रूस का तेल, नोबेल का सपना और टैरिफ…ट्रंप-मोदी की दोस्ती में कैसे आई दरार? 7 बड़ी वजहें

ट्रंप ने एक फोन कॉल के दौरान पीएम मोदी से सीधे तौर पर कहा कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने वाला है, और उन्होंने भारत से भी ऐसी ही उम्मीद जताई. लेकिन जब भारत ने ऐसा नहीं किया, तो ट्रंप कथित तौर पर नाराज हो गए.
India US Relation

पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

India US Relation: आज से कुछ साल पहले जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आए थे, तो अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में ‘नमस्ते ट्रंप’ का नारा गूंजा था. इससे पहले, पीएम मोदी ने अमेरिका में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के जरिए दोनों देशों के रिश्तों में एक नई गर्माहट घोल दी थी. ऐसा लग रहा था मानो ट्रंप और मोदी की दोस्ती ने भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है.

अब अमेरिका और भारत व्यापारिक तकरार, कश्मीर विवाद और रूसी तेल की खरीदारी पर भिड़ गए हैं. 2025 में ट्रंप का दूसरा कार्यकाल शुरू होते ही रिश्तों में आई तल्खी ने न सिर्फ द्विपक्षीय व्यापार को हिलाकर रख दिया, बल्कि वैश्विक मंच पर भी सवाल खड़े कर दिए. आइये जानते हैं वो कौन सी बड़ी वजहें हैं, जिसकी वजह से ट्रंप और मोदी के रिश्ते में दरार आ गई है.

सीजफायर पर क्रेडिट की लड़ाई

ट्रंप भारत-पाकिस्तान के बीच हुए एक सीजफायर समझौते का श्रेय बार-बार खुद लेने लगे. जब पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि इसमें अमेरिका का कोई हाथ नहीं था, तब भी ट्रंप ने इस बात को बार-बार दोहराया. इसी मुद्दे पर दोनों नेताओं के बीच तल्खी शुरू हुई.

नोबेल शांति पुरस्कार की ख्वाहिश

ट्रंप ने एक फोन कॉल के दौरान पीएम मोदी से सीधे तौर पर कहा कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने वाला है, और उन्होंने भारत से भी ऐसी ही उम्मीद जताई. लेकिन जब भारत ने ऐसा नहीं किया, तो ट्रंप कथित तौर पर नाराज हो गए.

G7 समिट में ट्रंप से नहीं मिले मोदी

G7 शिखर सम्मेलन में ट्रंप और मोदी की मुलाकात होने वाली थी, लेकिन मोदी वहां से जल्दी निकल गए. जब ट्रंप ने मोदी से अमेरिका होते हुए भारत जाने का आग्रह किया, तो मोदी ने मना कर दिया. माना गया कि मोदी, वॉशिंगटन में पाकिस्तानी सेना प्रमुख से ट्रंप की संभावित मुलाकात से बचना चाहते थे.

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कश्मीर पर मध्यस्थता का प्रस्ताव ठुकराना

उसी फोन कॉल के दौरान, ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की. भारत ने हमेशा से तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार किया है. पीएम मोदी ने ट्रंप के इस प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से ठुकरा दिया, जिससे दोनों के बीच मतभेद और गहरे हो गए.

भारत को कहा ‘डेड इकोनॉमी’

इस घटनाक्रम के बाद, ट्रंप ने भारत के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी शुरू कर दी. उन्होंने भारत को “डेड इकोनॉमी” (Dead Economy) बताया और भारत की व्यापार नीतियों की कड़ी आलोचना की. इसी के साथ, उन्होंने भारतीय सामानों पर 50% का भारी-भरकम टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी.

कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करने से इनकार

अमेरिका लंबे समय से भारत पर अपने कृषि और डेयरी उत्पादों पर टैरिफ कम करने का दबाव बना रहा था. लेकिन भारत ने घरेलू किसानों के हितों को प्राथमिकता देते हुए अमेरिकी मांग को खारिज कर दिया. इस फैसले ने भी दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा दिया.

रूस से तेल खरीदना जारी रखना

इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 25% का अतिरिक्त जुर्माना लगाया, लेकिन भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों का हवाला देते हुए रूस से तेल खरीदना जारी रखा. अमेरिका के दबाव के बावजूद, भारत ने अपना रुख नहीं बदला, जिसने रिश्तों की डोर को और कमजोर कर दिया.

क्या भविष्य में भारत-अमेरिका के रिश्ते सच में इस तरह की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं? यह एक बड़ा सवाल है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में समीकरण तेजी से बदलते हैं.

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