कोर्ट में ग्वालियर के 81 साल के बुजुर्ग की 12 साल लंबी जंग! रेलवे ने स्वीकारी गलती, मिला न्याय, जानें क्या है मामला

MP News: आगरा रेलवे स्टेशन पहुंचने पर रामसेवक गुप्ता ने स्टेशन प्रबंधक को इस बारे में लिखित शिकायत की. शिकायत में बुजुर्ग ने मांग की, या तो उसे टिकट के पैसे लौटाए जाएं या अन्य ट्रेन से अहमदाबाद जाने की व्यवस्था की जाए.
Gwalior Court imposes fine on railways for train delay 81-year-old man gets justice.

सांकेतिक तस्वीर

MP News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले 81 साल के रामसेवक गुप्ता को 12 साल बाद न्याय मिला है. जहां एक ओर रेलवे ने गलती स्वीकार करते हुए कोर्ट से मामला वापस ले लिया है. वहीं, न्यायालय ने रेलवे पर जुर्माना भी लगाया है. ट्रेन की लेटलतीफी को लेकर बुजुर्ग ने रेलवे के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था, अब जाकर उन्हें न्याय मिला है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, साल 2013 में ग्वालियर में रहने वाले 81 साल के बुजुर्ग रामसेवक गुप्ता अपने बेटे के साथ शताब्दी एक्सप्रेस से आगरा जा रहे थे. उन्हें आगरा से अहमदाबाद फोर्ट एक्सप्रेस में बोर्ड करना था, लेकिन शताब्दी एक्सप्रेस आगरा पहुंचने में 2.30 घंटे लेट हो गई. इस वजह से उनकी अहमदाबाद वाली ट्रेन छूट गई.

टिकट के पैसे मांगे

आगरा रेलवे स्टेशन पहुंचने पर रामसेवक गुप्ता ने स्टेशन प्रबंधक को इस बारे में लिखित शिकायत की. शिकायत में बुजुर्ग ने मांग की, या तो उसे टिकट के पैसे लौटाए जाएं या अन्य ट्रेन से अहमदाबाद जाने की व्यवस्था की जाए. स्टेशन प्रबंधक ने टिकट के पैसे देने से मना कर दिया और कहा कि आपने ई-टिकट की है, पैसे वापस नहीं किए जाएंगे.

RTI में सच आया सामने

ग्वालियर के 81 साल के बुजुर्ग को जब टिकट के बदले पैसे नहीं मिले तो वे उपभोक्ता फोरम पहुंच गए. यहां कोर्ट में रेलवे ने दावा किया कि ट्रेन के SLR कोच में आग लग गई थी, इस वजह से देरी हुई. पीड़ित बुजुर्ग ने RTI के माध्यम से बताया कि आग राजधानी एक्सप्रेस में लगी थी,ना कि शताब्दी में. इसके बावजूद भी याचिका खारिज हो गई.

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इसके बाद पीड़ित ने राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतिपोषण आयोग में गुहार लगाई. यहां से बुजुर्ग को न्याय मिला रेलवे ने केस वापस ले लिया और गलती स्वीकार कर ली. आयोग ने रेलवे को 15 हजार रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया, वहीं राष्ट्रीय आयोग ने सुनवाई में गैरहाजिरी पर 10 हजार रुपये अतिरिक्त कॉस्ट लगाई.

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