MP News: शहडोल में पेंट और ड्रायफ्रूट के बाद अब ‘कंप्यूटर कांड’, एक ही दिन में 2 बिल और दो दाम!
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Input: कैलाश लालवानी
MP News: घोटालों के मामले में सुर्खियों में रहने वाले शहडोल जिले में एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है. कभी 24 लीटर पेंट में 443 मजदूरों और 215 मिस्त्रियों के नाम जोड़ने का कारनामा, तो कभी एक घंटे में 14 किलो ड्रायफ्रूट उड़ाने वाले अफसरों की करतूत, अब इस कड़ी में नया नाम ‘कंप्यूटर घोटाले’ का जुड़ गया है.
जानकारी के अनुसार, जनपद पंचायत ब्यौहारी की मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) कल्पना यादव ने रीवा की एक फर्म से कुल 5 कंप्यूटर खरीदे हैं, जिन पर करीब 4 लाख 4 हजार रुपए का भुगतान किया गया. चौंकाने वाली बात यह है कि यह भुगतान एक ही दिन, एक ही फर्म को दो अलग-अलग आदेशों में किया गया.
लापरवाही या सोची-समझी ‘डील’?
पहले आदेश (क्रमांक 1268 दिनांक 16/10/2025) के तहत 2 कंप्यूटर सेट के लिए 1,84,788 रुपये, जबकि दूसरे आदेश (क्रमांक 1269 दिनांक 16/10/2025) में 3 कंप्यूटर सेट के लिए 2,19,488 रुपये का बिल जारी किया गया. कुल खर्च 4,04,276 रुपये दिखाया गया. दोनों आदेशों पर सीईओ कल्पना यादव के हस्ताक्षर मौजूद हैं. अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह महंगी खरीददारी लापरवाही थी या किसी सोची-समझी डील का हिस्सा?
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक यह पूरा भुगतान ई-पेमेंट सिस्टम से हुआ है और लेन-देन पंचायत दरपण पोर्टल 5.2 पर दर्ज है। अब पंचायत गलियारों में चर्चा गर्म है कि कहीं यह “सिस्टम की आड़ में की गई स्मार्ट लूट” तो नहीं?
इतनी ऊंची दरों पर खरीदारी क्यों?
विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में समान स्पेसिफिकेशन वाले ऑल-इन-वन कंप्यूटर आधी कीमत में आसानी से उपलब्ध हैं. फिर इतनी ऊंची दरों पर खरीदारी क्यों की गई? क्या ये कंप्यूटर सोने के बने थे या फिर मुनाफे का ‘प्रोसेसर’ कहीं और चल रहा था.
शहडोल में यह पहला मामला नहीं है. पेंट घोटाले से लेकर ड्रायफ्रूट और निर्माण कार्यों तक, सरकारी फाइलों में करोड़ों रुपये के खेल पहले ही उजागर हो चुके हैं. जनता का कहना है कि अगर ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई न हुई तो ‘जनपद घोटाला सिंडिकेट’ बनते देर नहीं लगेगी.
इस बीच, जब इस मामले पर सीईओ कल्पना यादव से सवाल किया गया, तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि आप अमेजन या ऑनलाइन देख लीजिए, ऑल-इन-वन कंप्यूटर इतने ही आते हैं. इसके साथ मॉनिटर, प्रिंटर और यूपीएस भी शामिल है। सिस्टम नहीं थे इसलिए खरीदे गए.
मामले में क्या होगी कार्रवाई?
लेकिन सवाल अब भी बरकरार है, क्या वाकई यह खरीदारी ‘जरूरत’ थी या फिर ‘सुविधा’ के नाम पर नई सेटिंग? अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि शहडोल प्रशासन इस नए कंप्यूटर घोटाले पर क्या कदम उठाता है, क्या कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी पेंट और ड्रायफ्रूट की तरह फाइलों में ‘सेव’ हो जाएगा?
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