Chhattisgarh: बलरामपुर के कोल डिपो में चल रहा काले सोने का अवैध कारोबार, MP की खदानों से निकलने वाली G5 ग्रेड के कोयले की हो रही तस्करी

Chhattisgarh News: बलरामपुर जिले के यूपी बार्डर में स्थित गांव फूलीडूमर के कोल डिपो में अवैध कोयला खपाया जा रहा है, और यहां से अवैध कोयले का कागज तैयार कर उसे वैध कोयला बनाकर सप्लाई किया जा रहा है. कोयले के इस अवैध कारोबार को अफसरों का संरक्षण है, और इसकी वजह से कोई कार्यवाही नहीं हो रही है.
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कोयला खदान

Chhattisgarh News: बलरामपुर जिले के यूपी बार्डर में स्थित गांव फूलीडूमर के कोल डिपो में अवैध कोयला खपाया जा रहा है, और यहां से अवैध कोयले का कागज तैयार कर उसे वैध कोयला बनाकर सप्लाई किया जा रहा है. कोयले के इस अवैध कारोबार को अफसरों का संरक्षण है, और इसकी वजह से कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. इससे सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है.

फर्जी कागज बनाकर अवैध रूप से बेच रहे कोयला

फूलीडुमर में चार कोयला डिपो है लेकिन सिर्फ तीन डिपो ही चल रहें हैं. इन डिपो में मध्यप्रदेश और कोरबा क्षेत्र के खदानो से कोयला लोडकर आने वाले ट्रकों में दो से तीन टन अधिक कोयला होता है. इसके बाद जो अतिरिक्त कोयला होता है. उसे यहां के डिपो में अनलोड किया जाता है. वहीं कोल डिपो मालिक इस अवैध कोयला को अपने डिपो का दस्तावेज लगाकर वैध कोयला बताकर बेच रहें हैं. जानकारों की माने तो कोरबा के कुसमुंडा, मध्यप्रदेश के निगाही, गोरबी, बिना, अमरेली सहित अन्य कोल माइंस से हर रोज कई ट्रक कोयला लेकर इस रूट से निकलते हैं और इन डिपो में अवैध कोयला को यहां तीन से चार सौ रुपये क्विंटल में बेच देते हैं.वहीं मध्यप्रदेश के खदानों का यह कोयला उत्कृष्ट किस्म का होता है जो जी-5 ग्रेड का होता है उसे डिपो संचालक सात हजार टन में बेच रहें हैं.

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फूलीडुमर में चल रहे कोल डिपो को लाइसेंस भी नियम क़ानून को ताक पर रखकर जारी किया गया है, यहां डिपो जंगल से लगे हुए इलाके में हैं, तो हाइवे के करीब है. इसके साथ ही पर्यावरण मंडल और खनिज विभाग के नियमो को का ये डिपो कहीं भी पालन नहीं कर रहें हैं. ऐसे में यह भी सवाल है कि डिपो को लाइसेंस कैसे मिल गया, क्या भौतिक रूप से जांच नहीं की गई.

कोल डिपो की जांच ही नहीं, इसलिए माफिया बढ़े

इसके अलावा माफिया यहां स्थित कोल डिपो के दस्तावेज के नाम पर अवैध कोयला को दूसरे राज्यों में भी सप्लाई कर रहें हैं। इसकी जानकारी जिला प्रशासन के अफसरों को भी है लेकिन कभी भी कोल डिपो के स्टॉक और सेल की जांच नहीं की जाती है जबकि अगर जांच हो तो बड़ी गड़बड़ी पकड़ी जा सकती है, और डिपो का लाइसेंस निरस्त हो सकता है लेकिन इस दिशा में कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। अगर अंबिकापुर की बात करें तो यहां भी कुछ दिन पहले कोल डिपो की जांच की गई और गड़बड़ी पकड़ी गई, इसके बाद डिपो संचालको को नोटिस दिया गया लेकिन अब लीपापोती की जा रही है.

अवैध रूप से चल रहा कोयला खदान, लेकिन कार्यवाही नहीं

दरअसल छत्तीसगढ़ में किसी भी राजनैतिक दल की सरकार हो माफिया उसी के हो जाते हैं, और इसके बाद नेता भी उन्हें संरक्षण देने लगते हैं. सरगुजा संभाग में भी हाल कुछ ऐसा ही है और यहां एसईसीएल के सभी कोयला खदानो से कोयला चोरी कराया जा रहा है, तो अवैध कोयला खनन भी बड़े पैमाने पर सरगुजा के लखनपुर क्षेत्र व बलरामपुर जिले के राजपुर क्षेत्र में चल रहा है, जहां मफियाओं ने सैकड़ो ग्रामीणों को कोयला के खनन में लगाया हुआ है. जानकारी आईजी से लेकर थाना प्रभारियों तक को है, कलेक्टर से लेकर पटवारी तक को है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं क्योंकि मफियाओ को राजनैतिक संरक्षण बड़ी वजह है और सिस्टम लाचार है.

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