69000 शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों का फूटा गुस्सा, लखनऊ में मंत्री का आवास घेरकर की नारेबाजी
लखनऊ में शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन
69000 teacher recruitment: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शनिवार को 69 हजार शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के घर का घेराव कर दिया. इस दौरान जमकर नारेबाजी भी की. दरअसल, सभी अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं होने से नाराज चल रहे थे, जिसके विरोध में धरना प्रदर्शन किया. मौके पर मौजूद पुलिस की टीम ने अभ्यर्थियों को समझाइश देकर वहां से हटाया और ईको गार्डन भेज दिया.
शिक्षकों ने भर्ती परीक्षा में आरक्षण में भेदभाव का आरोप लगाते हुए कई बार विरोध प्रदर्शन किया. इससे पहले भी अभ्यर्थियों द्वारा शिक्षा मंत्री संदीप सिंह और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के घर का घेराव किया जा चुका है.अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में हमारा पक्ष नहीं रख रही है.हाईकोर्ट से फैसला हमारे पक्ष में आया है, फिर भी हमें न्याय नहीं मिला. मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
5 सालों से भटक रहे अभ्यर्थी
अभ्यर्थियों ने हाथों में पोस्टर बैनर लेकर प्रदेश सरकार से मामले की पैरवी करने की मांग की है. उनका आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार की लचर पैरवी की वजह से नियुक्ति नहीं मिल पा रही है. इसलिए अभ्यर्थियों को पिछले 5 वर्षों से रोजगार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. घर पहुंचे अभ्यर्थियों को शिक्षा मंत्री से भी मिलने नहीं दिया गया. वहां से खाली हाथ ही लौटना पड़ा।
भर्ती में आरक्षित वर्ग के साथ अन्याय का आरोप
प्रदर्शन में शामिल कई अभ्यर्थियों ने बताया कि सरकार हाईकोर्ट के फैसले को जानबूझकर लटका दिया है. अगर सरकार चाहे तो हाईकोर्ट के डबल बेंच के फैसले को लागू कर हमें न्याय दिला सकती है.इतना ही नहीं जब यह भर्ती हुई थी तो परिणाम में भी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया.
28 अक्टूबर को होनी है सुनवाई
अभ्यर्थियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में 28 अक्टूबर को सुनवाई होनी है. सरकार में हमारी मांग है कि सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता भेजकर हमारे पक्ष में सुनवाई कराई जाए, ताकि हमें न्याय मिल सके. सुनवाई नहीं होने से हम सभी परेशान हो रहे हैं. जबकि हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा हमारे पक्ष में फैसला सुनाया जा चुका है.अभ्यर्थियों का सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस के माध्यम से आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है. जबकि हम ऐसा होने नहीं देंगे.