बिहार में RJD के लिए MY समीकरण भी फेल, इन 3 वजहों से नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी छोड़ सकते हैं तेजस्वी!
RJD नेता तेजस्वी यादव (फाइल इमेज)
Bihar Politics 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद यह तय हो गया कि एनडीए की सरकार बनेगी. यानी महागठबंधन फिर विपक्ष की भूमिका में रहेगी. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा? वैसे तो विपक्ष में सबसे ज्यादा सीट RJD के पास है. लेकिन चर्चा है कि इस बार तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष नहीं बनेंगे. कुर्सी सुरक्षित होने के बाद भी तेजस्वी नेता प्रतिपक्ष क्यों नहीं बनना चाहते हैं, ऐसे में यह जानना जरूरी है.
बता दें, इससे पहले तेजस्वी यादव पहली बार 2017 में RJD की ओर से नेता प्रतिपक्ष नियुक्त हुए थे. इसके बाद जब 2024 में सरकार गिर गई तो एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठ गए. नेता प्रतिपक्ष विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के विधायकों के नेता होते हैं. बिहार में नेता प्रतिपक्ष को मंत्री का दर्जा प्राप्त है. इसके अलावा सदन के कई समितियों के अध्यक्ष भी होते हैं. तेजस्वी के नेता प्रतिपक्ष पद न लेने की 3 वजहें सामने आ रही हैं.
खोई जमीन को वापस लाना तेजस्वी के लिए चुनौती
चुनाव परिणाम में आरजेडी के करारी हार मिली है. कई इलाकों में तो सूपड़ा साफ हो गया है. जहां पहले आरजेडी काफी मजबूत थी, इस बार वहां भी काफी झटका मिला है. इसमें आरजेडी के बड़े-बड़े दिग्गज भी अपनी सीट नहीं निकाल पाए. यानी आरजेडी के कोर वोटरों ने भी इस बार दूरी बनाए रखी. नतीजों के बाद तेजस्वी को अपनी असली जमीन पता चल गई. अब उनको अपनी खोई हुई जमीन पर काम करने की जरूरत है. इसलिए अब वो केवल संगठन में रहकर पार्टी के लिए मजबूती से काम करना चाह रहे हैं.
ये भी पढ़ें: बिहार में 1300 KM की यात्रा करने वाले राहुल को 13 सीटें भी नहीं मिली, जहां से गुजरे वहां MGB का हो गया सफाया!
नेता प्रतिपक्ष के बाद कोई नेता सीधे नहीं बना सीएम
नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर एक चर्चा ये भी है कि जब भी कोई नेता इस पद पर नियुक्त हुआ, वो सीधे सीएम नहीं बन पाया. ऐसे कई नाम हैं, जिसमें कर्पूरी ठाकुर, लालू यादव, अनूप लाल, जगन्नाथ मिश्र, रामश्रय प्रसाद सिंह, सुशील कुमार मोदी, उपेंद्र कुशवाहा, राबड़ी देवी, अब्दुल बारी सिद्दीकी, नंदकिशोर यादव, प्रेम कुमार और अब तेजस्वी यादव का नाम शामिल है. ये ऐसे नेता हैं, जो नेता प्रतिपक्ष के बाद सीधे सीएम नहीं पाए. इसलिए इसे टोटके के रूप में देखा जा रहा है.
M-Y समीकरण भी फेल
तीसरा कारण यह है कि आरजेडी की पहचान और कोर वोटर्स यादव और मुस्लिम (M-Y समीकरण) माने जाते हैं. लेकिन इस चुनाव में वो भी साथ नहीं दिखे. आरजेडी नए समीकरण साधने के चक्कर में पुराने कोर वोटरों से भी दूरी बना ली. जिसके कारण महागठबंधन की करारी हार हुई. चर्चा है कि आरजेडी अब नए समीकरण साधने के लिए बड़ा फैसला ले सकती है. इसके लिए नेता प्रतिपक्ष के पद पर किसी नए नेता और दूसरी जाति के नेताओं को नियुक्ति किया जा सकता है.