अगले महीने हो सकता है नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार! जानिए BJP और JDU के कितने विधायक मंत्री बनेंगे

जानकारी के मुताबिक राज्य में फिलहाल कुल 9 मंत्री पद खाली हैं, जिनमें जेडीयू के 6 और बीजेपी के 3 पद शामिल हैं. बताया जा रहा है कि जेडीयू अपने कोटे के खाली पदों को जल्दी भरने की रणनीति बना रही है, खासकर उन विधायकों को, जो जातिगत और सामाजिक समीकरण (social & caste arithmetic) में पार्टी की मजबूती बढ़ा सकें.
Bihar Chief Minister Nitish Kumar (File Photo)

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार(File Photo)

Cabinet expansion of Nitish government: बिहार में प्रचंड बहुमत के बाद एनडीए की सरकार बनने के बाद अब जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार देखने को मिल सकता है. जेडीयू(JDU) और बीजेपी(BJP) के नेतृत्व नीतीश सरकार में अगले महीने कैबिनेट विस्तार (cabinet expansion) की तैयारी जोरों पर है. जानकारी के मुताबिक जेडीयू अपने कोटे के खाली पदों को जल्दी भरने की रणनीति बना रही है.

JDU के 6 और BJP के 3 पद खाली

जानकारी के मुताबिक राज्य में फिलहाल कुल 9 मंत्री पद खाली हैं, जिनमें जेडीयू के 6 और बीजेपी के 3 पद शामिल हैं. बताया जा रहा है कि जेडीयू अपने कोटे के खाली पदों को जल्दी भरने की रणनीति बना रही है, खासकर उन विधायकों को, जो जातिगत और सामाजिक समीकरण (social & caste arithmetic) में पार्टी की मजबूती बढ़ा सकें.

क्यों पड़ रही है कैबिनेट विस्तार की जरूरत

बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 के बाद बनी नई सरकार ने कामकाज शुरू कर दिया है. सरकार में 36 मंत्रियों तक मंत्रिपरिषद का चयन किया जा सकता है, लेकिन अभी 9 पद खाली हैं. जेडीयू और बीजेपी दोनों ही अपने-अपने हिस्से से मंत्रियों की संख्या पूरी करना चाहते हैं, ताकि सत्ता संतुलन बना रहे और राज्य में शासन-कार्य सुचारू रहे. 

विशेषकर जेडीयू के लिए यह मौका महत्वपूर्ण है. पार्टी का जोर इस बार उन विधायकों पर है, जो कुशवाहा, EBC (बहु-पिछड़ा वर्ग) या अन्य OBC/सामाजिक समूहों से आते हैं. इससे पार्टी को सामाजिक आधार मजबूत करने और अगले चुनावों के लिए रणनीतिक लाभ लेने का मौका मिलेगा.

किन विधायकों पर है नजर

जानकारी मिल रही है कि जेडीयू वो चेहरे चुनना चाहती है, जो कुशवाहा जाति या EBC-वर्ग से हों.  माना जा रहा है कि इन सामाजिक-जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही नई सूची तैयार की जा रही है. पार्टी इस विस्तार के दौरान सामाजिक संतुलन के साथ-साथ राजनीतिक मजबूती दोनों हासिल करना चाहती है. जाहिर सी बात है कि इस विस्तार का मतलब सिर्फ पदों की भरपाई भर नहीं है. इससे राज्य में जातीय-सामाजिक समीकरण, सत्ता संतुलन और शक्ति वितरण की तस्वीर भी बदल सकती है.

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