क्या चुनाव आयोग में सबकुछ ठीक चल रहा है? जानें इनसाइड स्टोरी

1985 बैच के आईएएस अफसर अरुण गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और एक दिन बाद ही उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया था. उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि ‘आखिरकार जल्दबाजी’ क्या थी.
चुनाव आयुक्त

अरुण गोयल, राजीव कुमार ( फोटो-सोशल मीडिया)

Election 2024:  चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने 2024 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले शनिवार को इस्तीफा दे दिया. कानून मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आधिकारिक तौर पर गोयल का इस्तीफा तुरंत स्वीकार भी कर लिया. गोयल ने इस्तीफे में व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है. हालांकि, चर्चा ये भी है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त गोयल के बीच किसी फाइल को लेकर मतभेद था. अब गोयल के इस्तीफे के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या चुनाव आयोग में सबकुछ ठीक चल रहा है?

अरुण गोयल ने क्यों दिया इस्तीफा?

फिलहाल अरुण गोयल के इस्तीफे के कारणों का आधिकारिक रूप से कोई कारण नहीं बताया गया है. हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इशारा किया गया है कि ‘विभिन्न मुद्दों पर मतभेद’ थे और यह उनके इस्तीफे का एक कारण हो सकता है. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अरुण गोयल ने इस्तीफे में निजी कारणों का हवाला दिया है. लेकिन कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था.

बता दें कि  चुनाव आयोग में तीन चुनाव आयुक्त होते हैं, जिनमें से एक मुख्य चुनाव आयुक्त कहा जाता है. वर्तमान में राजीव कुमार भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त हैं. फरवरी में अनूप चंद्र पांडेय चुनाव आयुक्त के पद से रिटायर हुए हैं. उनकी जगह अब तक कोई भी नियुक्ति नहीं हो पाई है. वहीं अरुण गोयल ने अचानक इस्तीफ़ा दे दिया है. अब सिर्फ़ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही चुनाव आयोग में एकमात्र आयुक्त बचे हैं.

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गोयल की नियुक्ति पर उठे थे सवाल

1985 बैच के आईएएस अफसर अरुण गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. हालांकि, इसके अगले ही दिन उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया था. उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि ‘आखिरकार जल्दबाजी’ क्या थी. हालांकि इस याचिका को बाद में वर्ष 2023 में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने खारिज कर दिया था. कोर्ट के फैसले में कहा गया कि एक संविधान पीठ ने इस मुद्दे की जांच की थी, लेकिन अरुण गोयल की नियुक्ति को रद्द करने से इनकार कर दिया था.

अब आगे क्या होगा?

नए मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की शर्तें) अधिनियम-2023 के तहत केंद्र सरकार किसी भी वक्त कर सकती है. जानकारी के मुताबिक, गोयल के इस्तीफे के बाद केंद्र सरकार अब लोकसभा चुनाव से पहले दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कर सकती है. चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में दो समितियां शामिल होगीं. एक कानून मंत्री के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय खोज समिति, जिसमें दो सचिव स्तरीय अधिकारी भी शामिल रहेंगे.

इसके बाद सुझाए नामों में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय चयन समिति फैसला करेगी. इस समिति में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के अलावा एक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे. खोज समिति चयन समिति को पांच नामों की सिफारिश करेगी, हालांकि चयन समिति को इस सूची के बाहर से भी आयुक्तों का चयन करने का अधिकार है. इसके बाद चयन समिति द्वारा सुझाए व्यक्ति को राष्ट्रपति बतौर चुनाव आयुक्त नियुक्त करेंगी.

इन परिस्थितियों में गोयल का इस्तीफा

बताते चलें कि आम तौर पर भारत में अप्रैल-मई में आम चुनाव होते हैं, हालांकि अभी तक 2024 आम चुनावों के तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है. साल 2014 के चुनावी कार्यक्रम की घोषणा 5 मार्च 2014 को हो गई थी जबकि 2019 के चुनावी कार्यक्रम की घोषणा 10 मार्च को कर दी गई थी.ऐसे में ये माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों का कार्यक्रम जल्द ही घोषित किया जा सकता है. अरुण गोयल 5 मार्च को समीक्षा बैठक में हिस्सा लेने के लिए पश्चिम बंगाल गए थे लेकिन बीच में ही अचानक सेहत का हवाला देकर दिल्ली वापस आ गए. 8 मार्च को चुनावों के दौरान अर्धसैनिक बलों की तैनाती को लेकर बैठक थी, वो उस बैठक में नहीं गए बल्कि सीधे इस्तीफा दे दिया.

कांग्रेस ने उठाए सवाल?

बताते चलें कि अरुण गोयल के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस ने कई सवाल उठाए हैं. पार्टी महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि पिछले आठ महीने से इंडिया गठबंधन की पार्टियां चुनाव आयोग से समय मांग रही हैं. हमने वीवीपैट की है क्योंकि हमारे देश में ईवीएम का मतलब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मैनीपुलेशन है. चुनाव आयोग हमें समय नहीं दे रहा है और हमसे मिलने के लिए इनकार कर रहा है. एक निष्पक्ष और संवैधानिक संस्था टाइम देने से इनकार कर रही है. इस संस्था को निष्पक्ष होना चाहिए.

 

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