Dussehra 2025: इस बार का दशहरा 3 शुभ योगों में, नोट कर लें मुहूर्त, भगवान श्रीराम की पूजा विधि, उपाय व मंत्र

Dussehra 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार दशहरा तीन विशेष योगों में मनाया जाएगा. 2 अक्टूबर को सुकर्मा योग, रवि योग और धृति योग का संयोग बन रहा है. साथ ही उत्तराषाढ़ा और श्रवण नक्षत्र की उपस्थिति इस दिन को और अधिक शुभ बना रही है.
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सांकेतिक तस्‍वीर

Dussehra 2025 Puja Muhurat: दशहरा पर्व हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बनकर मनाया जाता है. वर्ष 2025 में विजयादशमी 2 अक्टूबर को पड़ेगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम ने लंका में रावण का वध कर धर्म की स्थापना की थी और माता दुर्गा ने महिषासुर नामक दानव का संहार कर जगत को आतंक से मुक्त किया था. इस दिन भगवान श्रीराम और मां दुर्गा दोनों की विधिवत पूजा का महत्व बताया गया है. भक्तजन स्नान-ध्यान के बाद मंदिर की साफ-सफाई कर गंगाजल से शुद्धिकरण करते हैं, तत्पश्चात भगवान श्रीराम का जलाभिषेक कर पीले फूल और पीला चंदन अर्पित करते हैं. पूजा में दीप, धूप और अगरबत्ती जलाकर श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ और मंत्रजप करना शुभ माना जाता है. अंत में आरती कर तुलसी दल सहित भोग अर्पित करने और प्रसाद वितरण की परंपरा है.

दशहरा 2025 के विशेष संयोग

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार दशहरा तीन विशेष योगों में मनाया जाएगा. 2 अक्टूबर को सुकर्मा योग, रवि योग और धृति योग का संयोग बन रहा है. साथ ही उत्तराषाढ़ा और श्रवण नक्षत्र की उपस्थिति इस दिन को और अधिक शुभ बना रही है. दशमी तिथि 1 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 1 मिनट से प्रारंभ होकर 2 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगी. इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 9 मिनट से 2 बजकर 56 मिनट तक और अपराह्न पूजा का समय 1 बजकर 21 मिनट से 3 बजकर 44 मिनट तक रहेगा.

रावण दहन का समय

रावण दहन की परंपरा प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद निभाई जाती है. इस साल सूर्यास्त 2 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा, जिसके बाद रावण दहन किया जाएगा.

दशहरा पूजा विधि

प्रातःकाल स्नान आदि के बाद पूजा स्थल की सफाई कर गंगाजल से शुद्धिकरण करें.

भगवान श्रीराम का पंचामृत और गंगाजल से जलाभिषेक करें.

प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें.

दीपक, धूप और अगरबत्ती प्रज्वलित करें.

श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें और श्रीराम जी की आरती करें.

तुलसी दल और सात्विक भोग अर्पित करें.

अंत में क्षमा प्रार्थना कर प्रसाद वितरण करें.

दशहरा भोग

दशहरे के दिन भगवान श्रीराम को पंचामृत, खीर, मालपुआ, बेर, हलवा-पूरी, मिठाई, फल और सूखे मेवे का भोग लगाया जाता है.

श्रीराम जी के मंत्र

ॐ श्री रामाय नमः

श्री राम जय राम जय जय राम

ॐ ह्रां ह्रीं रां रामाय नमः

ॐ राम ॐ राम ॐ राम ह्रीं राम ह्रीं राम श्रीं राम श्रीं राम क्लीं राम क्लीं राम फट् राम फट् रामाय नमः

ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम. श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः

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श्रीराम चालीसा का महत्व

मान्यता है कि दशहरे पर श्रीराम चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है. यह न केवल जीवन में सुख-समृद्धि लाता है बल्कि सभी संकटों से मुक्ति भी दिलाता है.

(डिस्क्लेमर: यह खबर धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिष शास्त्र और पंचांग आधारित जानकारी पर लिखी गई है. इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है. विस्तार न्यूज किसी भी ज्योतिषीय दावे की पुष्टि नहीं करता है.)

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