MP News: ‘2047 से पहले भारत को विकसित बनाने के संकल्प को पूरा करना चाहिए’, बोले बीआर शंकरानंद
MP News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समविचारी संगठन भारतीय शिक्षण मंडल ने रविवार को राजधानी भोपाल में “सशक्त सांस्कृतिक एवं विकसित भारत के निर्माण की ओर अग्रसर” विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया. इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बीआर शंकरानंद ने अपने उद्बोधन में कहा कि सुख का मार्ग मत अपनाइए. वही व्यक्ति श्रेष्ठ बनता है जो कठिन मार्ग पर चलकर चुनौतियों का सामना करता है. लक्ष्य तय करना श्रेष्ठ बनने का पहला लक्षण है. युवाओं को गांव जाना चाहिए. इससे वे भारत को, यहां की समस्याओं को समझ सकेंगे और समाधान भी खोज पाएंगे. विश्वविद्यालयों को भी इसे अपने पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए. इस अवसर पर युवाओं और विद्यार्थियों का आह्वान भी बीआर शंकरानंद ने किया. वे आईईएस विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने युवाओं को प्रतिदिन करने के लिए डू द बेस्ट, बीट द बेस्ट और डू द नेक्स्ट का सूत्र देते हुए आह्रवान किया कि भारत को 2047 से पहले विकसित बनाने के संकल्प को पूरा करना चाहिए.
आईईएस विश्वविद्यालय भोपाल एवं भारतीय शिक्षण मंडल मध्य भारत प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बीआर शंकरानंद, विशिष्ट अतिथि एआईसीटीई के अध्यक्ष डॉ. टीजी सीताराम, विशेष अतिथि मप्र निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. भरत शरण सिंह, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य श्री धर्मेंद्र कुमार सिंह, आईई (आई) के सचिव डॉ. मुकेश मिश्रा, आईईएस विश्वविद्यालय के संस्थापक चांसलर इंजी बी. एस. यादव, भारतीय शिक्षण मंडल के मध्यभारत प्रांत के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र थापक एवं प्रांत मंत्री शिव कुमार शर्मा भी विशेष रूप से उपिस्थत थे.
हम सभी को 1922 से 1947 तक का इतिहास अवश्य पढ़ना चाहिए
अपने उद्बोधन में बीआर शंकरानंद ने आगे कहा कि देश विकसित बनाने के लिए ज्ञानशक्ति, अर्थशक्ति और सैन्य शक्ति चाहिए. इसके लिए हमारे सामने एक विजन होना चाहिए जिसे मिशन बनाकर कार्य करेंगे तो अवश्य भारत को विकसित बनाने में सफल होंगे. हम सभी को 1922 से 1947 तक का इतिहास अवश्य पढ़ना चाहिए क्योंकि यह स्वाधीनता संग्राम का इतिहास है. यह हमें इतिहास में की गई गलतियों से बचाने और नया भविष्य गढ़ने में सहायक होगा क्योंकि इतिहास को भूल जाने वाले भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते.
बीआर शंकरानंद ने कहा कि इससे भी बड़ा भाग्य है कि हमने भारत में जन्म लिया है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के प्रसंग का उल्लेख किया जिसमें कलाम ने कहा था कि भारत के रूपांतरण के लिए आध्यात्मिकता आवश्यक है. विज्ञान के साथ अध्यात्म न होने से निर्मित होने वाला तंत्र विनाश की ओर ले जाता है. यही कारण है कि दो विश्वयुद्ध हुए हैं.
श्रीराम मंदिर निर्माण विकसित भारत के विकास में टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ
डॉ. टीजी सीताराम ने कहा कि राष्ट्रीय पहचान के रूप में श्रीराम मंदिर निर्माण विकसित भारत के विकास में टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. आज भारत सभी जगह नेतृत्व कर रहा है यह उपलब्धि विज्ञान और तकनीकी कौशल से प्राप्तन हुई है. आज देश के 1100 विश्वविद्यालय और 4500 कॉलेज सहित 10 करोड़ विद्यार्थी विकसित भारत के निर्माण के लिए संकल्प के साथ कार्य कर रहे हैं. आज हमारे देश के इंजीनियर विश्व के सभी देशों में जाकर महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं. संसार की सबसे बड़ी प्रमुख कंपनियों का नेतृत्व करने वाले भारतीय हैं. भारत को विकसित बनाने की दिशा में उद्योगों को बढ़ावा देना होगा. आज डाटा साइंस, चैट जीपीटी, साइबर ज्ञान के अधिक से अधिक शोध और अध्योयन की आवश्याकता है.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. भरत शरण सिंह ने कहा कि हमें देश की प्राचीन ज्ञान-परंपरा को पुनर्जीवित करना है और भारत को विकसित बनाना है. हमें ज़्यादा और तेजी से काम करके भारत को विकसित बनाना है. इस समय युवा पीढ़ी के पास बहुत अवसर हैं. अच्छे आइडिया पर कार्य करते हुए स्टार्टअप बनाइए और विकसित भारत बनाने की दिशा में जुट जाइए.
उपलब्धि प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया
सेमिनार को फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्यक धर्मेंद्र कुमार सिंह, आईई (आई) के सचिव डॉ मुकेश मिश्रा, आईईएस विश्वविद्यालय के संस्थापक चांसलर इंजी बीएस यादव ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर विकसित भारत 2047 का पोस्टर लांच किया गया. वहीं विभिन्न क्षेत्रों उपलब्धि प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम की प्रस्तावना आईईएस विवि की निदेशक प्रो मनीषा कावठेकर ने रखी. अतिथि परिचय प्रो प्रिया दुबे ने दिया. भारतीय शिक्षण मंडल के ध्येय श्लोक का वाचन सत्यम मिश्रा एवं ध्येय वाक्य का वाचन राजू पाटिल ने किया। प्रो. आरसी माहेश्वरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.