Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में बन रहा है फूल और सब्जियों से हर्बल गुलाल, जानिए इसके फायदे और खासियत

Chhattisgarh: मंदिरों और फूलों के बाजार से निकलने वाली इस्तेमाल किए हुए फूल पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर गुलाल तैयार किया जा रहा है.
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हर्बल गुलाल बनाती महिलाएं

Chhattisgarh: 25 मार्च को पूरे देश में होली का पर्व मनाया जाएगा. हर साल होली के पर्व पर लोग एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाइयां देते हैं और एक दूसरे से गले मिलते हैं. ऐसे में लोग केमिकल युक्त गुलाल को लेकर काफी चिंतित रहते हैं. साथ ही लोगों को केमिकल गुलाल लगने से उनके चेहरे और त्वचा का नुकसान होने की भी संभावना बनी रहती है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में महिला समूह रंग-बिरंगी फूलों और सब्जियों से हर्बल गुलाब बनाने में जुट गई है. जिससे इस साल होली में लोगों के लिए इकोफ्रेंडली गुलाल उपलब्ध हो सके.

जानिए सब्जियों और फूलों से बने इस हर्बल गुलाल की खासियत

होली के त्योहार पर एक दूसरे को तरह-तरह के रंग लगाकर उत्साह के साथ लोग होली का पर्व मनाते हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के ग्राम डोकरपाली बिहान से जुड़ी ‘जय माता दी’ की स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है. हर्बल गुलाल लगाने से चेहरे पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे इन हर्बल गुलाल की कई विशेषताएं हैं. इसमें रंग और सुगंध के लिए फूलों का इस्तेमाल किया जा रहा है. किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जा रहा है, ताकि चेहरे को कोई नुकसान न हो सके.

हर्बल गुलाल बनाकर महिलाएं काम रही है हजारों रुपए

गुलाल बना रहे समूह की सदस्य चित्ररेखा दीवान ने बताया कि पिछले साल होली में 80 किलो हर्बल गुलाल महिलाओं ने बनाया था, जिससे 30 से 40 हजार रुपए की आमदनी समूह को हुई थी. होली के पर्व के समय बाजार में गुलाल की काफ़ी मांग बनी रहती है. उन्होंने कहा कि 10, 20 और 50 रुपए के हर्बल गुलाल के पैकेट बाजार में आसानी से बिक जाते हैं. हर्बल गुलाल बनाने के लिए पालक, लालभाजी, हल्दी, जड़ी, बुटी व फूलों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

कई रंगों के हर्बल गुलाल बनाए जा रहे हैं

बता दें कि मंदिरों और फूलों के बाजार से निकलने वाली इस्तेमाल किए हुए फूल पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर गुलाल तैयार किया जा रहा है. गुलाब, गेंदे, स्याही फूल के साथ चुकंदर, हल्दी, आम और अमरूद की हरी पत्तियां को भी प्रोसेस किया जाता है. इस बार भी लगभग 60 किलोग्राम गुलाल तैयार कर लिया गया है. जिसमें से आधी मात्रा बिक गई है. गुलाल अनेक रंगों में बनाए जा रहे है जिसमें हरा, गुलाबी, पीला, केसरिया गुलाल शामिल है.

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