निषाद पार्टी को सीख मिली. समाजवादी पार्टी ने निषाद वोटों को अपनी तरफ खींचा, जिससे बीजेपी को कुछ सीटों पर नुकसान हुआ. इस हार से सबक लेते हुए संजय निषाद ने अपने बेटे को पार्टी प्रभारी पद से हटा दिया. अब 31 अगस्त को वे 'जनजाति दिवस' मनाकर अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में हैं.
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बीजेपी को गठबंधन तोड़ने की धमकी दे रहे हैं संजय निषाद

UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में आजकल एक नया ड्रामा चल रहा है. योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने बीजेपी को साफ-साफ चेतावनी दे दी है. गोरखपुर में उन्होंने गुस्से में आकर कहा कि अगर बीजेपी के कुछ नेता उनके सहयोगियों का अपमान करना बंद नहीं करेंगे, तो गठबंधन तोड़ना पड़ सकता है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है.

दोस्ती में दरार की वजह क्या है?

संजय निषाद और बीजेपी की दोस्ती काफी पुरानी है. 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने बीजेपी का साथ दिया था. पूर्वांचल में निषाद समाज का वोट बैंक करीब 6% है और इस वोट ने बीजेपी को कई सीटों पर जीत दिलाई.

लेकिन अब संजय निषाद का कहना है कि बीजेपी के कुछ नेता उनके और ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा और जयंत चौधरी की आरएलडी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. उन्होंने पूर्व सांसद जयप्रकाश निषाद, सांसद पीयूष रंजन निषाद और मंत्री जेपी निषाद का नाम लेकर आरोप लगाया कि ये लोग निषाद समाज और उनके परिवार के खिलाफ बोल रहे हैं.

आरक्षण और 2024 का सबक!

इस तनाव की एक बड़ी वजह निषाद समाज को अनुसूचित जाति (SC) में शामिल करने की मांग है. संजय निषाद 2013 से इस मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इस पर कोई खास प्रगति नहीं हुई है. हाल ही में दिल्ली में निषाद पार्टी के 10वें स्थापना दिवस पर बीजेपी का कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा. इस ‘बहिष्कार’ से संजय निषाद और भी नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि निषाद, राजभर और जाट समाज ने बीजेपी को वोट दिया, लेकिन बदले में उन्हें सम्मान नहीं मिला.

2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों से भी निषाद पार्टी को सीख मिली. समाजवादी पार्टी ने निषाद वोटों को अपनी तरफ खींचा, जिससे बीजेपी को कुछ सीटों पर नुकसान हुआ. इस हार से सबक लेते हुए संजय निषाद ने अपने बेटे को पार्टी प्रभारी पद से हटा दिया. अब 31 अगस्त को वे ‘जनजाति दिवस’ मनाकर अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में हैं.

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बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती

संजय निषाद के बयान के बाद बीजेपी में डैमेज कंट्रोल शुरू हो गया है. प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री ने संजय निषाद से बात की, लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि सम्मान सबसे जरूरी है. अगर निषाद पार्टी, सुभासपा और अपना दल जैसी पार्टियां बीजेपी का साथ छोड़ती हैं, तो बीजेपी को 2027 के चुनाव में करीब 80-90 सीटों पर बड़ा नुकसान हो सकता है. यह सपा के ‘PDA’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को भी चुनौती दे सकता है. संजय निषाद ने बिहार में भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जिससे साफ है कि वे अपनी पार्टी की ताकत बढ़ाना चाहते हैं.

फिलहाल, सब की नजरें लखनऊ पर टिकी हैं. क्या बीजेपी अपने सहयोगी दलों को मना पाएगी या फिर 2027 के चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया समीकरण बनेगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि यह सियासी ड्रामा अभी खत्म नहीं होने वाला है.

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