‘मैं चिट्ठी बाद में देता हूं, लीक पहले हो जाती है’, Arvinder Singh Lovely ने कांग्रेस पर किया कटाक्ष, बोले- मैंने अचानक 4 पेज का इस्तीफा नहीं लिखा
Arvinder Singh Lovely: रविवार को दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होने से पहले ही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा. अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया. पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज के साथ कन्हैया कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि मैंने अचानक चार पेज की चिट्ठी नहीं लिखी. एक-दो दिन से मन विचलित चल रहा था.
जैसे मैंने कांग्रेस पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया हो- लवली
पूर्व दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने आजतक से बात करते हुए कहा कि मुझे तकलीफ इस बात की है कि मैंने पद से इस्तीफा दिया, लेकिन व्यवहार ऐसे किया जा रहा है, जैसे मैंने कांग्रेस पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया हो. मैं पद पर रहूंगा या नहीं रहूंगा. उन्होंने आगे कहा कि जब मुझे लगा कि मैं अपने पद के साथ न्याय नहीं कर पा रहा हूं और पार्टी के कार्यकर्ताओं को न्याय नहीं दिलवा पा रहा हूं, तो मैंने जिम्मेदारी छोड़ दी. BJP के साथ जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैंने स्पष्ट किया है कि अगर मैं कहीं शामिल होना चाहता हूं तो मुझे एक लाइन का इस्तीफा लिखने से कौन रोक रहा था. मैंने इस्तीफे में कारण इसलिए लिखे हैं, ताकि उन्हें दुरुस्त किया जाए.
‘मैंने एक चिट्ठी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखा’
अरविंदर सिंह लवली ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि हमारी पार्टी तेजी से काम कर रही है. मैंने एक चिट्ठी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखा. वह पत्र मैंने किसी और को नहीं दिया था. यह भी देखने की स्थिति है कि वह खत सामने कहां से आया. खत लीक होते ही दो घंटे में आप फैसला भी ले लेते हैं. एक तरफ मुझे कहा जा रहा है कि उन्होंने चुनाव से पहले आनन-फानन में इस्तीफा दिया. मैं चिट्ठी बाद में देता हूं और लीक पहले हो जाती है. दो घंटे में इस्तीफा मंजूर भी हो जाता है.
‘मैंने अपनी उम्मीदवारी को लेकर भी पहले ही स्पष्ट कर दिया’
अरविंदर सिंह लवली ने कहा, जिन कार्यकर्ताओं को पांच महीने पहले हाथ जोड़कर बाहर निकाला, वह आज जब मुझसे सवाल करते हैं तो मेरे पास उनके लिए कोई जवाब नहीं होता है. मैंने किसी पार्टी के नेता पर आक्षेप नहीं किया और ना ही मैंने अपनी पार्टी की किसी नीति के खिलाफ बयान दिया. मैंने सिर्फ यही कहा है कि इस सिस्टम में काम नहीं कर पा रहा हूं. आप किसी दूसरे को दिल्ली का अध्यक्ष बना दीजिए. मैंने अपनी उम्मीदवारी को लेकर भी पहले ही स्पष्ट कर दिया था. मैं चुपचाप अध्यक्ष के रूप में काम कर सकता था.
‘पार्टी अगर चुनाव हार जाती, तब भी मुझ पर कोई बात नहीं आती’
उन्होंने आगे कहा कि पार्टी अगर चुनाव हार जाती, तब भी मुझ पर कोई बात नहीं आती. क्योंकि सबको पता था कि चुनाव में दिल्ली कांग्रेस कमेटी का कोई रोल नहीं है. मैंने अपने लिए नहीं, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए पद छोड़ा है. इस दौरान उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव में जो उम्मीदवार बुलाएगा, उसके प्रचार अभियान में हिस्सा भी लूंगा. उम्मीदवार तय करना हाईकमान का अधिकार है लेकिन पार्टी की गरिमा इतनी जरूर होनी चाहिए कि फॉर्मल अनांउस के पहले PCC को कैंडिडेट के बारे में जानकारी दे दी जाए.