ग्वालियर में मध्य प्रदेश का इकलौता कार्तिकेय मंदिर, 400 साल पुराने मंदिर में लगता है भक्तों का तांता, साल में एक बार होते हैं दर्शन
कार्तिकेय मंदिर, ग्वालियर (फाइल तस्वीर)
Gwalior Kartikeya Temple: हिंदू मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस दिन हिंदू धर्म को मानने वाले दीपदान करते हैं. भगवान विष्णु, शिव और कार्तिकेय की पूजा करते हैं. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में राज्य का इकलौता कार्तिकेय मंदिर है. यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन भक्तों का तांता लगता है. प्रदेश से ही नहीं देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
साल में एक बार खुलते हैं कपाट
ग्वालियर में स्थित कार्तिकेय मंदिर के पट साल में एक बार दर्शन के लिए खुलते हैं और वो भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन. मंदिर के कपाट 24 घंटों तक खुले रहते हैं. बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. आधी रात से भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है. जहां अन्य मंदिरों के कपाट ब्रह्म मुहूर्त के समय खोले जाते हैं वहीं कार्तिकेय मंदिर के कपाट रात 12 बजे के बाद ही खोल दिए जाते हैं.
400 साल पुराना है मंदिर का इतिहास
कार्तिकेय मंदिर का निर्माण 400 साल पहले करवाया गया था. सिंधिया शासन के समय इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया. ये मंदिर ग्वालियर शहर के जीवाजीगंज में स्थित है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन एमपी के अलावा यूपी, राजस्थान और गुजरात से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. यहां देवी गंगा, जमुना, सरस्वती, भगवान हनुमान, वेणीमाधव और लक्ष्मी नारायण की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं.
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क्या कहती है प्रथा की कहानी?
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान शिव और पार्वती ने भगवान गणेश और कार्तिकेय से कहा कि जो भी ब्रह्मांड की पहले परिक्रमा करके आएगा, उसकी शादी पहले होगी. जहां कार्तिकेय भगवान ब्रह्मांड की परिक्रमा करने निकल गए, वहीं भगवान गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा के बैठ गए. जब उन्हें इस बात की जानकारी जब तो वे नाराज होकर रूठ गए. इस पर भगवान शिव और माता पार्वती ने उन्हें मनाने की कोशिश. वहीं श्राप में कहा कि जो भी उनके दर्शन करेगा, सात जन्मों तक नरक भोगेगा. इस पर माता पार्वती और भगवान शिव ने वरदान देते हुए कहा कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो भी व्यक्ति भगवान कार्तिकेय के दर्शन उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.