RJD में ‘फ्रंट सीट’ के लिए ‘महाभारत’, बागी तेज प्रताप का साथ देने मैदान में आईं रोहिणी, क्या धीरे-धीरे बिखर रहा ‘लालू कुनबा’?

Lalu Family Dispute: लालू परिवार के 'बागी बेटे' को तो मई 2025 में ही पार्टी और परिवार से निकाल दिया गया था. वजह एक वायरल वीडियो और 'अनुशासनहीनता'. लेकिन तेज प्रताप चुप नहीं बैठे. उन्होंने बिना नाम लिए संजय को 'जयचंद' यानी गद्दार कहा. हाल ही में पोस्ट में लिखा, "कुर्सी हथियाने की साजिश रचने वाले बाहर हो जाएंगे."
Lalu Parivar Vivad

लालू परिवार में विवाद!

Lalu Parivar Vivad: बिहार की राजनीति का मशहूर ‘लालू कुनबा’ आजकल घरेलू ड्रामा में उलझा नजर आ रहा है. एक तरफ तेजस्वी यादव अपनी ‘बिहार अधिकार यात्रा’ पर निकले हैं, जनता के बीच वादे बांट रहे हैं, तो दूसरी तरफ घर में ही ‘फ्रंट सीट’ की लड़ाई ने सबको चौंका दिया है. जी हां, लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) ने भाई तेजस्वी के सबसे करीबी सलाहकार संजय यादव पर चुटकी ली है. बड़े भाई तेज प्रताप तो पहले से ही मैदान में डटे हैं. क्या ये पारिवारिक कलह बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी के लिए खतरे की घंटी है? आइए सबकुछ विस्तार से जानते हैं…

एक तस्वीर से शुरू हुआ बवाल!

कहानी शुरू होती है गुरुवार की एक साधारण-सी तस्वीर से. तेजस्वी की यात्रा वाली स्पेशल बस में फ्रंट सीट पर चढ़ गए संजय यादव. यह सीट हमेशा लालू या तेजस्वी जैसी बड़ी हस्तियों के लिए रिजर्व रहती है . ये फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही बवाल मच गया. एक इन्फ्लुएंसर ने पोस्ट किया, “फ्रंट सीट तो शीर्ष नेताओं की होती है, कोई खुद को उनसे ऊपर समझे तो बात अलग है.” पोस्ट में चापलूसी करने वालों पर तंज कसा गया, ‘ठकुरसुहाती’ यानी चमचे जो खुद को रणनीतिकार समझते हैं.

सिंगापुर में रहकर भी बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाली रोहिणी आचार्य ने इस पोस्ट को शेयर कर दिया. उनका इशारा साफ था, संजय को फ्रंट सीट पर देखना उन्हें मंजूर नहीं. लेकिन जैसे ही बिहार में हंगामा हुआ, रोहिणी ने डैमेज कंट्रोल मोड ऑन कर दिया. उन्होंने दूसरे पिछड़े नेताओं की फ्रंट सीट वाली तस्वीरें शेयर कीं और लिखा, “वंचितों को आगे लाना ही पिताजी का सामाजिक न्याय का मंत्र है. ऐसे चेहरों को देखना सुखद है.”

लहू में बहती है बेखौफी और खुद्दारी- रोहिणी

फिर आया शुक्रवार का इमोशनल ब्लास्ट. रोहिणी ने पुरानी तस्वीरें पोस्ट कीं. पिता लालू के साथ सिंगापुर की यादें, जब उन्होंने उन्हें किडनी दान की थी. कैप्शन था, “जो जान पर खेलकर कुर्बानी देते हैं, उनके लहू में बहती है बेखौफी और खुद्दारी.” दूसरे पोस्ट में लिखा था, “बेटी-बहन के रूप में कर्तव्य निभाया, कोई पद या महत्वाकांक्षा नहीं. मेरा आत्मसम्मान सबसे ऊपर.” रोहिणी के पोस्ट पर राजनीतिक पंडितों को लगता है कि वो दुखी हैं, शायद बैकफुट लेने से या संजय के बढ़ते रुतबे से.

गौरतलब है कि रोहिणी ने 2024 लोकसभा चुनाव में सारण से BJP के रवि शंकर प्रसाद के खिलाफ लड़ी थीं, लेकिन हार गईं. अब 2025 विधानसभा चुनाव में उनकी एंट्री की अफवाहें हैं . क्या ये नाराजगी उसी का संकेत है?

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अब तेज प्रताप का एंट्री

लालू परिवार के ‘बागी बेटे’ को तो मई 2025 में ही पार्टी और परिवार से निकाल दिया गया था. वजह एक वायरल वीडियो और ‘अनुशासनहीनता’. लेकिन तेज प्रताप चुप नहीं बैठे. उन्होंने बिना नाम लिए संजय को ‘जयचंद’ यानी गद्दार कहा. हाल ही में पोस्ट में लिखा, “कुर्सी हथियाने की साजिश रचने वाले बाहर हो जाएंगे.” सोशल मीडिया पर तेज प्रताप ने रोहिणी का खुला समर्थन किया और कहा कि परिवार की एकता ही सबकुछ है. राजनीतिक गलियारों में खुसर-पुसर चल रही है कि संजय की वजह से ही तेज प्रताप परिवार से दूर हुए और अब रोहिणी भी अलग-थलग पड़ रही हैं?

संजय यादव कौन हैं?

हरियाणा के 41 साल के ये ‘आउटसाइडर’ तेजस्वी के पुराने दोस्त हैं. राज्यसभा सांसद बने, लेकिन लालू परिवार के कुछ सदस्यों को उनका प्रभाव खटकता है. मीसा भारती और तेज प्रताप पहले से ही उनसे नाराज बताए जाते हैं. जेडीयू के नेता तो खुश हैं. कह रहे हैं कि आरजेडी में फूट पड़ रही है, चुनाव से पहले ही परिवार बिखर गया.”

बिहार की सियासत में ये ड्रामा रामायण-महाभारत जैसा लग रहा है. भाई-बहन के बीच विश्वास की जंग देखी जा रही है. स्वास्थ्य कारणों से राजनीति में कम सक्रिय लालू प्रसाद क्या इस कलह को संभाल पाएंगे या ये तेजस्वी के लिए ‘अधिकार यात्रा’ से बड़ा इम्तिहान साबित होगा?

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