लुधियाना में आधी रात सरकारी कोठी खाली कर बीजेपी दफ्तर को बनाया घर, पूर्वजों की जमीन रखी गिरवी…Ravneet Singh Bittu को क्यों मिला 1.83 करोड़ बकाए का नोटिस?

बिट्टू ने विपक्षी पार्टियों पर आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा, "आम आदमी पार्टी और कांग्रेस 1.82 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस जारी करके और मेरे पर्चा दाखिल करने से कुछ घंटे पहले आधी रात को घर खाली करने के लिए कहकर मेरी राजनीतिक पारी खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं."
Ravneet Singh Bittu

Ravneet Singh Bittu

Punjab Politics: पिछले दिनों लुधियाना के मौजूदा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को 1.83 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने और सरकारी घर खाली करने का नोटिस दिया गया था. इस घर में वो साल 2016 से रह रहे थे. लेकिन शुक्रवार की आधी रात वो घर खाली करके चले गए. गए भी कहां भाजपा कार्यालय. उन्होंने रात भाजपा कार्यालय में भू-बिस्तर लगाकर काटी.

रिपोर्ट के मुताबिक, लुधियाना से भाजपा से टिकट पाने के लिए कांग्रेस छोड़ने वाले तेज तर्रार सांसद को बकाया चुकाने और नो-ड्यू सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए अपनी पैतृक कृषि भूमि भी गिरवी रखनी पड़ी है. दिवंगत मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते बिट्टू को पिछले कई वर्षों से जेड-प्लस सुरक्षा मिली हुई है.

नोटिस में क्या कहा गया?

बता दें कि रवनीत सिंह बिट्टू को नामांकन पत्र दाखिल करने से ठीक पहले लुधियाना नगर निगम ने एक नोटिस भेजा था. इस नोटिस में कहा गया कि 1 जनवरी 2016 से 10 मई 2024 तक घर का किराया 1.82 करोड़ रुपये भुगतान करना होगा. इसके बाद ही नामांकन दाखिल करने के लिए उन्हें अनिवार्य नो ड्यूज सर्टिफिकेट दिया जाएगा.

नोटिस में यह भी कहा गया कि बिट्टू को यह घर आवंटित नहीं किया गया था. हालांकि,बिट्टू ने इसके बाद दावा किया कि वह घर के मासिक बिजली और पानी के बिल का भुगतान कर रहे हैं, लेकिन लंबित किराए के संबंध में कभी कोई नोटिस नहीं मिला. वहीं बिट्टू ने ये भी कहा कि जब मैंने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा तो नगर निकाय ने नो ड्यूज सर्टिफिकेट जारी किया था.

इस दौरान बिट्टू ने विपक्षी पार्टियों पर आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा, “आम आदमी पार्टी और कांग्रेस 1.82 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस जारी करके और मेरे पर्चा दाखिल करने से कुछ घंटे पहले आधी रात को घर खाली करने के लिए कहकर मेरी राजनीतिक पारी खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.” बिट्टू ने कहा कि यह कार्रवाई उन्हें चुनाव मैदान में उतरने से रोकने के उनके विरोधियों के नापाक इरादों की बू आ रही है.

क्या घर सच में रवनीत सिंह बिट्टू को आवंटित किया गया था?

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताता है कि जिस सरकारी आवास की बात हो रही है वह सांसद बिट्टू को कभी आवंटित नहीं किया गया था. डिप्टी कमिश्नर कार्यालय और लुधियाना नगर निगम के पास उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, विचाराधीन घर (कोठी नंबर 6, ऑफिसर्स कॉलोनी, रोज़ गार्डन) कभी भी बिट्टू को आवंटित नहीं किया गया था. 28 अक्तूबर साल 2015 को तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर ने पंजाब सरकार को लिखा था कि बिट्टू से सरकारी आवास के आवंटन के लिए आवेदन प्राप्त हुआ है. बिट्टू एक स्थानीय सांसद हैं जिसे अपने निर्वाचन क्षेत्र में समय बिताने की ज़रूरत है. उनके पास लुधियाना में कोई घर नहीं है. इसके बाद पंजाब सरकार ने डीसी को जवाब में लिखा कि पंजाब सरकारी आवास आवंटन नियमों के अनुसार, सांसदों को घर आवंटित करने का कोई प्रावधान नहीं है. इससे यह स्पष्ट है कि बिट्टू को कोई घर आवंटित नहीं हुआ था.

यह भी पढ़ें: ‘गंभीर परिणाम भुगतने होंगे…’, प्रज्वल रेवन्ना को लेकर PM Modi का बड़ा बयान, बोले- कानून की नजर में सभी

कौन हैं रवनीत सिंह बिट्टू?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले रवनीत ने पिछले दिनों कांग्रेस को झटका देते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया था. बिट्टू राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बेअंत सिंह के पोते हैं. ध्यान रहे कि बेअंत सिंह 31 अगस्त 1995 को खालिस्तानी आतंकियों ने कार को बम से उड़ा कर हत्या कर दिया था. बेअंत सिंह साल 1992 से 1995 तक मुख्यमंत्री रहे थे. हाल के दिनों में रवनीत की आम आदमी पार्टी से नहीं बनती है. उन्होंने पंजाब में मान सरकार का खूब विरोध किया है. रवनीत सिंह बिट्टू पहली बार आनंदपुर साहिब से 2009 में चुनाव जीते थे. उसके बाद 2014 में सीट बदल कर लुधियाना आ गए, क्योंकि इस सीट से सीटिंग सांसद मनीष तिवारी ने चुनाव नहीं लड़ा था, उसके बाद वह लगातार दो बार से सांसद चुने जा रहे हैं.

रवनीत के दादा की खालिस्तानियों ने की थी हत्या

रवनीत के दादा और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का जन्म लुधियाना जिले के दोराहा के पास बिलासपुर गांव में हुआ था. साल 1947 के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा. पंजाब की राजनीति में बेअंत सिंह एक बड़ा नाम बन गए. वहीं, 31 अगस्त 1995 को चंड़ीगढ़ में सचिवालय परिसर में एक बम विस्फोट में पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई. इस आत्मघाती विस्फोट में उनके साथ ही तीन कमांडो सहित 17 अन्य लोगों की जान चली गई थी.

 

 

ज़रूर पढ़ें