ऑनलाइन गेमिंग एक्ट पर MP हाई कोर्ट को नोटिस, 4 हफ्तों में मांगा जवाब, याचिका में बताया गया था मौलिक अधिकारों का हनन

ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दी गई है. मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा की खंडपीठ में सुनवाई हुई. मामले में अब अगली सुवाई 28 अक्टूबर को होगी.
Madhya Pradesh High Court(File Photo)

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट(File Photo)

Online Gaming Act 2025: ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. मामले में कोर्ट ने 4 हफ्तों में जवाब मांगा है. इसके पहले ऑनलाइन गेमिंग एक्ट को कोर्ट में चुनौती दी गई थी. रीवा जिले के क्लबूबम 11 स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ की ओर से अदालत में याचिका दी गई थी. याचिका में बताया गया था कि ये एक्ट मौलिक अधिकारों का हनन है. वहीं मामले में हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से अब जवाब पेश करने के लिए कहा है.

28 अक्टूबर को होगी मामले में अगली सुनवाई

ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दी गई है. मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा की खंडपीठ में सुनवाई हुई. याचिका में बताया गया कि फेंटेसी स्पोर्ट्स जैसे कौशल आधारित खेलों को भी ये कानून अवैध बता रहा है, जो मौलिक अधिकारों का हनन है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा हैं. मामले में अब अगली सुवाई 28 अक्टूबर को होगी.

ये भी पढे़ं: MP News: मासूम कहानी और लापरवाह सिस्टम! टूटे स्कूल को बनवाने के लिए छोटे बच्चों ने भगवान गणेश को लिखा पत्र

सट्टेबाजी को रोकने के लिए बनाया गया कानून

केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग एक्ट( The Promotion and Regulation of Online Gaming Act 2025) लाई है. देश के युवाओं में ऑनलाइन गेमिंग में सट्टेबाजी को देखते हुए इस कानून को मोदी सरकार लाई है. युवाओं में इस तरह के सट्टेबाजी ऑनलाइन गेमिंग के लिए एडिक्शन हो गया. जिसके कारण सट्टेबाजी और ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ गई हैं. ऐसे में सट्टेबाजी वाले इन ऑनलाइन गेम्स की युवाओं को लथ लग गई है, जिसे रोकने के लिए ये कानून बनाया गया है.

ज़रूर पढ़ें