‘मियाजाकी’, GI Tag वाले सुंदरजा या फिर ‘नूरजहां’… MP के इन तीन आमों की दुनिया है दीवानी

भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में साल 2022-23 में 21 मिलियन टन आम का उत्पादन हुआ.
Special mangoes of Madhya Pradesh (Photo- Social Media)

मध्य प्रदेश के खास आम (फोटो- सोशल मीडिया)

Three mangoes of MP: इंतजार का फल मीठा होता है ये कहावत दिन में एकाध बार सुन ही लेते हैं. शायद ये सच भी है कि इंतजार का फल मीठा होता है. तभी लोग गर्मियों के सीजन का बेसब्री से इंतजार करते हैं फलों के राजा आम के लिए. खट्टा-मीठा और रसीला आम सभी की पसंद है. नाम भले ही आम है लेकिन सबसे खास यही है जिसका सालभर इंतजार किया जाता है. पूरे भारत में आम की पैदावार होती है. जम्मू कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक और गुजरात से लेकर असम तक यानी आम की पैदावार के लिए भारत सबसे मुफीद जगह है.

भारत में 1500 किस्म के आम उगाए जाते हैं

भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में साल 2022-23 में 21 मिलियन टन आम का उत्पादन हुआ. भारत विश्व का 50 फीसदी से ज्यादा आम का उत्पादन करता है. पूरे भारत में 1500 किस्मों के आम उगाए जाते हैं. इनमें अल्फांसो, दशहरी, केसर, सफेदा, चौसा, बंगनपल्ली, हिमसागर जैसे आम हैं. लगभग हर एक राज्य का अपना एक आम है. महाराष्ट्र का अल्फांसो, कर्नाटक का बादाम, आंध्रप्रदेश का बंगनपल्ली, गुजरात का केसर, पश्चिम बंगाल का हिमसागर, उत्तरप्रदेश का दशहरी है. भारत में सबसे ज्यादा आम की पैदावार यूपी में होती है जो लगभग 30 फीसदी से ज्यादा है.

एमपी में 9 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा आम की पैदावार

भारत के 10 सबसे ज्यादा आम की पैदावार वाले राज्यों में से एक एमपी भी है. पूर्वी एमपी में पश्चिमी एमपी के मुकाबले आम की ज्यादा पैदावार होती है. रीवा, जबलपुर और शहडोल संभाग इसमें सबसे आगे हैं. एमपी में बादाम, दशहरी, अल्फांसो, बॉम्बे ग्रीन, सुंदरजा, नीलम, तोतापुरी, आम्रपाली, सिंदूरी और नूरजहां जैसे आम उगाए जाते हैं. आम के उत्पादन की बात करें तो साल 2016-17 में प्रति हेक्टेयर 13.03 मीट्रिक टन उत्पादन होता था जो 2023-24 में बढ़कर 14.66 मीट्रिक टन हो गया हो. साल 2016-17 में पूरे राज्य के 43,609 हेक्टेयर में आम उगाया जाता था, जो अब बढ़कर 64,216 हो गया. इसी दौरान आम का उत्पादन 5,04,895 मीट्रिक टन था जो अब बढ़कर 9,41, 352 मीट्रिक टन हो गया. एमपी में आम की पैदावार की बात करें तो तीन किस्म सबसे ज्यादा फेमस हैं. इनमें सुंदरजा, नूरजहां और मियाजाकी हैं.

एमपी का ‘सुंदरजा’ आम जिसे ‘जीआई’ टैग मिला है

रीवा जिले के गोविंदगढ़ में सुंदरजा आम की पैदावार की जाती है. इस आम को जीआई टैग मिला हुआ है. सुंदरजा की पैदावार रीवा के गोविंदगढ़ में की जाती है. इस आम में शुगर की मात्रा कम होने के कारण डायबिटीज के रोगी भी इसे खा सकते हैं. ये आम देखने में जितना सुंदर दिखता है उतना स्वाद में लाजवाब है. इसकी खुशबू बेमिसाल होती है. एमपी का एकमात्र आम है जिस पर साल 1968 में डाक टिकट जारी किया गया था.

सुंदरजा के एक आम का वजन 500 ग्राम तक होता है. इस आम में गुठली 12-14 फीसदी तक ही होती है बाकी आम का रसीला गूदेदार भाग होता है. ये आम स्वाद और महक में जितना अव्वल है उतना न्यूट्रिशनल वैल्यू में आगे है. इसमें विटामिन-ए, विटामिन-सी, आयरन, कैल्सियम भरपूर मात्रा में होता है. इस आम की एक और खासियत होती है कि इसमें रेशे की मात्रा बहुत कम होती है और इसे पकने के बाद 15 दिनों तक स्टोर करके रखा जा सकता है.

