Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उतारे चार पूर्व CM, कांग्रेस बोली- पहले ही डर गई भाजपा
Lok Sabha Election: लोकसभा 2024 के चुनाव नजदीक आ रहे है. चुनाव के पास आते ही अब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के नेता एक दूसरे पर राजनैतिक बयानबाजी कर रहे है. हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के चार पूर्व मुख्यमंत्री को चुनाव में उतारने के सवाल पर प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि बीजेपी में हर नेता कार्यकर्ता है. इसमें प्रधानमंत्री भी कार्यकर्ता है मुख्यमंत्री भी कार्यकर्ता है इसलिए संगठन जो दायित्व देता है वह दायित्व निभाने के लिए हम सब तैयार रहते हैं, तो ऐसे कार्यकर्ता जो पूर्व में चार बार के मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्हें संगठन ने अवसर दिया है कि लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी के तौर पर वह चुनाव लड़ें और बीजेपी के लिए जीत दर्ज करें. भाजपा का सिद्धांत स्पष्ट है नाम कमल और पहचान कमल.
साथ ही इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को चुनावी मैदान में उतरने के सियासी मायने को लेकर पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि भाजपा में हर किसी का सियासी भविष्य उज्जवल है और भाजपा का सिद्धांत स्पष्ट है. 10 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जबरदस्त विकास कार्य किया है और अगले 25 साल का सशक्त भारत का विजन है 2047 तक भारत विश्व गुरु बने इस भाव के साथ पूरी भारतीय जनता पार्टी काम कर रही है.
ये भी पढ़े: मुहाने पर लोकसभा चुनाव 2024, युवा वोटरों को लुभाने के लिए अग्निवीर योजना पर राजनीतिक दलों के बीच घमासान
BJP ने शिवराज सिंह चौहान की क्या गति बनाई पूरे प्रदेश ने देखा: कांग्रेस उपाध्यक्ष राजीव सिंह
इसी सवाल के जवाब में कांग्रेस के उपाध्यक्ष राजीव सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की लिस्ट में हम कुछ नहीं कह सकते किसको उतारे हैं किसको नहीं उतार रहे, लेकिन देश की जनता का मन लगता है उन्होंने पढ़ लिया है. इसलिए अपने दिग्गजों को उतारना पड़ा. मुख्यमंत्री को उतारने का मतलब यह है कि भारतीय जनता पार्टी का जो कार्यकर्ता है. नीचे से जो काम कर रहे हैं, उनकी उपेक्षा करते हुए उन्होंने सीनियर लीडर को उतारा है, उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल कैसा रहा. उन्होंने जनता के लिए क्या किया है. एक कार्यकर्ता की हमेशा इच्छा रहती है कि उनको टिकट मिले, पदाधिकारी की इच्छा रहती है उनको टिकट मिले, लेकिन वापस अगर आप उनको टिकट दे रहे हैं जो ऑलरेडी मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका मतलब कहीं ना कहीं यह है कि चुनाव परिणाम विपरीत आ सकते हैं इसलिए दिग्गजों को उतार रहे हैं. साथ में उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी शिवराज सिंह चौहान की क्या गति बनाई है पूरे प्रदेश ने देखा है. किस तरह पूरे विधानसभा चुनाव के पहले शिवराज जी चेहरा थे. यहां पर उनको ही आगे रखकर जितनी भी बैठक हुई की गई. लेकिन जब बहुमत आया उनको बाहर किया गया है. मुझे लगता है कि ऐसा किसी भी राजनीतिक नेता के साथ मध्य प्रदेश के इतिहास में नहीं हुआ होगा.
इस सबके बीच वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता ने इस पूरे मामले पर कहा कि राज्यों में जिस तरह से लीडरशिप की बात होती है. जेनरेशन चेंज की बात होती है, केंद्र में अनुभवी चेहरों की जरूरत होती है तो यह इस प्रक्रिया का हिस्सा है. कई बार लोकसभा क्षेत्र में क्षेत्रीय समीकरण बैठने के लिए ऐसे नेता की आवश्यकता हो जाती है. चाहे वह कास्ट का मामला हो या आसपास दूसरे लोकसभा क्षेत्र में प्रभावित करने का मामला हो बहुत सारे कारण होते हैं इनके चलते पूर्व मुख्यमंत्रियों को चुनाव में उतारा गया है.