आजादी के बाद से बिहार के इन गांवों में नहीं डला एक भी वोट, इस बार चुनाव आयोग ने की है खास तैयारी
प्रतीकात्मक तस्वीर
Bihar Election 2025: देश को आजाद हुए 77 साल हो गए, इन 77 सालों में कई चुनाव हुए, कई सरकारें बनीं और बदल गईं, लेकिन जमुई जिले के कुछ गांवों में रहने वाले लोगों के लिए अपने गांव में वोट डालना सिर्फ एक सपना था. अब जाकर उनका यह सपना सच होने जा रहा है. जी हां, जमुई के चार अति-नक्सल प्रभावित गांवों में आजादी के 77 साल बाद पहली बार मतदान केंद्र बनाया गया है.
20 किलोमीटर की मुश्किल डगर
सोचिए, लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के लिए आपको 20 किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़े? जमुई के चिहरा थाना क्षेत्र के गगनपुर, बिदली, राजाडुमर और मंझलाडीह गांवों के लोगों को हर चुनाव में इसी मुश्किल का सामना करना पड़ता था. इन गांवों के मतदान केंद्रों को हर बार सुरक्षा कारणों से दूर, सुरक्षित इलाकों में ‘ट्रांसफर’ कर दिया जाता था. यानी वोट देने का अधिकार तो था, पर सुविधा के नाम पर शून्य. खासकर बुजुर्गों और महिलाओं के लिए तो यह दूरी अक्सर वोट न दे पाने का कारण बन जाती थी.
क्यों नहीं बनता था बूथ?
इन गांवों में बूथ न बनने का मुख्य कारण था,अत्यंत नक्सल प्रभावित क्षेत्र होना. सुरक्षा एजेंसियां हमेशा यह मानती थीं कि यहां चुनाव करवाना खतरे से खाली नहीं होगा, इसीलिए हर बार मतदान केंद्र को कहीं और ले जाया जाता था. एक तरह से, इन गांवों के निवासियों को नक्सलवाद की वजह से उनके एक मूलभूत लोकतांत्रिक अधिकार के पूर्ण उपयोग से वंचित रखा जा रहा था.
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अब घर पर बजेगी लोकतंत्र की शहनाई!
लेकिन इस बार कहानी बदल गई है. प्रशासन ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए इन चारों गांवों में पहली बार मतदान केंद्र स्थापित किए हैं. यह सिर्फ एक बूथ नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की जीत का प्रतीक है. इस महत्वपूर्ण अवसर पर, पुलिस अधीक्षक (SP) विश्वजीत दयाल खुद इन गांवों में पहुंचे. उन्होंने न सिर्फ सुरक्षा तैयारियों का जायजा लिया, बल्कि ग्रामीणों के बीच बैठकर उनसे बात भी की. SP दयाल ने लोगों को भरोसा दिलाया कि प्रशासन हर मतदाता को इस महापर्व में शामिल करना चाहता है और किसी को भी डरने या झिझकने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, “पूरी व्यवस्था की गई है, सघन गश्ती होगी, आप सब निर्भीक होकर मतदान करें.”
ग्रामीणों में जबरदस्त उत्साह
अपने गांव में पुलिस टीम को देखकर ग्रामीणों का उत्साह देखने लायक था. गगनपुर के निवासी पप्पू यादव ने बताया, “मैं 2009 से वोट डाल रहा हूं, लेकिन आज तक अपने गांव में वोट डालने का मौका नहीं मिला. हर बार दूसरे गांव जाना पड़ता था. अब गांव में ही बूथ बन गया है, यह हम सबके लिए बहुत खुशी की बात है.” उन्होंने आगे कहा कि अब बुजुर्ग और महिलाएं भी आसानी से वोट डाल पाएंगी.
एसपी विश्वजीत दयाल ने साफ कर दिया कि पुलिस का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी नागरिक डर या झिझक के कारण वोट देने से वंचित न रहे. जमुई के ये चार गांव अब सिर्फ नक्सल प्रभावित क्षेत्र नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आस्था का नया केंद्र बन गए हैं. 77 साल का लंबा इंतजार अब खत्म हो गया है और इस बार इन गांवों के लोग न सिर्फ अपने गांव में वोट डालेंगे, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नया अध्याय भी लिखेंगे.