MP News: जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में बना अनोखा कैलेंडर, पता चल सकेगा फसलों के दामों का पूर्व अनुमान

MP News: कृषि विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्रियों ने दो दशकों की फसल कीमतों का अध्ययन, अनुभव और सांख्यिकीय के आधार पर पहला फॉरकॉस्ट कैलेंडर बनाया है.
The first forecast calendar has been made on the basis of statistics in Jabalpur.

जबलपुर में सांख्यिकीय के आधार पर पहला फॉरकॉस्ट कैलेंडर बनाया गया है.

MP News: मौसम के पूर्व अनुमान के बारे में तो आपने सुना होगा लेकिन फसलों के दामों का भी पूर्व अनुमान अगर मिल जाए तो यह निश्चित तौर पर किसानों के लिए फायदे का सौदा होगा. जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में एक ऐसा ही अनोखा कैलेंडर बनाया है जो किसानों को आने वाले 1 साल के फसल के दामों का पूर्व अनुमान बता रहा है. लिहाजा अब किसानों को फसलों के भाव के उतार-चढ़ाव का अंदाजा लगाने रेडियो, टीवी अथवा अन्य किसी दूसरे माध्यम पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

फसलों का पहला फॉरकॉस्ट कैलेंडर बनाया

कृषि विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्रियों ने दो दशकों की फसल कीमतों का अध्ययन, अनुभव और सांख्यिकीय के आधार पर पहला फॉरकॉस्ट कैलेंडर बनाया है. कैलेंडर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि किसान आसानी से समझ सकें कि भाव में कब और कितना परिवर्तन होगा. इससे बाजार की मांग के अनुसार फसल के क्रय-विक्रय अथवा उत्पादन पर निर्णय कर सकेंगे. फॉरकॉस्ट कैलेंडर में फसलों के भावों को अलग-अलग रंगों के माध्यम से भी दर्शाया गया है. इससे किसान पता कर सकेंगे कि किस फसल के भाव में कब और कितना परिवर्तन हो सकता है. इस पहल से किसानों को फसलों की बिक्री के समय और मूल्य निर्धारण में सहायता मिलेगी. इस नई व्यवस्था से किसानों को बाजार की मौजूदा परिस्थितियों की बेहतर समझ मिलेगी.

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7 फसलों को किया गया शामिल

इस कैलेंडर में प्रदेश की मंडियों में अधिसूचित की गई सात फसलों को शामिल किया गया है। इसमें धान, गेहूं, मक्का चना, सोयाबीन, सरसों, अरहर एवं मूंग को शामिल किया गया है. इसमें बालाघाट, नर्मदापुरम, विदिशा, छिंदवाडा, शुजालपुर, मुरैना, पिपरिया जिले की मंडी शामिल हैं. जिसमें सरकार द्वारा तय की गई एमएसपी के साथ ही आगामी महीनों के लिए औसत मासिक मूल्य का पूर्वानुमान की जानकारी रंगों के आधार पर हासिल की जा सकेगी. कृषि विश्वविद्यालय ने इस कैलेंडर को किसानों तक पहुंचाने के लिए तैयारी में पूरी कर ली है कृषि विश्वविद्यालय में 40000 से ज्यादा कैलेंडर छापे गए हैं जो मंदिरों के जरिए किसानों तक पहुंच जाएंगे.

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