MP News: भोपाल में इस जगह 59 सालों से हो रही रामलीला, इंजीनियर से लेकर HC के अधिकारी तक निभाते हैं विभिन्न किरदार

59 सालों से ये रामलीला जारी है. इस दौर में पीढ़ियां बदलती गईं लेकिन रामलीला का पर्दा जो उठा तो फिर गिरा नहीं. कोरोना काल के बाद भी जब मंचन नहीं हो पा रहा था, तो प्रोजेक्टर पर रामायण चलवाकर मंच को चालू रखा गया.
Barkheda Ramleela Bhopal

भोपाल के बरखेड़ा की रामलीला

MP News: भोपाल के बरखेड़ा में H.E सांस्कृतिक समाज की रामलीला के मंचन के इस बार 59 बरस पूरे हो रहे हैं. खास बात यह है कि रामलीला में जो कलाकार भगवान राम, लक्ष्मण, रावण और मेघनाथ आदि का किरदार निभाते हैं, उनमें कोई इंजीनियर है तो कोई हाई कोर्ट का अधिकारी, कोई पत्रकार है तो कोई कांट्रैक्टर. लेकिन सिर्फ रामलीला के लिए अपनी अपनी नौकरियों और बिज़नेस से छुट्टी लेकर सब भोपाल आते हैं. साल के दस दिन नौकरी से छुट्टी लेकर ये केवल उस चरित्र में होते हैं, जो रामलीला में इन्हें सौंपा जाता है.

दुर्गा झांकियों में रामलीला का मंचन भी अब जब बीते जमाने की बात हुई, तब ये जुनूनी कलाकार ही हैं, जो रामलीला के साथ राम का संदेश जन-जन तक पहुंचा रहे हैं. लगातार 59 सालों से ये रामलीला जारी है. इस दौर में पीढ़ियां बदलती गईं लेकिन रामलीला का पर्दा जो उठा तो फिर गिरा नहीं. कोरोना काल के बाद भी जब मंचन नहीं हो पा रहा था, तो प्रोजेक्टर पर रामायण चलवाकर मंच को चालू रखा गया.

महीनों तक रिहर्सल करते हैं कलाकार

आज जब मोबाइल की एक क्लिक पर रामानंद सागर की रामायण के पूरे एपीसोड हैं. तब भी ये जुनूनी लोग महीनों की रिहर्सल के बाद अपना घर-शहर छोड़कर रामायण के किरदार और कहानी रामलीला के जरिए लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं. 1966 में लकड़ी के पटलों पर शुरू हुई रामलीला का कमाल केवल इतना ही नहीं है. कमाल हैं ये लोग जिन्हें उम्मीद है, कि रामलीला का दौर लौटेगा जरुर. कमाल इनका है कि साल की दस से पंद्रह छुट्टियां ये रामलीला के नाम करते हैं.

मेघनाथ का किरदार करने वाले हरीश पाठक भोपाल में रहते हैं और इनका अपना बिज़नेस है, साथ ही वो राजनीति से भी जुड़े हैं. रामलीला के समय ये अपना सारा काम छोड़कर पूरी तरह इसमें मगन हो जाते हैं. वहीं राम और लक्ष्मण का किरदार करने वाले शैलेन्द्र दुबे और महेंद्र मोरे कांट्रेक्टर का काम करते हैं, लेकिन रामलीला के लिए सारा काज छोड़ दस दिन जुटे रहते हैं. लंकापति रावण का किरदार निभाने वाले नागेंद्र शर्मा इस रामलीला के निर्देशक भी हैं. पेशे से पत्रकार हैं, लेकिन रावण के किरदार में ढलने के लिए छुट्टी लेकर तैयारी करते हैं. इसी तरह सभी कलाकार अपने सारे काम छोड़कर पूरी लगन से रामायण के सभी किरदारों को जीवंत करने में जुटे रहते हैं.

रामलीला के किरदारों ने बताया अपना अनुभव

सुग्रीव का किरदार करने वाले अनंत सिंह भी पेशे से पत्रकार हैं और वो बताते हैं, “मैं जब पहली बार रामलीला में आया था तो दस बारह साल का लड़का था. शुरुआत वानर सेना से हुई, फिर उसके बाद कई सारे चरित्र निभाए, एक बार मंदोदरी भी बना यानि महिला पात्र भी निभाया. अब सुग्रीव का किरदार कर रहा हूँ.”

रामलीला के संगीत और मेकअप मैनेजर सत्यम रवि पुराने दिनों की याद करते हुए बताते हैं, ”यहां इसी रामलीला में हम खेलते कूदते बड़े हुए, तब लकड़ी के छोटे से मंच पर हमारे पिताजी भी खुद के बनाये हुए तीर धनुष और गदा के साथ परफॉर्म करते थे, हम अपने पिता के साथ आते थे और सोचा करते थे किसी दिन हम भी रामलीला में भाग लेंगे. अब मैं विश्वामित्र का चरित्र कर रहा हूं, जितनी छुट्टियां मिलती है ज्यादातर रामलीला के लिए ही इस्तेमाल करता हूं.”

“रामलीला हमारी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा”

महाराज जनक और राक्षसी ताड़का का किरदार निभा रहे शैलेश और अमन बताते हैं कि उनके बाकी के दोस्त भले इस समय गरबा डांडिया में गुम हों. लेकिन हम अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए रामलीला में आ गए. उनके पिता-दादा ने भी इसी रामलीला में छोटे-बड़े किरदार निभाए हैं. अमन बताते हैं ”मुझे लगता है ये जरुरी है, नहीं तो आप अपनी जड़ों कैसे जुड़ेंगे.” इन्ही के साथ जटायु का किरदार निभा रहे मनोज सिंह प्राइवेट नौकरी में है. ऑफिस से छूटते ही जटायु की कॉस्ट्यूम पहनकर प्रैक्टिस करते हैं. अपने रोल की एंट्री का इंतजार करते हैं. वो कहते हैं ”कभी-कभी अफसोस होता है जब मंच के आगे खाली कुर्सियां देखते हैं. लोगों को रामलीला को बचाना चाहिए ये हमारी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा है.”

ये भी पढ़ें: Indore News: चूहे के काटने पर एयरपोर्ट पर नहीं मिली थी मेडिकल हेल्‍प, डॉक्टर पर गिरी गाज

“59 सालों से नहीं गिरने दिया रामलीला का पर्दा”

गोविंदपुरा की रामलीला समिति के प्रमुख सदस्यों में से एक हेमेंद्र बताते हैं कि ”एक समय था जब लकड़ी के पटले लाकर हम स्टेज बनाते थे और उस पर रामलीला होती थी फिर ये पक्का स्टेज मिला.” वो बीएचईएल को खास तौर पर धन्यवाद देते हुए कहते हैं ”बीएचईएल की बड़ी भूमिका रही इसमें.” कहते हैं ”हम जुनून के साथ राम लीला के मंचन में जुटे हैं. 59 साल पूरे हो चुके हमने रामलीला का पर्दा नहीं गिरने दिया. एक दिन रामलीला के दर्शक भी लौटेंगे.”

समय के साथ साथ बरखेड़ा की इस रामलीला में भी कई बदलाव हुए, अब मथुरा से स्पेशल costume भी आती है, और सोशल मीडिया पेज से सारी अपडेट भी दर्शकों तक पहुंचाते रहते हैं. इतने साल बाद भी देशों को आते देख रामलीला के कलाकरों को यही उम्मीद है की आगे जाकर रामलीला देखने और दर्शक आएंगे और रामलीला इससे भी ज्यादा बड़े स्तर पर आयोजित होगी।

ज़रूर पढ़ें