लोकगायिका राखी त्रिवेदी ने दिखाई दरियादिली! सीएम मोहन यादव से मिली थी 50 हजार की सम्मान राशि, इलाज के लिए दान की

MP News: राखी ने कहा स्नेहा दीदी हमारी साहित्यिक धरोहर हैं. उनके शब्दों ने समाज को नई दिशा दी है. उनका स्वस्थ होना ही साहित्य जगत की असली जीत होगी
Singer Rakhi Trivedi received an honorarium of 50 thousand from CM Mohan Yadav, donated for treatment

लोकगायिका राखी त्रिवेदी ने सम्मान में मिली राशि कवयित्री के इलाज के लिए दान की

MP News: आज जब कला और कलाकारों की दुनिया सिर्फ चमक-दमक, शोहरत और तामझाम तक सीमित नजर आती है, वहीं मऊगंज की उभरती हुई गायिका राखी द्विवेदी ने इंसानियत और संवेदनशीलता की नई मिसाल कायम कर दी है. अपनी मधुर आवाज से लाखों दिलों को जीत चुकी राखी ने इस बार सुरों से नहीं, बल्कि मानवीय करुणा और संवेदना से समाज का दिल जीत लिया है.

सड़क दुर्घटना में जिंदगी से लड़ रहीं चर्चित कवयित्री स्नेहा त्रिपाठी के इलाज के लिए राखी त्रिवेदी ने न केवल आर्थिक सहयोग किया, बल्कि अपने पूरे सम्मान और पुरस्कार को उनके नाम कर दिया. रविवार को राखी द्विवेदी स्वयं कवयित्री की मां से मिलने पहुंचीं और उन्हें 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता सौंपी. यह वही राशि थी जिसे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने देवतालाब के मंच पर राखी के चर्चित गीत “मोहन जीजाजी हमार” से प्रभावित होकर उन्हें भेंट करने की घोषणा की थी. लेकिन राखी ने उस सम्मान को खुद तक सीमित रखने की बजाय, एक बड़ा कदम उठाकर समाज को यह संदेश दिया कि असली कलाकार वही है, जो दूसरों के दर्द को अपना मानकर संबल देने आगे आए.

‘स्नेहा दीदी हमारी साहित्यिक धरोहर’

राखी ने कहा स्नेहा दीदी हमारी साहित्यिक धरोहर हैं. उनके शब्दों ने समाज को नई दिशा दी है. उनका स्वस्थ होना ही साहित्य जगत की असली जीत होगी. मैं चाहती हूं कि समाज का हर व्यक्ति अपनी सामर्थ्य अनुसार योगदान करें. भोलेनाथ से मेरी प्रार्थना है कि स्नेहा दीदी जल्द स्वस्थ होकर फिर से साहित्य की सेवा में जुटें. उन्होंने प्रशासन से भी कवयित्री के इलाज हेतु विशेष सहयोग की मांग की. साथ ही जनता से अपील करते हुए कहा कि आर्थिक सहायता केवल उन्हीं खातों में भेजी जाए जिन्हें परिवार ने अधिकृत किया है, ताकि किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या भ्रम की स्थिति पैदा न हो.

राखी द्विवेदी का यह कदम केवल आर्थिक सहयोग भर नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा संदेश है कि कला और साहित्य केवल मंच पर गाए जाने वाले गीत या लिखी जाने वाली कविताओं तक सीमित नहीं, बल्कि यह समाज के हर दुख-दर्द और संघर्ष से सीधा जुड़ा है. आज जब अधिकांश कलाकार सिर्फ लाइमलाइट, सोशल मीडिया की गहमागहमी और व्यक्तिगत शोहरत तक सिमट गए हैं, ऐसे समय में राखी द्विवेदी ने साबित कर दिया कि असली कलाकार वही है, जो समाज के जख्म पर मरहम बने.

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दोनों ही समाज की आवाज

दोनों ही समाज की आवाज रहे हैं. एक ने शब्दों से समाज का दर्द उजागर किया तो दूसरी ने सुरों से जनता के दिलों में उम्मीद जगाई. अब जब कवयित्री सड़क दुर्घटना से घायल हैं, तो गायिका ने उनका हाथ थामकर यह साबित कर दिया कि साहित्य और संगीत का रिश्ता केवल शब्द और सुरों तक नहीं, बल्कि दिल और आत्मा तक है.

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