Bhopal: एमपी के सबसे प्रदूषित शहरों में भोपाल दूसरे नंबर पर, निगम ने रेस्टोरेंट पर ठोका 10 हजार का जुर्माना

MP News: जोन-8 की टीम ने बिट्टन मार्केट के बापू की कुटिया रेस्टोरेंट में तंदूर के उपयोग को लेकर 10 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया.
Pollution increased in Bhopal

भोपाल बना प्रदेश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर

Bhopal News: राजधानी भोपाल में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बिगड़ता जा रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लाइव मॉनिटरिंग रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश के लगभग 98 फीसदी शहर पीएम 2.5 कणों के बढ़े हुए स्तर से जूझ रहे हैं. इस सूची में सिंगरौली सबसे ऊपर है, जबकि भोपाल दूसरे स्थान पर पहुंच चुका है. इसी बढ़ते खतरे को देखते हुए नगर निगम की सक्रियता भी तेज़ हो गई है.

नगर निगम ने दिखाई सख्‍ती

बुधवार को निगम की सहायक आयुक्त कीर्ति चौहान और जोन-8 की टीम ने बिट्टन मार्केट के बापू की कुटिया रेस्टोरेंट में तंदूर के उपयोग को लेकर 10 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया. तंदूर से निकलने वाला धुआं शहर की हवा को और खराब कर रहा है, इसलिए कई दिनों से ऐसे प्रतिष्ठानों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है.

इसके साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ भी सख्ती दिखाई गई. कुल 193 मामलों में 58,350 रुपये का जुर्माना वसूला गया. वहीं निर्माण और विध्वंस कचरा फैलाने पर चार मामलों से 3,250 रुपये की वसूली हुई. निगम ने स्पष्ट किया है कि प्रदूषण स्तर को नियंत्रण में लाने के लिए आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी.

मध्‍य प्रदेश में प्रदूषण की स्थिति बिगड़ी

मध्य प्रदेश में प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ते हुए अब खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. राजधानी भोपाल भी इस समय गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में है. सिंगरौली को प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर दर्ज किया गया है, जहां ट्रॉमा सेंटर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 356 पहुंच गया. भोपाल में भी हालात चिंताजनक हैं. टीटी नगर में AQI 347, कलेक्ट्रेट में 321 और पर्यावरण परिसर में 303 दर्ज किया गया, जो सभी Very Poor श्रेणी में आते हैं.

ग्वालियर में महाराज बाड़ा और डीडी नगर में AQI 308 व 309 तक पहुंचा, जबकि इंदौर के छोटी ग्वालटोली में वायु गुणवत्ता 304 दर्ज की गई. पीथमपुर, मंडीदीप और सागर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में भी AQI 300 से ऊपर रहा, जिससे राज्य के कई हिस्सों में दिल्ली जैसी स्थिति बन गई है.

निर्माण कार्यों और पराली से बढ़ रहा प्रदूषण

विशेषज्ञों के अनुसार, निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल और आसपास के इलाकों में पराली जलाने की घटनाएं प्रदूषण को बढ़ा रही हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक केवल इसी महीने भोपाल के आसपास 50 से ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. टूटी-फूटी सड़कें, खुले में पड़ा मलबा और वाहनों का धुआं भी हालात और बिगाड़ रहे हैं.

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ठंड बढ़ने के साथ रात में प्रदूषण और खतरनाक हो जाता है. इस दौरान धुआं और जहरीले कण ऊंचाई तक नहीं जा पाते और जमीन के करीब ही जमा रहते हैं. यही वजह है कि रात आठ बजे से तड़के चार बजे के बीच PM 2.5 का स्तर सबसे अधिक दर्ज किया जाता है, जिससे हवा और अधिक दूषित हो जाती है.

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