MP News: सवालों के घेरे में ग्वालियर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, 8 सालों में पूरी हुई सिर्फ आधी परियोजनाएं
ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्मार्ट सिटी द्वारा कराए जा रहे कार्यों पर अब सवाल उठने लगे हैं निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच कराए जाने को लेकर निगम सभापति ने निगम कमिश्नर, कलेक्टर, पीएस-सचिव तक को पत्र भेजा है, अब CM और PM को इस संबंध में शिकायत भेजी जा रही है. वहीं बीजेपी- कांग्रेस पार्षदों के साथ-साथ ग्वालियर के बीजेपी सांसद भी स्मार्ट सिटी के कार्यों को लेकर अपनी नाराजगी दिखा चुके हैं.
शहर को जब से स्मार्ट सिटी के रूप में चुना गया है तब से स्मार्ट सिटी के CEO तो कई बदले लेकिन काम करने के तरीके में कोई बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए शहर के जन प्रतिनिधि स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर मुखर हैं और स्मार्ट सिटी द्वारा शहर में कराए गए निर्माण कार्यों की जांच के लिए परिषद में पहले बीजेपी कांग्रेस पार्षदों ने हंगामा किया. परिषद में मामला लाकर सभापति से शिकायत की गई. निगम सभापति मनोज तोमर ने निगम कमिश्नर, कलेक्टर और प्रदेश के नगरीय प्रशासन प्रमुख सचिव, शहरी विकास मंत्रालय सचिव को पत्र भेजकर जांच की मांग की है, साथ ही स्मार्ट सिटी द्वारा कराए गए कार्यों को हैंडओवर लेने के लिए निगम कमिश्नर हर्ष सिंह को कहा है. इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्र द्वारा स्मार्ट सिटी के कार्यों की जानकारी दी गई है.
8 सालों में पूरी हुई सिर्फ आधी परियोजनांए
ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन लगभग 8 सालों में सिर्फ आधी परियोजनाओं को ही पूरा कर पाया है. जो परियोजनाएं पूरी हुई हैं, उनमें से कई बंद हो गईं और प्रचार-प्रसार के अभाव में कईयों की जानकारी ही लोगों को नहीं है. वहीं गोरखी स्कूल, अटल म्यूजियम, स्मार्ट टायलेट्स कैफे, महाराज बाड़ा की इमारतों का फसाड लाइटिंग के अलावा रीजनल आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर जैसे प्रोजेक्ट सफल हुए हैं. स्मार्ट सिटी के कार्यों को लेकर की गई शिकायत पर स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर का कहना है कि इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है और किस आधार पर उन्होंने शिकायत की है. इसको लेकर मैं कुछ नहीं बोल पाऊंगी, लेकिन गुणवत्ता की हम निरंतर जांच करते हैं और जो कार्य किया जा रहे हैं वह गुणवत्ता के आधार पर ही किया जा रहे हैं.
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वह प्रोजेक्ट है जिनकी दुर्गति हुई
वन सिटी वन एप को बनाने में लगभग 39 लाख खर्च हुए. इतनी बड़ी रकम खर्च कर तैयार कराए गए इस एप में शहर की कोई विशेष जानकारी नहीं है. जिस वजह से पब्लिक इस एप को यूज नही करती.
पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट में भी लगभग 5.62 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. अब यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से फ्लाप हो चुका है अब साइकिलें जंग और धूल खा रही हैं.
स्मार्ट सिटी बस के द्वारा सूत्र सेवा का संचालन किया जाना था. जिसमें आसपास के क्षेत्र में बस चलाई जानी थी. लेकिन अब बस सेवा प्रोजेक्ट के हालात यह है कि तय रूट पर बसें 1 महीने से ज्यादा नहीं चल सकीं.
स्मार्ट रोड प्रोजेक्ट में सिर्फ सिर्फ थीम रोड पर ही काम हो सका. 10 किमी लंबी सड़कों को डिस्कोप किया गया. इस प्रोजेक्ट में भी लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च आया
स्मार्ट सिटी का काम सिर्फ महल को स्मार्ट बनना: कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष आर पी सिंह
वहीं स्मार्ट सिटी के विकास कार्यों को लेकर कांग्रेस भी लगातार आरोप लगा रही है. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष आर पी सिंह का कहना है कि स्मार्ट सिटी को लेकर कांग्रेस सवाल उठा रही है उनका कहना है कि ”स्मार्ट सिटी का काम सिर्फ महल को स्मार्ट बनना है और लगातार भ्रष्टाचार भी हो रहा है. स्मार्ट सिटी के अधिकारी और कर्मचारी मिलकर स्मार्ट सिटी में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार कर रहे हैं अगर इनकी जांच की जाए तो कहीं खुलासे सामने आएंगे”.