जहां 2020 में JDU हारी, वहां HAM की बारी… मांझी को मिली 6 सीटों का संपूर्ण सियासी विश्लेषण!

Bihar Politics: HAM को इस बार टिकारी, अतरी, बाराचट्टी, सिकंदरा, इमामगंज और कुटुंबा सीटें मिली हैं. इनमें से तीन सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. 2020 में HAM को 7 में से 4 सीटों पर जीत मिली थी, और दो सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही थी. इस बार मखदुमपुर सीट छिन गई, जबकि अतरी नई मिली है.
Bihar Election 2025

जीतन राम मांझी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी शुरू हो चुकी है और एनडीए में सीटों का बंटवारा भी फाइनल हो गया है. इस बार बीजेपी और जेडीयू को 101-101 सीटें मिली हैं, जबकि चिराग पासवान की LJP (R) को 29 और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) यानी HAM को 6 सीटें दी गई हैं. लेकिन मांझी साहब (Jitan Ram Manjhi) का दिल तो 15 सीटों के लिए धड़क रहा था.

HAM को मिलीं 6 सीटें, लेकिन मांझी नाखुश

जीतन राम मांझी इस बार अपनी पार्टी HAM के लिए 15 सीटों की मांग कर रहे थे. लेकिन एनडीए ने उन्हें सिर्फ 6 सीटें थमाईं, जो 2020 के चुनाव में मिली 7 सीटों से भी एक कम है. मांझी ने इस बंटवारे पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “हमारी ताकत को कम आंका गया है, इसका असर एनडीए के चुनावी प्रदर्शन पर पड़ सकता है.” फिर भी, उन्होंने साफ कर दिया कि वह पीएम नरेंद्र मोदी के साथ “आखिरी सांस तक” खड़े रहेंगे.

HAM को इस बार टिकारी, अतरी, बाराचट्टी, सिकंदरा, इमामगंज और कुटुंबा सीटें मिली हैं. इनमें से तीन सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. 2020 में HAM को 7 में से 4 सीटों पर जीत मिली थी और दो सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही थी. इस बार मखदुमपुर सीट छिन गई, जबकि अतरी नई मिली है.

2020 में HAM का जलवा

पिछले विधानसभा चुनाव में HAM ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 4 पर जीत हासिल की थी- बाराचट्टी, इमामगंज, सिकंदरा और टिकारी. इस बार भी मांझी के गढ़ माने जाने वाली इमामगंज और बाराचट्टी सीटें उनके पास हैं. इमामगंज से खुद मांझी ने 2020 में 46.6% वोटों के साथ जीत दर्ज की थी, जबकि बाराचट्टी से उनकी समधन ज्योति देवी ने 40% वोट हासिल की थी.

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इस बार कहां-कहां है टक्कर?

HAM की 6 सीटों में से ज्यादातर का मुकाबला कांग्रेस से होने वाला है. टिकारी में 2020 में HAM और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर थी, जहां HAM के अनिल कुमार ने सिर्फ 2630 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. कुटुंबा में कांग्रेस ने बाजी मारी थी, जबकि सिकंदरा और इमामगंज में भी कांग्रेस HAM के लिए कड़ी चुनौती रही. अतरी सीट, जो इस बार HAM को मिली, वह 2020 में जेडीयू के पास थी, लेकिन जेडीयू वहां हार गई थी.

HAM के संभावित योद्धा

सूत्रों के हवाले से खबर है कि HAM इस बार टिकारी से अनिल कुमार, सिकंदरा से प्रफुल्ल मांझी, अतरी से रोमित कुमार, कुटुंबा से श्रवण भुइयां, इमामगंज से दीपा मांझी और बाराचट्टी से ज्योति देवी को मैदान में उतार सकती है. मांझी की पार्टी के लिए यह चुनाव न सिर्फ अपनी ताकत दिखाने का मौका है, बल्कि यह साबित करने का भी कि छोटी पार्टी होने के बावजूद उनका दमखम कम नहीं है.

मांझी का 15 सीटों का सपना

मांझी ने सीट बंटवारे से पहले कहा था कि उनकी पार्टी 2015 से सक्रिय है और अब उसे मान्यता के हिसाब से सीटें मिलनी चाहिए. उन्होंने सोशल मीडिया पर भी अपनी बात रखी थी, जिसमें उन्होंने काव्यात्मक अंदाज में कहा, “हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम…”. लेकिन 15 सीटों का सपना अधूरा रह गया. फिर भी, मांझी अपनी 6 सीटों के साथ पूरे जोश में हैं और बिहार की सियासत में अपनी छाप छोड़ने को तैयार हैं.

क्या कहती है सियासी गणित?

HAM की सीटों का विश्लेषण करें तो मांझी का गढ़ इमामगंज और बाराचट्टी मजबूत दिखता है. लेकिन टिकारी और सिकंदरा में कड़ा मुकाबला हो सकता है. कुटुंबा में कांग्रेस का दबदबा तोड़ना HAM के लिए चुनौती होगा. अतरी में जेडीयू की हार का फायदा क्या HAM उठा पाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा. तो, बिहार की इस सियासी जंग में मांझी अपनी छोटी-सी सेना के साथ कितना बड़ा धमाल मचाते हैं, यह तो वक्त बताएगा.

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