MP Cabinet Meeting: भावांतर योजना को मंजूरी, पेंशनर्स के महंगाई भत्ते में वृद्धि पर चर्चा, मोहन कैबिनेट की मीटिंग में इन प्रस्तावों पर लगी मुहर

MP Cabinet Meeting: मुख्यमंंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में कैबिनेट बैठक आयोजित की गई. बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दी. उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने भावांतर भुगतान योजना को मंजूरी दे दी है.
Bhavantar Yojana got approval in the cabinet meeting

मध्य प्रदेश कैबिनेट बैठक

MP Cabinet Meeting: सीएम मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में कैबिनेट बैठक हुई. सोयाबीन उत्पादक किसानों को बड़ी सौगात देते हुए कैबिनेट मीटिंग में भावांतर योजना को हरी झंडी दिखा दी गई है. कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी.

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि भावांतर योजना के तहत सोयाबीन का MSP 5328 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है. मार्केट का रेट कम होता है, इस बार रेट करीब-करीब बराबर है. किसानों को नुकसान ना हो, किसानों को एमएसपी पर ही भाव मिले, इसी वजह से भावांतर योजना प्रारंभ की गई है. पूरे प्रदेश की कृषि उपज मंडियों से मॉडल रेट निकाले जाएंगे फिर इनका औसत किया जाएगा. फिर भावांतर और एमएसपी के बीच का रेट किसानों को मिलेगा.

श्रीअन्न फेडरेशन का गठन किया जाएगा

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि पहले कोदो-कुटकी 2 से 3 रुपये किलो मिला करता था. ये वहीं होता है जहां पानी की कमी होती है. पीएम मोदी ने इसका प्रसार-प्रचार किया और पूरी दुनिया में इसका रेट बढ़वाया है. आज कल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग कोदी-कुटकी खा रहे हैं, उन्होंने गेहूं छोड़ दिया है.

उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश के 11 जिलों में कोदो-कुटकी होता है. इस फसल का सही रेट मिले और किसानों का खेती के प्रति प्रोत्साहन बढ़े, इसलिए कुटकी का रेट 3500 रुपये प्रति क्विंटल और कोदो का रेट 2500 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. राज्य सरकार श्री अन्न फेडरेशन का निर्माण करेगी, जो कोदो-कुटकी का प्रमोशन, मार्केटिंग और वैल्यू एडिशन का काम करेगी.

रेशम उत्पादन के लिए लागत मूल्य बढ़ा

पहले राज्य सरकार रेशम के उत्पादन के लिए प्रति एकड़ लागत मूल्य 3.65 लाख मानती थी, अब इसे 5 लाख कर दिया गया है. कैबिनेट मंत्री ने कहा कि रेशम समृद्धि योजना अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा प्रति एकड़ लागत मूल्य में वृद्धि की गई है। साथ ही किसानों की अंश राशि को कम कर दिया गया है, ताकि आम किसान भी इससे जुड़ सकें.

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