UP में मतदाताओं को किस बात का है डर? कौन से मुद्दे उन्हें पहुंचा रहे हैं पोलिंग बूथ तक?

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में तीन चरणों के मतदान के बाद अब चुनाव पश्चिमी क्षेत्रों से मंडल बेल्ट की ओर बढ़ रहा है. ये वो क्षेत्र हैं जहां रोजमर्रा के जीवन में सरकार की भूमिका और प्रभाव अधिक बढ़ जाता है.
Lok Sabha Election 2024

प्रतिकात्मक तस्वीर

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में तीन चरणों के मतदान के बाद अब चुनाव पश्चिमी क्षेत्रों से मंडल बेल्ट की ओर बढ़ रहा है. ये वो क्षेत्र हैं जहां रोजमर्रा के जीवन में सरकार की भूमिका और प्रभाव अधिक बढ़ जाता है. यूपी में अब तक कुल 23 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. इस बार यहां जिस ट्रेंड पर चुनाव हो रहा है वह पिछले चुनाव से बहुत अलग है. इस बार वोटर्स उत्साह और जोश के साथ मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसा कह सकते हैं कि इस बार डर के कारण वोटर्स वोट दे रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश के लोगों के दिमाग में कई तरह का डर दिख रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘पहले मतदान, फिर जलपान’ की अपील करते रहे हैं लेकिन बावजूद इसके तीनों चरणों में वोटिंग पहले के मुकाबले कम रही है. अलग-अलग बूथों पर मौजूद बीजेपी कार्यकर्ता भी मान रहे हैं कि मतदान के प्रति लोगों में उत्साह की कमी दिख रही है. लेकिन इसके बावजूद भी पूर्वी यूपी में अयोध्या राम मंदिर, केंद्र सरकार की लाभार्थी योजनाओं का जलवा हर समुदाय में नजर आता है. मतदान को लेकर लोगों में भले ही जोश नहीं हो, लेकिन जिन्हें डर है वो वोट देने जरूर पहुंचेंगे. ये डर भी अलग-अलग किस्म के हैं और इनका फायदा भी अलग-अलग पार्टियों को होता दिख रहा है.

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सरकारी योजनाओं का बंद होने का डर

केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए मुफ्त राशन, किसान सम्मान निधि, मुफ्त आवास योजना का लाभ जिसे मिल रहा है वो इसे खोना नहीं चाहते. एक तबका ऐसा भी है कि जिसे ये डर है कि अगर वर्तमान सरकार नहीं रही तो ये सुविधाएं खत्म हो जाएंगी. कई बार कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल मुफ्त राशन आदि को लेकर बयान देते रहे हैं कि इससे देश का भला नहीं होगा. ऐसे में इन योजनाओं के लाभार्थियों के मन में एक तरह का डर जरूर है. हालांकि स्थानीय भ्रष्टाचार के मामले में भाजपा की छवि को पहले के मुकाबले अब धक्का लगा है.आवास योजना में बिचौलियों के शामिल होने के आरोप काफी आम हैं.

आरक्षण खत्म होने का डर

विपक्ष ने लोगों तक यह मैसेज पहुंचाने की कोशिश की है कि अगर दोबारा बीजेपी की सरकार बनी तो आरक्षण खत्म हो सकता है. विपक्ष ने इस मुद्दे को इतना उठाया कि जमीनी स्तर पर भी इसका प्रचार-प्रसार करने का मौका नहीं छोड़ा. आम लोगों के बीच अब यह चर्चा का मुद्दा है कि पिछले पांच वर्षों में नौकरियां घटी है. शिक्षा में बढ़ते निजीकरण और सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण उनकी आशंका को और बढ़ावा मिल रहा है. सेना में घटते अवसर और अग्निपथ स्कीम के बारे में इस तरह प्रचारित किया गया है कि इसका कोई फायदा नहीं होने वाला है. हालांकि, पीएम मोदी लगातार हर सभा में इस संबंध में बोल रहे हैं कि जब तक वो जीवित हैं कोई भी माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता और वे लगातार विपक्ष पर निशाना साध रहे हैं.

लूट, हत्या और जमीन कब्जा का डर

उत्तर प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार को लेकर लोगों के बीच ये बात बिल्कुल ही साफ है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पिछली सरकारों से बेहतर है. व्यापारी वर्ग, महिलाओं और स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियां कहती हुईं मिल रही हैं कि अगर कोई दूसरी सरकार आती है तो हो सकता है कि कानून व्यवस्था फिर एक बार पहले जैसी न हो जाए. दरअसल घर और जमीन पर कब्जा, दिनदहाड़े लूट पाट, चोरी आदि की घटनाओं में पहले के मुकाबले कमी ये लोगों के लिए राहत की सांस है.

‘यादव’ राज का डर

ग्रामीण क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था में हुए बदलाव से मिली सुरक्षा की भावना भाजपा के लिए सोशल इंजीनियरिंग की तरह काम कर रही है. खासकर गैर-यादव ओबीसी और एमबीसी और गैर-जाटव दलितों के बीच, यह मुफ़्त राशन योजना जितनी ही प्रभावशाली साबित हो रही है और सत्ताधारी पार्टी की मदद कर रही है.

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