टीचर्स के लिए TET अनिवार्य, एमपी में 7 लाख से ज्यादा अध्यापक, जानें इस आदेश से किन्हें नुकसान
प्रतीकात्मक तस्वीर
MP News: सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी शिक्षकों के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को अनिवार्य कर दिया है. ये आदेश सभी शिक्षकों पर लागू होगा, जो नौकरी कर रहे हैं उनके लिए भी और जो तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए भी. कोर्ट ने उन टीचर्स को रियायत दी है, जिनकी सेवानिवृत्ति में अभी पांच साल बचे हैं. वे बिना TET के पढ़ा सकेंगे लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा.
तमिलनाडु और महाराष्ट्र के टीचर्स ने लगाई थी याचिका
टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ तमिलनाडु और महाराष्ट्र के टीचर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि टीचर्स को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा, अगर ऐसा नहीं किया तो इस्तीफा देना होगा. इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ये निर्देश अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू होगा या नहीं, इसका फैसला बड़ी बेंच करेगी.
मध्य प्रदेश में 7 लाख से ज्यादा टीचर्स
UDISE की साल 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में 7 लाख, 17 हजार 493 शिक्षक हैं. इनमें से कई शिक्षक हैं, जिन्होंने टीईटी परीक्षा पास नहीं की है. एमपी में 1984 से 1990 तक शिक्षकों की भर्ती मिनी पीएससी से की जाती थी. इसके बाद ये अधिकार नगर निगम और पंचायतों मिला, जिन्हें शिक्षाकर्मी कहा जाता था. इसमें कई गड़बड़ियां मिली, इसके बाद इसके स्वरूप को बदला गया. साल 2018 के बाद से मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल परीक्षा आयोजित कर रहा है, जिसके लिए टीईटी को अनिवार्य किया गया है.
तीन वर्गों में आयोजित होती है परीक्षा
मध्य प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित की जाती है, इसे MPTET कहा जाता है. MPTET वर्ग-1, ये परीक्षा कक्षा 9 और 10 के लिए आयोजित की जाती है. वहीं, MPTET वर्ग-2 परीक्षा कक्षा 6 से 8 के लिए और MPTET वर्ग-3, क्लास 1 से 5 तक के लिए आयोजित की जाती है.
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विशेष अधिकारों के तहत लिया निर्णय
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने टीचर्स को TET पास करने के लिए पांच साल का वक्त दिया था. इसके बाद 4 साल का समय और दिया था. इसी निर्णय के खिलाफ शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत विशेष अधिकारों का उपयोग करते हुए ये निर्णय लिया है.