Lok Sabha Election: 56 प्रतिशत आदिवासी वोटर, कांग्रेस के हाथ कभी नहीं लगी सफलता… जानें ‘BJP के गढ़’ रायगढ़ का राजनीतिक इतिहास

Lok Sabha Election: रायगढ़ लोकसभा सीट जीतना बीजेपी के लिए इस बार और भी जरूरी हो गया है, क्योंकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वित्त मंत्री ओपी चौधरी इसी लोकसभा सीट से आते हैं.

रायगढ़ में बीजेपी-कांग्रेस के बीच मुकाबला

Lok Sabha Election: छ्त्तीसगढ़ के रायगढ़ एसटी लोकसभा सीट पर सात मई को वोट डाले जाएंगे. रायगढ़ में आठ विधानसभा और तीन जिले आते हैं. यहां 18 लाख 29 हजार 67 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इस बार चुनावी रण में 13 उम्मीदवार उतरे हैं. लेकिन मुख्यतः कांग्रेस और बीजेपी चुनाव प्रचार में अपना दम खम दिखा रही है. आपको बता दें कि इस सीट से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सांसद रह चुके हैं.

कांग्रेस ने सारंगढ़ राजघराने की मेनका देवी को दिया टिकट

रायगढ़ से बीजेपी ने अपने आम कार्यकर्ता राधेश्याम राठिया को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं, कांग्रेस ने सारंगढ़ राजघराने की डॉ. मेनका देवी को मैदान में उतारा है. दोनों प्रत्याशियों के लिए यह चुनाव नया है, क्योंकि दोनों अब तक इतना बड़ा चुनाव नहीं लड़े हैं. बता दें कि रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में रायगढ़, सारंगढ़ और जशपुर जिला आता है. साथ ही इसमें सारंगढ़, रायगढ़, खरसिया, धर्मजयगढ़, लैलूंगा, कुनकुरी, पत्थलगांव, जशपुर सहित कुल आठ विधानसभा सीट आते हैं. जिसमें वर्तमान समय में चार सीट पर बीजेपी और चार सीट पर कांग्रेस काबिज हैं.

जानें बीजेपी-कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड

रायगढ़ लोकसभा सीट में 56 प्रतिशत आदिवासी वोटर हैं. वहीं शेष वोटर अन्य वर्ग से आते हैं. गौर करने वाली बात है कि मध्य प्रदेश से जब छत्तीसगढ़ अलग हुआ तब से रायगढ़ लोकसभा पर लगातार बीजेपी के ही सांसद बनते आ रहे हैं. छत्तीसगढ़ बनने के बाद यहां कांग्रेस कभी जीत नहीं पाई है. सूबे के मुखिया विष्णु देव साय लगातार चार बार यहां से सांसद रहे हैं. 2019 के चुनाव में साय का टिकट काटकर बीजेपी ने गोमती साय को अपना प्रत्याशी बनाया और गोमती साय भी प्रचंड मतों से जीत हासिल कर संसद तक पहुंची. इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने गोमती साय को लड़ाया और वह इसमें भी जीत गई. जिसके बाद बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में राधेश्याम रठिया पर दांव लगाया है.

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बात करें कांग्रेस की तो, पार्टी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में हृदय राम राठिया को अपना प्रत्याशी बनाया. वहीं 2014 में आरती सिंह और 2019 में लालजीत राठिया को चुनावी मैदान में उतारा था. आठ विधानसभा सीट पर विधायक होने के बावजूद भी कांग्रेस 2019 में यहां से चुनाव नहीं जीत सकी थी. इस बार पार्टी ने पूर्व सांसद पुष्पा देवी की बहन डॉक्टर मेनका देवी को चुनावी मैदान में उतारा है.

दूसरी ओर रायगढ़ लोकसभा सीट जीतना बीजेपी के लिए इस बार और भी जरूरी हो गया है, क्योंकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वित्त मंत्री ओपी चौधरी इसी लोकसभा सीट से आते हैं. लेकिन इधर कांग्रेस प्रत्याशी मेनका देवी और उनके पति परिवेश मिश्रा भी पूरा दम दिखा रहे हैं.

रायगढ़ लोकसभा का राजनीतिक इतिहास

रायगढ़ लोकसभा सीट पर 1962 में राजा विजय भूषण सिंह देव पहली बार सांसद बने. 1967 में सारंगढ़ राजघराने की बड़ी पुत्री रजनी देवी सांसद बनीं. 1977 में कंवर समाज के आदिवासी नेता नरहरि प्रसाद साय जनता पार्टी से पहले सांसद बने. वहीं 1980, 1984,1991 में पुष्पा देवी सिंह कांग्रेस से सांसद चुनी गईं. 1999 से 2014 तक विष्णु देव साय लगातार सांसद रहे और 2019 के चुनाव में बीजेपी से ही गोमती साय सांसद रहीं.

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