MP News: MP में एक ही दिन चुनावी सभा करेंगे PM मोदी और राहुल गांधी, खरगोन में 7 मई को जनसभा, 32KM का है फासला

Khandwa Lok Sabha Election: पीएम मोदी की सभा और राहुल गांधी की सभा की दूरी का फासला 32 किलोमीटर का है. वहीं पीएम मोदी और राहुल गांधी की जनसभा को आयोजित करवाना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है.
Khargone pm modi

7 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी खरगोन में जनसभा को संबोधित करने वाले हैं.

PM Modi and Rahul Gandhi MP Visit: प्रदेश की खरगोन लोकसभा सीट में चौथे चरण में 13 मई को मतदान होना है. लेकिन मतदान से पहले 7 मई का दिन खरगोन के बहुत बड़ा साबित हो सकता है. क्योंकि 7 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी का एमपी दौरा है. दोनो दिग्गज एक ही दिन खरगोन चुनावी जनसभा को संबोधित करने वाले हैं. पहले पीएम मोदी की सभा 6 मई को होने वाली थी लेकिन अब उनके दौरे में परिवर्तन किया गया है. अब पीएम 7 मई को ही खरगोन के नवग्रह मैदान पर सुबह 10 बजे जनसभा को संबोधित करेंगे. जबकि राहुल गांधी की सभा खरगोन जिले के सेंगाव में 7 मई को 12 बजे होगी.

बता दें कि पीएम मोदी की सभा और राहुल गांधी की सभा की दूरी का फासला 32 किलोमीटर का है. लेकिन एक ही दिन और एक ही समय पर होने वाली सभा में प्रशासन के लिए कड़ी चुनौती होने वाली है.

खरगोन सीट सियासी का समीकरण

मध्यप्रदेश के खरगोन में आने वाली 13 मई को मतदान होना है, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित यह सीट में कुल 8 विधानसभाएं है जिसमे 5 आदिवासी बाहुल्य वाली सीट है, निर्णायक भूमिका में आदिवासी वोट ही है, हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में 5 आदिवासी सीटों पर 4 पर कांग्रेस का कब्जा है वही 1 पर भाजपा, ऐसे में यह सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलने वाला है

BJP के गजेंद्र पटेल VS Congress के पोरलाल खरते चुनावी मैदान में

भाजपा ने खरगोन लोकसभा सीट से सांसद गजेंद्र सिंह पटेल को टिकट दिया है जो की वर्तमान में भाजपा से सांसद भी है, वहीं कांग्रेस ने पोरलाल खरते को टिकट दिया है, जो की पूर्व में सेल्टेक्स ऑफिसर थे.  पोरलाल ने नौकरी से वी आर एस लेकर कांग्रेस ज्वाइन की थी. अब चुनावी मैदान में हैं.

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खरगोन सीट का इतिहास

खरगोन संसदीय क्षेत्र में पहली बार 1962 में आम चुनाव हुए थे. जिसमें भारतीय जनसंघ ने जीत हासिल की. इसके बाद 1967 में हुए चुनाव में यहां कांग्रेस ने तो 1971 में फिर भारतीय जनसंघ ने जीत दर्ज कराई. वहीं 1980 और 1984 में यहां कांग्रेस का ही बोलबाला रहा, जिसके बाद 1989 में इस खरगोन में भाजपा प्रत्याशी रामेश्वर पाटीदार ने बड़ी जीत दर्ज कराई. रामेश्वर पाटीदार लगातार 1998 तक इस सीट से सांसद चुने गए, लेकिन 1999 के चुनाव में कांग्रेस के ताराचंद पटेल ने बाजी मारी. 1999 के बाद फिर 2004 में इस सीट पर भाजपा, 2007 में कांग्रेस, 2009, 2014 और 2019 में भाजपा ने इस सीट को अपने नाम किया.

बता दें कि 2007 में उपचुनाव में पूर्व उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव के बड़े बेटे अरुण यादव ने कांग्रेस से राजनीतिक जिंदगी की शुरुआत की थी. यादव ने कृष्णमुरारी मोघे को एक लाख से अधिक मतों से पराजित किया था. लेकिन 2009 में यह सीट परिसीमन में आकर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई.

खरगोन जातीय समीकरण

खरगोन लोकसभा के जातीय समीकरण की अगर बात की जाए तो यहां पर अनुसूचित जाति और जनजाति का दबदबा रहा है. 2019 लोकसभा के मुताबिक यहां लगभग 53.56 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है जबकि 9.02 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है.

आदिवासी वोट निर्णायक भूमिका में

खरगोन लोकसभा सीट में कुल आठ विधानसभाएं है जिनमे खरगोन,महेश्वर, कसरावद, भगवानपुरा, बड़वानी, सेंधवा, राजपुर, पानसेमल है. जिसमे हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में 8 में से 5 सीटो पर कांग्रेस और तीन सीटो पर भाजपा का कब्जा है, इस बार चुनाव काफी दिलचस्प और टक्कर का होने वाला है, क्योंकि प्रचार प्रसार दोनों ही पार्टियों का तेजी से चल रहा है.

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