भारत की ये जनजाति दिवाली पर मनाती है दुख का त्योहार, होता है मातम का माहौल
Diwali 2025: उत्तराखंड में रहने वाली थारू जनजाति दिवाली पर दुख का त्योहार मनाती है. इस जनजाति के लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं. परिवार स्वर्गवासी सदस्य को याद करते हैं, उनका पुतला बनाकर दहन भी करते हैं.
Written By विनय कुशवाहा
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Last Updated: Oct 11, 2025 03:11 PM IST
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दिवाली, हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला सबसे बड़े त्योहारों में से एक है.
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दीपावली को रंग-बिरंगी लाइट्स, मिठाइयां और अच्छाई का त्योहार माना जाता है.
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सभी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. एक-दूसरे को बधाई देते हैं.
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बच्चों से लेकर बड़ों तक पटाखे और आतिशबाजी चलाकर खुशियां मनाते हैं.
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भारत की एक ऐसी जनजाति भी है जो दिवाली को दुख का त्योहार मनाते हैं.
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उत्तराखंड में रहने वाली थारू जनजाति दिवाली पर दुख का त्योहार मनाती है. इस जनजाति के लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं.
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परिवार स्वर्गवासी सदस्य को याद करते हैं, उनका पुतला बनाकर दहन भी करते हैं.
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ये जनजाति मुख्य रूप से नेपाल के तराई क्षेत्र, उत्तराखंड के इलाके में रहती है. ये थेरवाद बौद्ध परंपरा को मानती है.