Chhattisgarh News: पूर्व विधायक रजनीश सिंह के गांव के लोग पुरुष वंदन योजना की कर रहे मांग, जानिए क्या है पूरी कहानी

Chhattisgarh News: पौंसरा धुरीपारा गांव और आसपास के क्षेत्र में रहने वाले आधे से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिनकी पत्नी दुनिया छोड़कर चली गई है. और दो से तीन बच्चों को संभालना इन पिता के जिम्मे में आ गया है. खाना बनाना और काम पर जाना यह उनका मूल पेशा है, इसीलिए ही यह बात सामने आ रही है कि जिस तरह महिलाओं को महतारी वंदन योजना मिल रहा है. इस तरह पुरुषों को पुरुष वंदन योजना का शुभारंभ किया जाए.
Chhattisgarh News

Rajneesh Singh

Chhattisgarh News: बिलासपुर में पूर्व विधायक रजनीश सिंह के गांव पौंसरा धुरीपारा में बड़ी अलग मांग उठ रही है. गांव के लोग बिजली, नाली, सड़क सुविधाओं कप छोड़कर पुरुष वंदन योजना की मांग कर रहे है.

पुरुष वंदन योजना की मांग कर रहे लोग

पौंसरा धुरीपारा गांव और आसपास के क्षेत्र में रहने वाले आधे से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिनकी पत्नी दुनिया छोड़कर चली गई है. और दो से तीन बच्चों को संभालना इन पिता के जिम्मे में आ गया है. सुबह उठकर खाना बनाना और काम पर जाना यह उनका मूल पेशा है, इसीलिए ही यह बात सामने आ रही है कि जिस तरह महिलाओं को महतारी वंदन योजना मिल रहा है. इस तरह पुरुषों को पुरुष वंदन योजना का शुभारंभ किया जाए. विस्तार न्यूज़ की टीम ने ऐसे ही 10 गांव का जायजा लिया. इनमें नागोई, धूरीपारा, पौंसरा,सेलर पिपरा मटियारी जैसे गांव शामिल हैं. धूरीपारा पौंसरा गांव पूर्व विधायक रजनीश सिंह का गांव है जहां के लोग मुखर होकर अपनी समस्याओं को बता रहे हैं.

ये भी पढ़ें- सूरजपुर जिले में 20 हजार गर्भवती महिलाएं और सिर्फ 4 सोनोग्राफी मशीनें, घंटो इंतज़ार के बाद भी नहीं आते डॉक्टर

उनका कहना है कि गांव में क्रेडा ने जल जीवन मिशन योजना की तरह ही गांव में टंकी के जरिए लोगों को पानी की परेशानी दूर करने की सुविधा प्रदान की है लेकिन उनके यहां 50 लाख रुपए खर्च करने के बावजूद आधे से ज्यादा घरों में पानी नहीं आता है. गर्मी में जहां आबादी अपनी को तरस रही है. वहीं सड़क नाली और आवास की योजनाएं यहां के लोगों से दूर है. कच्चे मकान में जिंदगी को जानना उनकी मजबूरी बन चुकी है, और बारिश का पानी उनके घरों में घुसता है जिसके कारण उनके घर बारिश के पानी को सहेजने का एकमात्र जरिया बन गया है. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने आवास योजना के लिए आवेदन किया है लेकिन 500 से ज्यादा फॉर्म अभी अटके हुए हैं.

इस गांव में बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी भी पुरुषों पर

बता दें यह क्षेत्र पुरुष प्रधान है, और ज्यादातर घरों में महिलाएं नहीं है. इसलिए ही बच्चों की जिम्मेदारी भी पुरुषों की है और वह दिनभर महिलाओं की तरह ही खाने बनाने के अलावा बच्चों को पढ़ने लिखने और अन्य काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी समस्याएं जिला प्रशासन के अधिकारियों के अलावा जनप्रतिनिधि को भी बताई है, लेकिन फिलहाल उनकी समस्या यथावत है.

ग्रामीणों को नहीं मिल रहा सरकारी योजना का लाभ

ग्रामीण इस क्षेत्र में अपनी समस्या बताते हैं, और कहते हैं कि जनप्रतिनिधि जिस तरह से चुनाव के वक्त में वोट मांगने आते हैं. इस तरह से उनकी समस्याओं का निराकरण होना भी जरूरी है. उनका कहना है कि उन्हें क्षेत्र में कई तरह की सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा जो मिलना चाहिए.

ज़रूर पढ़ें