Chhindwara Lok Sabha Seat: क्या छिंदवाड़ा में ‘कमल’ खिला पाएगी बीजेपी? कमलनाथ का गढ़ रही है ये सीट
Chhindwara Lok Sabha Seat: महाकौशल क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र छिंदवाड़ा भी माना जाता है क्योंकि यहां पिछले 40 सालों से कमलनाथ अपने दम पर कांग्रेस का झंडा लहराते आ रहे हैं. बीजेपी ने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने के लिए कई बड़े चेहरों को मैदान पर उतारा लेकिन कोई भी कमलनाथ के गढ़ को भेद नहीं सका. हालांकि, कुछ दिनों पहले ऐसी अटकलें थीं कि कमलनाथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं लेकिन इन कयासों पर विराम लगने के बाद अब कमलनाथ कांग्रेस की बैठकें करते नजर आ रहे हैं. दूसरी तरफ, 2024 के चुनाव में भी इस सीट पर जीत हासिल करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी. बता दें कि आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के बावजूद छिंदवाड़ा लोकसभा सीट सामान्य है.
कमलनाथ का गढ़ है छिंदवाड़ा
देश की राजनीति में कमलनाथ की पहचान इंदिरा गांधी की ‘तीसरे बेटे’ के तौर पर भी होती है. छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कमलनाथ को केवल एक बार हार का मुंह देखना पड़ा है. जब उपचुनाव में कमलनाथ को बीजेपी के उम्मीदवार सुंदरलाल पटवा ने हरा दिया था, लेकिन उसके पहले और बाद में कभी भी कमलनाथ चुनाव नहीं हारे. दरअसल 1996 में उजागर हुए हवाला कांड में कमलनाथ का नाम सामने आया था. इसके बाद कमलनाथ ने नैतिकता के आधार पर लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और उपचुनाव में अपनी पत्नी अलका नाथ को उम्मीदवार बनाया, वह चुनाव जीत गईं. लेकिन हवाला मामले में सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद कमलनाथ ने पत्नी अलका नाथ को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिलाया. यहां फिर उपचुनाव हुआ और यही गलती कमलनाथ को भारी पड़ गई. सुंदरलाल पटवा ने उपचुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाया और चुनाव जीत गए.
इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री बनने के कारण कमलनाथ ने अपने बेटे नकुलनाथ को लोकसभा चुनाव में उतारा और चुनाव जीत गए. हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में 2019 का लोकसभा चुनाव कम अंतर से जीत पाए थे.
छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में 7 विधानसभा सीट छिंदवाड़ा, सौंसर, पांढुर्णा, चौरई, जुन्नारदेव, अमरवाड़ा और परासिया शामिल हैं. तामिया, अमरवाड़ा और हर्रई ब्लॉक आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं. पिछली कुछ दशकों में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की तस्वीर बदली है. आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के बावजूद भी छिंदवाड़ा हमेशा से मध्य प्रदेश की राजनीति में चर्चाओं का केंद्र बिंदु रहा है. 2018 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छिंदवाड़ा के विकास मॉडल को जनता के सामने रखा था, जिसका फायदा भी कांग्रेस को हुआ.
बीजेपी की राह नहीं आसान
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस में उम्मीदवार की कोई लड़ाई नहीं है क्योंकि इस बार भी कमलनाथ नहीं तो, नकुल नाथ कांग्रेस का चेहरा होंगे. नकुलनाथ खुले मंच से खुद को उम्मीदवार भी घोषित कर चुके हैं. लेकिन अब मुश्किल बीजेपी के सामने हैं क्योंकि बीजेपी अब तक छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कई दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार चुकी है लेकिन कोई भी कमलनाथ के इस अभेद्य किले को भेद नहीं पाई. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने आदिवासी चेहरा नत्थन शाह को मैदान में उतारा था, जो जीत तो नहीं पाए लेकिन उन्होंने बीजेपी के हार के अंतर को बहुत हद तक काम कर दिया था और नकुलनाथ केवल 37 हजार वोटों से ही जीत पाए थे.
किसे मिल सकता है टिकट
राजनीतिक चर्चाएं हैं कि एक बार फिर बीजेपी की तरफ से कोई आदिवासी चेहरा हो सकता है. इसके लिए एक बड़ा नाम फग्गन सिंह कुलस्ते का भी चल रहा है जो फिलहाल मंडला लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं. वहीं डॉक्टर गगन कोल्हे का नाम भी चर्चाओं में है जो संघ से जुड़े हैं और वर्तमान में रेड क्रॉस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. ओबीसी चेहरा होने के नाते छिंदवाड़ा के लिए प्रबल उम्मीदवारों की सूची में है. लेकिन इन सब के बीच एक सबसे बड़ा नाम है प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का. जो लगातार छिंदवाड़ा में सक्रिय हैं. इस बार 29 की 29 लोकसभा सीट जीतने के लक्ष्य के लिए बीजेपी शिवराज सिंह चौहान को छिंदवाड़ा से उम्मीदवार बना सकती है. बता दें कि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में कुल 15,12,369 मतदाता हैं. जिनमें से पुरुष मतदाता -7,71,601, महिला मतदाता- 7,40,740 और थर्ड जेंडर के 28 वोटर्स हैं.