Chhattisgarh: बिलासपुर में आरटीओ दफ्तर के बाहर दलालों की खुली दुकान, लाइसेंस व वाहन ट्रांसफर करने के नाम पर मांगते हैं 5 से 10 हजार

Chhattisgarh News: आरटीओ दफ्तर में लाइसेंस बनवाने आए लोगों का कहना है कि इसके लिए सीधे तौर पर आवेदन करने पर आपको महीनों चक्कर लगाना पड़ेगा, लेकिन जैसे ही आप दलाल के चंगुल में फंस जाएंगे. आपका काम आसानी से हो जाएगा लेकिन आपको इसका पैसा देना पड़ेगा.
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में आरटीओ दफ्तर के बाहर दलालों की दुकान खुली है. जो प्रति लाइसेंस या वाहन ट्रांसफर करने के बदले 5 से ₹10000 मांगते हैं. लाइसेंस बनवाने के दाम 5000 और दूसरी भीम और और दूसरी भीम और औपचारिकता और गाड़ियों की औपचारिकताओं के दाम 10000. लोगों का कहना है दलालों का दम दिनों दिन बढ़ता जा रहा है पहले यह काम दो-तीन हजार में हो जाया करता था लेकिन अब 10000 से ₹15000 तक मांग की जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि लाइसेंस या वाहन परमिट या गाड़ियों के नाम ट्रांसफर का सिस्टम बिल्कुल अलग था लेकिन शासन नहीं से अब और जटिल बना दिया है और यही कारण है कि लोगों से उगाही का दौर जारी है. इससे भी बड़ी बात यह है कि संतों की दुकान कहीं और नहीं खुली बल्कि आरटीओ दफ्तर के बाहर ही खुली हुई हैं, जो नए व्यक्ति देखने पर उसे रूकवाते हैं और सीधे संपर्क करते हैं. बताया जाता है कि भीतर आरटीओ के अधिकारी सामान्य प्रक्रिया में दस्तावेज बनवाने पर तमाम तरह के पेंच फसाते हैं लेकिन जब आप एजेंट के जरिए भीतर काम करने जाते हैं तो काम आसानी से हो रहा है. कुल मिलाकर आरटीओ ऑफिस में यह परंपरा सालों से चल रही है और आज भी वही स्थिति है.

आरटीओ में सीधे जाने पर काटने पड़ते है चक्कर

आरटीओ दफ्तर में लाइसेंस बनवाने आए लोगों का कहना है कि इसके लिए सीधे तौर पर आवेदन करने पर आपको महीनों चक्कर लगाना पड़ेगा, लेकिन जैसे ही आप दलाल के चंगुल में फंस जाएंगे. आपका काम आसानी से हो जाएगा लेकिन आपको इसका पैसा देना पड़ेगा. जिसका दाम प्रति लाइसेंस ₹5000 तय किया गया है.

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दलालों की दुकानों पर क्यों नहीं होती कार्रवाई?

आरटीओ विभाग के बाहर ही ऑनलाइन आवेदन के नाम पर 10 से 15 दुकान खुली है. इन सारी दुकानों पर लाइसेंस बनवाने गाड़ियों का नाम ट्रांसफर करने समेत अन्य काम ही किया जाता है, लेकिन रेट फिक्स है. बड़ा सवाल यही कि आखिर आरटीओ दफ्तर बिलासपुर से 10 किलोमीटर दूर लगरा गांव में है. फिर भी यह दुकान गांव के भीतर खुली हुई है. जो सीधे तौर पर यह बताती है कि उनका काम क्या है. अधिकारियों से जब इस बारे में सवाल पूछा जाए तो उनका कहना है कि बाहर की दुकानों से उनका कोई लेना-देना नहीं है यही कारण है कि पिछले 10 से 15 साल से यह दुकान यहां पनप रही है.

दलालों के लिए नहीं व्यवस्था बना रहे हैं

आरटीओ आनंद स्वरूप तिवारी का कहना है कि बिलासपुर में दलालों के चंगुल में लोग न फंसे इसके लिए नहीं व्यवस्था बनाई जा रही है. उन्होंने लाइसेंस की प्रक्रिया को ऑनलाइन करने और गाड़ी के नाम ट्रांसफर और बाकी बातों के लिए सीधे तौर पर दोनों पार्टियों को आरटीओ से मुलाकात करने के लिए पत्राचार किया है. उनका कहना है कि दलालों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वह आरटीओ दफ्तर के आसपास भी नहीं भटके.

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