‘लाइटमैन’ कुलमन या पूर्व CJI सुशीला…नेपाल में PM की कुर्सी पर किसे बैठाना चाह रहे Gen-Z?

Nepal GenZ Protests: 54 साल के कुलमन घीसिंग कोई साधारण शख्स नहीं हैं. ये वो इंसान हैं, जिन्होंने काठमांडू घाटी में सालों से चली आ रही बिजली कटौती की समस्या को जादू की तरह खत्म कर दिया था. 2016 में जब वो नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) के प्रमुख बने, तो उन्होंने 12-18 घंटे की लोडशेडिंग को इतिहास की बात बना दिया.
Kulman Ghising, Sushila Karki

नेपाल में पीएम की रेस में कुलमन घीसिंग और सुशीला कार्की

Nepal Political Storm: नेपाल की सियासत में इन दिनों हलचल मची हुई है. सड़कों पर युवाओं का जोश, हिंसा का माहौल और अंतरिम सरकार के गठन की चर्चाएं हर तरफ गूंज रही हैं. इस उथल-पुथल के बीच एक नया नाम उभरकर सामने आया है. वो है कुलमन घीसिंग. जी हां, वही कुलमन, जिन्हें नेपाल का ‘लाइटमैन’ कहा जाता है. Gen-Z ने उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर चुना है और अब उनका पीएम बनना लगभग तय माना जा रहा है. लेकिन ये कुलमन हैं कौन और क्यों नेपाल की जनता और खासकर युवा उनके पीछे खड़े हैं?

बिजली का जादूगर, अब सियासत का सितारा

54 साल के कुलमन घीसिंग कोई साधारण शख्स नहीं हैं. ये वो इंसान हैं, जिन्होंने काठमांडू घाटी में सालों से चली आ रही बिजली कटौती की समस्या को जादू की तरह खत्म कर दिया था. 2016 में जब वो नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) के प्रमुख बने, तो उन्होंने 12-18 घंटे की लोडशेडिंग को इतिहास की बात बना दिया. सड़कों पर बिजली की रोशनी और घरों में पंखों की हवा लौट आई, और कुलमन जनता के हीरो बन गए. लेकिन मार्च 2025 में सरकार ने उन्हें NEA से हटा दिया. वजह? ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का से उनका टकराव. कुलमन का सीधा-सपाट और सरकार विरोधी रवैया उन्हें युवाओं का चहेता बना गया.

कुलमन का भारत से कनेक्शन

कुलमन का भारत से भी खास कनेक्शन है. उन्होंने जमशेदपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. 1994 में NEA से जुड़े और तब से अपनी मेहनत और ईमानदारी से लोगों का दिल जीत लिया. अब जेन-जेड ने उन्हें अंतरिम सरकार की कमान सौंपने का फैसला किया है. युवा कहते हैं, “हमें कुलमन जैसा लीडर चाहिए, जो काम करे न कि सिर्फ वादे.”

सुशीला कार्की क्यों रह गईं पीछे?

इस रेस में पहले नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम सबसे आगे था. गुरुवार सुबह तक तो ऐसा लग रहा था कि वो ही अंतरिम पीएम बनेंगी. लेकिन दोपहर होते-होते कहानी पलट गई. जेन-जेड समूह ने कुछ कारणों की वजह से सुशीला का नाम हटा दिया. नेपाल की सियासत को समझने वाले लोगों का कहना है कि उनकी उम्र और कुछ सियासी दबाव इसकी वजह हो सकते हैं. खैर, सुशीला की ईमानदार और सख्त जज वाली छवि भले ही मशहूर हो, लेकिन इस बार युवाओं का दिल कुलमन पर आ गया.

रेस में थे रैपर से मेयर बने बालेन शाह

काठमांडू के मेयर बालेन शाह का नाम भी इस दौड़ में शामिल था. रैपर से इंजीनियर और फिर मेयर बने बालेन सोशल मीडिया पर नेपाल के सुपरस्टार हैं. जेन-जेड आंदोलन को उनका खुला समर्थन मिला, लेकिन कुलमन की लोकप्रियता के सामने वो भी पीछे रह गए. फिर भी, बालेन की फैन फॉलोइंग और उनका बेबाक अंदाज भविष्य में नेपाल की सियासत को नई दिशा दे सकता है.

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Gen-Z का जोश और हिंसा का साया

नेपाल में हाल के दिनों में सियासी उथल-पुथल ने हिंसा का रूप ले लिया है. खबरों के मुताबिक, विरोध प्रदर्शनों में अब तक 34 लोगों की जान जा चुकी है और 1,368 लोग घायल हैं. 41 अस्पतालों में इनका इलाज चल रहा है. जेन-जेड समूह ने सोशल मीडिया पर सरकार के प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला था, जिसके बाद केपी शर्मा ओली को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. अब युवा नई सरकार और नए लीडर चाहते हैं, जो उनकी आवाज को सुने. कुलमन घीसिंग का नाम इसी आंदोलन की देन है.

नेपाल की सियासत में नया मोड़

कुलमन घीसिंग का अंतरिम पीएम बनना नेपाल की सियासत में एक नया अध्याय हो सकता है. उनकी ईमानदार छवि, बिजली संकट को खत्म करने का ट्रैक रिकॉर्ड और युवाओं का भरोसा उन्हें इस मुश्किल वक्त में एक मजबूत दावेदार बनाता है. लेकिन सवाल ये है कि क्या कुलमन इस सियासी तूफान को शांत कर पाएंगे? क्या वो नेपाल को नई दिशा दे सकेंगे? ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल नेपाल की जनता और खासकर युवा उनके साथ खड़े हैं.

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