बिहार चुनाव में रिकॉर्ड 65% से भी ज्यादा वोटिंग, बंपर वोटिंग से किसकी बढ़ेगी टेंशन?

Bihar Chunav News: बिहार में इस बार रिकॉर्ड वोटिंग हुई है. जहां एक ओर इससे कुछ दलों में खुशी की लहर है तो वहीं कुछ की चिंता बढ़ी हुई है.
Bihar Assembly Election voters standing in long queues during record high turnout

बिहार में बढ़ी वोटिंग ने सभी दलों की बढ़ा दी टेंशन!

Bihar Voting Analysis: बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर बंपर वोटिंग हुई. चुनाव आयोग ने अपना फाइनल आंकड़ा जारी कर दिया है, जिसके अनुसार 65.08 प्रतिशत मतदान हुआ. वहीं पिछले विधानसभा चुनाव की अगर बात की जाए तो कुल 57.29 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जो करीब 8 प्रतिशत अधिक है. इस बार हुई रिकॉर्ड वोटिंग को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं. जहां एक ओर वोटिंग प्रतिशत बढ़ने को लेकर खुशी जाहिर कर रहे हैं तो कुछ दलों को इससे टेंशन बढ़ती नजर आ रही है.

अक्सर देखा जाता है कि जब भी चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ता या घटता हो तो उसके कई मायने निकाले जाते हैं. हालांकि चुनाव परिणाम हमेशा अनिश्चित रहते हैं लेकिन बंपर वोटिंग को देखते हुए लहर या बदलाव की संभावना से जोड़कर देखा जाता है. जनता किसे चुनती है यह तो उसके मूड पर ही निर्भर करता है.अब देखना यह होगा कि ज्यादा वोटिंग सत्ता परिवर्तन का संकेत हैं या सत्ता पक्ष प्रो इनकंबेंसी का वोट है. वहीं कुछ लोग इसे जनसुराज के क्रांति का उदय से जोड़कर देख रहे हैं.

सभी दल कर रहे जीत का दावा

बिहार में बढ़ी हुई वोटिंग को लेकर जहां महागठबंधन दल के सीएम उम्मीदवार अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार से जनता त्रस्त हो गई है, इसलिए इसे बदलना चाह रही है. तो वहीं केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि बिहार के लोग सुशासन की सरकार को पसंद कर रहे हैं. नीतीश कुमार को सीएम बनाना चाह रहे हैं. इसलिए लोग बढ़-चढ़कर वोटिंग कर रहे हैं. इस चुनाव में एक फैक्टर जनसुराज पार्टी भी है. वैसे तो जनसुराज पार्टी पहली बार अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारी है लेकिन बढ़ती लोकप्रियता ने सभी दलों की चिंता बढ़ा दी है. जनसुराज के मुखिया प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार की जनता अब सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का राज देख चुकी है. इसलिए वह विकल्प के तौर पर जनसुराज को चुन रही है. यही कारण है कि इस बार काफी वोटिंग हुई है.

क्यों बढ़ी होगी वोटिंग?

बिहार में SIR के बाद पहली बार चुनाव हुआ है, जिसमें करीब 65 लाख मतदाताओं के सूची से नाम हटाए गए हैं. वहीं इस बार करीब 5 लाख मतदाता बढ़े हैं. वोटिंग प्रतिशत बढ़ने की कई वजहें हो सकती हैं. जैसे 65 लाख मतदाता सूची से बाहर हो गए, जिनका नाम सूची में तो था लेकिन वे मतदान करने नहीं जाते थे. इस बार युवाओं ने भी अपना नाम सूची में जुड़वाकर पूरे जोश के साथ भाग लिया है. शायद यही वजह हो सकती है कि वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोत्तरी हुई हो.

5 प्रतिशत से अधिक वोटिंग पर 3 बार बदली सत्ता

इस बार के विधानसभा चुनाव में पिछली बार की अपेक्षा करीब 8 प्रतिशत ज्यादा वोटिंग हुई है. बिहार के चुनाव में कई बार ऐसा देखा गया है कि जब भी 5 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई है तो सत्ता परिवर्तन जरूर हुई है. इसकी शुरुआत 1967 से हुई थी. बिहार में यह पहली बार था जब किसी गैर-कांग्रेसी दलों ने सरकार बनाई थी. इसके बाद 1980 में यही देखा गया. विधानसभा चुनाव में पिछली बार से करीब 7 प्रतिशत ज्यादा मतदान हुआ था. जिसके बाद पहली बार लालू यादव की सरकार बनी थी. यही 1990 में भी दोहराया गया, इस दौरान भी बिहार में पिछली बार की अपेक्षा 5.8 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. जिसके बाद बिहार की सत्ता बदल गई थी. अब एक फिर 5 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई है.

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