‘चौकीदार चोर’ से लेकर ‘गंगू तेली’ और ‘रावण’ तक…PM Modi ने कैसे हर गाली को बनाया हथियार?
पीएम मोदी
PM Modi Political Strategy: गालियां सुनकर कोई रोता है, कोई टूट जाता है, लेकिन कोई ऐसा भी है जो इन्हें हथियार बनाकर सियासी जंग जीत लेता है. वो शख्स हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने ‘चौकीदार चोर’ से लेकर ‘मौत का सौदागर’ तक, हर तंज को अपनी जीत का तमगा बना लिया. विरोधियों के तीखे हमले हों या अपमानजनक टिप्पणियां, मोदी हर बार इन्हें पलटकर जनता का दिल जीत लेते हैं. आइये, जानते हैं कि कैसे गालियों को गहना और आलोचनाओं को सीढ़ी बनाकर पीएम मोदी सियासत की ऊंचाइयों पर चढ़ते गए.
‘चौकीदार चोर है’ को ‘मैं हूं चौकीदार’ से जवाब
विपक्ष ने PM मोदी को कई बार निशाना बनाया, लेकिन हर बार मोदी ने इन हमलों को अपने पक्ष में मोड़ लिया. याद है 2019 का लोकसभा चुनाव? कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा गढ़ा, राफेल डील को लेकर हंगामा मचाया. लेकिन मोदी ने इसे मौके में बदला. उन्होंने ‘मैं हूं चौकीदार’ कैंपेन शुरू किया, जिसने सोशल मीडिया पर आग लगा दी. BJP ने 303 सीटों के साथ प्रचंड जीत हासिल की और राहुल गांधी की अमेठी सीट भी हाथ से चली गई.
‘राक्षस राज’ का तंज और मोदी का जवाब
2017 में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार को ‘राक्षस राज’ और PM मोदी को ‘रावण’ कहकर तीखा हमला बोला. लेकिन पीएम मोदी ने इस तंज को अपने काम की ताकत से धो डाला. GST और डिजिटल इंडिया जैसे बड़े कदमों को जनता के सामने लाए, जिसने लोगों का दिल जीत लिया. उसी साल यूपी और उत्तराखंड में BJP की धमाकेदार जीत ने दिग्विजय के बयान को हवा में उड़ा दिया.
‘गंगू तेली’ से जीता जनता का दिल
2017 में गुलाम नबी आजाद ने मोदी को ‘गंगू तेली’ कहकर तंज कसा, लेकिन मोदी ने इसे अपनी साधारण जड़ों से जोड़कर सियासी मास्टरस्ट्रोक खेला. उन्होंने जनता के बीच अपनी मेहनत और विनम्रता की कहानी बयां की, जिससे लोगों में सहानुभूति और समर्थन की लहर दौड़ गई. नतीजा? गुजरात और हिमाचल प्रदेश में BJP की शानदार जीत ने दिखाया कि जनता मोदी की मेहनत को सलाम करती है. आजाद का तंज उल्टा पड़ा और कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी.
‘नीच’ से ‘गुजराती अस्मिता’ तक
2017 में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को ‘नीच’ कहा. क्या किया पीएम मोदी ने? इसे अपनी OBC पृष्ठभूमि से जोड़ा और गुजरात चुनाव में इसे ‘गरीब का अपमान’ बनाकर जनता के सामने पेश किया. उनके शब्द थे, “मैं नीच हूं, लेकिन मेरी नीचता देश सेवा में है.” नतीजा? BJP ने 99 सीटें जीतीं और कांग्रेस का तंज उल्टा पड़ गया.
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‘मौत का सौदागर’ को बनाया जीत का मंत्र
2002 के दंगों का जिक्र करते हुए 2007 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान सोनिया गांधी ने मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहा. लेकिन मोदी ने इसे भावनात्मक हथियार बनाया. उन्होंने गुजरात की जनता से ‘गुजराती अस्मिता’ का सवाल जोड़ा और विकास का एजेंडा पेश किया. नतीजा? BJP ने 117 सीटों के साथ धमाकेदार जीत दर्ज की और मोदी ने गुजरात में अपनी पकड़ और मजबूत कर ली.
बिहार में दी गई पीएम मोदी को गाली!
हाल ही में बिहार के दरभंगा में राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान PM मोदी और उनकी मां के खिलाफ अपशब्दों का मामला सामने आया. BJP ने इसे तुरंत भुनाया. पार्टी ने आक्रामक रुख अपनाया. सियासी जानकारों का कहना है कि मोदी की आंखों में एक बार फिर ‘जीत की चमक’ दिख रही है. PM ने पहले भी कहा था, “विपक्ष मुझे गाली देता है, तो देने दो, मैं गालीप्रूफ हूं.” 2022 में तेलंगाना की एक रैली में उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा था, “मैं रोज 2-3 किलो गाली खाता हूं, ये मेरे लिए पोषक तत्व हैं.”
चाहे नोटबंदी हो, GST हो, राम मंदिर हो या आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला, मोदी ने हर बार आलोचनाओं को नजरअंदाज कर अपने काम पर फोकस किया. 2014 में जब विपक्ष ने कहा कि ‘मोदी को PM नहीं बनने देंगे’, तो उन्होंने भारी बहुमत के साथ सरकार बनाई. COVID-19 के दौरान भी आलोचनाएं हुईं, लेकिन वैक्सीनेशन अभियान और आर्थिक राहत के कदमों ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ाया.
क्यों है मोदी का जादू बरकरार?
पीएम मोदी मोदी की ताकत है उनकी सादगी, जनता से जुड़ाव और विरोधियों को उनके ही हथियार से जवाब देना. वे हर गाली को अवसर में बदल देते हैं. उनकी रणनीति साफ है कि आलोचना को नजरअंदाज करो, काम पर ध्यान दो और जनता का दिल जीतो. पीएम मोदी की सियासी जादूगरी का राज है उनकी बेबाकी, मेहनत और जनता से सीधा संवाद. विरोधी जितना कीचड़ उछालते हैं, वो उतना ही मजबूत होते जाते हैं.