रीवा राजघराने के गुलाब सिंह और रघुराज सिंह ने सुंदरजा आम की पैदावार को बढ़ावा और संरक्षण दिया. इस आम के अलावा रीवा में 237 किस्मों के अलग-अलग आम उगाए जाते हैं. गोविंदगढ़ में मध्यप्रदेश सरकार ने आम अनुसंधान केंद्र की स्थापना की है. इस केंद्र में कई सौ हेक्टेयर में 2500 से ज्यादा आम के पेड़ हैं. सुंदरजा आम को ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ में शामिल किया गया है. इस आम की मांग फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका, जर्मनी, कनाडा और अरब देशों तक है.

आमों की मल्लिका ‘नूरजहां’

जैसे आम का राजा अल्फांसो को कहा जाता है वैसे ही आमों की मल्लिका नूरजहां आम को कहा जाता है. अलीराजपुर के कट्ठीवाड़ा में नूरजहां आम की पैदावार की जाती है. इस आम की मिठास और महक देश से लेकर विदेश तक है. नूरजहां आम के एक फल का वजन 500 ग्राम से लेकर 2.5 किलो तक होता है. गुठली का वजन 200 ग्राम तक होता है. साल 2023 में एक आम वजन 3.8 किलो तक नापा गया था.

नूरजहां आम के लोग कितने दिवाने है ये इस बात से जाहिर होता है कि पेड़ पर फल लगने से पहले ही आम की बुकिंग हो जाती है. बेमिसाल स्वाद वाले इस आम की कीमत आम जनता की जेब पर भारी पड़ती है. इस आम के एक फल की कीमत 500 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक होती है. इस फल के महंगे होने की सबसे बड़ी वजह इसके पेड़ों की संख्या का कम होना है. सरकारी सूत्रों के अनुसार इस आम के पेड़ों की संख्या केवल 10 रह गई है. जिनसे 350 से लेकर 400 आम की पैदावार की जाती है.

इस आम के इतिहास की बात करें तो ऐसे कहा जाता है कि पहले इस आम की पैदावार अफगानिस्तान में की जाती थी. अफगानिस्तान से ये आम एमपी तक आया. ऐसा माना जाता है कि मुगलकाल में इस आम को नूरजहां नाम दिया गया जो मुगल राजा जहांगीर की पत्नी थी.

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मियाजाकी: दुनिया का सबसे महंगा आम

दुनिया का सबसे महंगा आम मियाजाकी है. एक आम की कीमत 2.70 लाख तक होती है. एमपी के जबलपुर में इस आम की पैदावार की जाती है. इस आम के एक फल का वजन 250 ग्राम से लेकर 900 ग्राम तक होता है. मियाजाकी, आम में भी खास है क्योंकि पेड़ पर फल लगने के पहले ही बुकिंग हो जाती है.

मियाजाकी आम मूल रूप से जापान के मियाजाकी नाम की जगह से है. यहां ये आम गर्मी और सर्दियों के मौसम में होता है. जापान से ही ये आम भारत और दुनिया के दूसरे देशों में पहुंचा. इस आम का रंग लाल और पीला होता है जो देखने में बहुत सुंदर लगता है. जबलपुर के हिनौता गांव में इस आम को उगाया जाता है. इसे कड़ी सुरक्षा निगरानी में रखा जाता है. सीसीटीवी कैमरा, सिक्योरिटी गार्ड और कुत्तों की निगरानी में उगाया जाता है. इस आम की पैदावार साल 1984 से की जा रही है.

इस आम की खासियत ये है कि इसकी पैदावार एक निश्चित मौसम की परिस्थितियों में होती है. सूरज की रोशनी की जरुरत होती है. इसे उगाने और अच्छे से पकाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. एक-एक फल को जाली में लपेटा जाता है ताकि सूरज की रोशनी भरपूर मिल सके. पेड़ के नीचे जाल लगाया जाता है जिससे आम खुद ही पेड़ से जाल पर गिर जाता है. आम को तोड़ा नहीं जाता.

इस आम की क्वालिटी और न्यूट्रिशनल वैल्यू की बात की जाए तो इस आम में दूसरे आम के मुकाबले 15 फीसदी तक कम शुगर लेवल होता है. इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सीडेंट, बीटा-कैरोटीन और फॉलिक एसिड भी भरपूर मात्रा में होता है. मियाजाकी आम के आकार और रंग की वजह से इसे ‘एग्स ऑफ सन’ कहा जाता है. एमपी से इस आम का निर्यात बांग्लादेश, कुवैत, ओमान, बहरीन और यूके में किया जाता है.

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