MP News: कार्यकर्ताओं ने चुनाव में कितना दिया साथ? कांग्रेस की बैठक में सोनिया-राहुल के करीबी को बताएंगे दिग्विजय और भूरिया
Lok Sabha Election Meeting: राजधानी भोपाल में लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में सोनिया और राहुल गांधी के करीबी भंवर जितेंद्र सिंह भी मौजूद रहेंगे. बैठक में दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया बताएंगे कि आखिर कार्यकर्ताओं ने कितना चुनाव में साथ दिया है और कांग्रेस से बीजेपी में जाने वाले नेताओं की वजह से पार्टी को कितना नुकसान पहुंचा है.
हालांकि समीक्षा इस बात की भी की जाएगी कि आखिर किन सीटों पर कांग्रेस मजबूत है. जिसकी रिपोर्ट भंवर जितेंद्र सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष से मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को देंगे. क्योंकि मध्य प्रदेश में कई बड़े उम्रदराज नेताओं को चुनाव में उतर गया है. ऐसे में उनकी जीत पार्टी के लिए कितनी जरूरी है. इसके बारे में भंवर जितेंद्र सिंह बैठक करेंगे. 20 मई को होने वाली कांग्रेस दफ्तर में बैठक में सभी प्रत्याशियों को मौजूद रहने के लिए कहा गया है. भंवर जितेंद्र सिंह सुबह भोपाल पहुंच जाएंगे. इसके बाद दोपहर में बैठक शुरू होगी.
27 पर ही कांग्रेस ने लड़ा चुनाव बंम ने दिया धोखा
खास बात है कि कांग्रेस ने 29 लोकसभा सीटों के बजाय 27 पर चुनाव लड़ा है. एक सीट इंडिया गठबंधन के तहत खजुराहो को दी गई थी. यहां से मीरा यादव ने चुनाव लड़ा था लेकिन और वक्त पर नामांकन रद्द हो गया. दूसरी तरफ जीतू पटवारी के करीबी अक्षय कांति बंम को भी टिकट दिया गया लेकिन उन्होंने और वक्त पर नाम वापस ले लिया. कांग्रेस ने इंदौर में नोट के भरोसे चुनाव लड़ा है. यानी की 27 सीट पर ही कांग्रेस चुनाव लड़ पाई है.
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उपचुनाव पर भी होगी समीक्षा, रावत और सप्रे के खिलाफ बनेगी रणनीति
बैठक में मध्य प्रदेश में लोकसभा के बाद होने वाले उपचुनाव पर भी चर्चा होगी. अमरवाड़ा से विधायक कमलेश शाह ने पहले ही इस्तीफा विधायक पद से दे दिया है. इस सीट पर कांग्रेस दूसरे आदिवासी नेता को टिकट देगी लेकिन बड़ी बात है कि रावत और सप्रे के खिलाफ भी कांग्रेस रणनीति बनाएगी. कांग्रेस के साथ लंबे अरसे से जुड़े रहने वाले रामनिवास रावत ने चुनाव के दौरान इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था. पहली बार की विधायक बीना से निर्मल सप्रे भी बीजेपी में शामिल हो गई है. हालांकि इन दोनों ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है. कांग्रेस विधानसभा में आवेदन कर दल बदल कानून के तहत विधायक की निरस्त करवाएगी. बैठक में इन मुद्दों पर भी चर्चा होगी.
बैठक में मौजूद रह सकते हैं नकुलनाथ
कमलनाथ के अध्यक्ष बनने के बाद और मुख्यमंत्री के बनने के बाद नकुलनाथ कांग्रेस दफ्तर में नजर आए. इसके बाद एक दो मौके पर ही नकुलनाथ पार्टी के दफ्तर पहुंचे. दिलचस्प है कि 7 सालों में तीन से चार बार ही नकुलनाथ कांग्रेस दफ्तर में नजर आए. ऐसे में असर है कि लंबे वक्त के बाद नकुलनाथ बैठक में मौजूद रह सकते हैं. हालांकि दिल्ली से छिंदवाड़ा लौट के आने के बाद संभावना है कि भोपाल का भी रुख नकुलनाथ करेंगे और पार्टी की बैठक में शामिल होंगे.