MP News: बिजली-पानी के लिए संघर्ष के बीच बनी IAS, डांस से दूर करती हैं तनाव, ये हैं प्रदेश की पहली आदिवासी आईएएस
MP News: इंदौर में सरकारी स्कूल और सरकारी कॉलेज से पढ़ाई कर खरगोन के झिरनिया तहसील के ग्राम बोंदरानियां की रहने वाली मनीषा धार्वे मप्र की पहली आदिवासी युवती है जो सीधे आईएएस तक पहुंची है. आठवी कक्षा तक अपने गांव के शासकीय स्कूल में पढ़ाई करने के बाद खरगोन के उत्कृष्ट स्कूल से बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद इंदौर के शासकीय होलकर कॉलेज से ग्रेजुएशन कर यूपीएससी की तैयारी कर चौथे अटेम्प्ट में आईएएस चुनी गई मनीषा के संघर्ष की कहानी भी बेहद चुनौतीपूर्ण है. आईएएस की तैयारी करने के लिए अपने माता पिता को मनाने में ही मनीषा को एक साल लग गया था. जबकि उसके माता पिता दोनो शासकीय शिक्षक है. वे चाहते थे कि एमपीपीएससी की तैयारी करे, लेकिन मनीषा आईएएस बनने की ठान चुकी थी. इसके लिए दिल्ली जाकर पढ़ाई शुरू की तो बीच में ही कॉविड की वजह से लॉकडाउन लग गया, सब कुछ बंद हो गया तो वह वापस अपने गांव लौट गई, यहां से तैयारी कर मनीषा ने फर्स्ट अटेम्प्ट दिया तो डेढ़ सवाल से सिलेक्शन चूक गई, अपने ही घर से दूसरी बार तैयारी कर परीक्षा देने पर आधे सवाल।से चूक गई, बिजली और पानी के संघर्ष के बीच तीसरे अटेम्प्ट में मनीषा डेढ़ नंबर से चयन होने से चूक गई. इसके बाद एक बार फिर वह दिल्ली पहुंची और लगन के साथ तैयारी की तो चौथे अटेम्प्ट में उसका चयन हो गया और वह एमपी की पहली आदिवासी युवती बन गई जो सीधे आईएएस चयनित हुई है.
अलग अलग टारगेट बनाकर हासिल किया मुकाम
मनीषा ने यह मुकाम अलग अलग टारगेट बनाकर हासिल किया है. उसका हर दिन, हर सप्ताह और हर महीने का पढ़ाई का टारगेट होता था, इन सभी टारगेट को हासिल करते हुए मनीषा ने आखिर वह मुकाम हासिल कर लिया जो उसने मन में ठाना था. इसके लिए उसे हर दिन दस से बारह घंटे पढ़ाई करना होती थी और एग्जाम नजदीक आने पर पढ़ाई का समय और अधिक बढ़ाना पड़ जाता था.
कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती
जो लोग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है, उनके लिए मनीषा ने संदेश दिया है कि कोशिश जारी रखे, सफलता जरूर मिलेगी। यदि प्रयास सही नही बैठ रहा है तो तरीका बदलकर देखे, लेकिन हिम्मत नही हारे, डिप्रेस ना हो. कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती.
भगोरिया से करती है तनाव दूर
अपना तनाव दूर करने के लिए मनीषा अपनी हॉबी पर काम करती है. आदिवासी डांस भगोरिया कर, गाने सुनकर अपना तनाव दूर करती है और कभी कभी अपने दोस्तो के साथ फिल्म भी देख लेती है. हालांकि अपनी हॉबी के लिए मनीषा बहुत ही कम समय निकाल पाती थी.
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सरकार की सुविधाओ का लाभ ले आदिवासी युवतियां
आदिवासी युवतियों की पढ़ाई नही होने और जल्दी शादी होने की बात पर मनीषा ने कहा कि आठवी कक्षा में पढ़ाई के समय वे क्लास में 16 लड़किया थी, लेकिन ग्रेजुएशन तक सिर्फ दो ही पहुंच सकी, उनमें से अधिकतर की नाबालिग उम्र में ही शादी हो गई. इन लड़कियों को मनीषा ने संदेश दिया है कि सरकार की आदिवासी युवतियों के लिए कई सारी स्कीम है, इनका फायदा लेकर पढ़ाई करे और आगे बढ़े.
शिक्षा पर रहेगा सबसे अधिक फोकस
आईएएस बनने के बाद मनीषा कलेक्टर और अलग अलग बड़े पदों पर पदस्थ रहेगी, लेकिन इन सब में मनीषा की सबसे बड़ी प्राथमिकता लड़कियों की शिक्षा पर ही रहेगी. शिक्षा के शासकीय सिस्टम को वह और बेहतर करने का प्रयास करेगी.
मंत्री ने किया सम्मान
शुक्रवार को इंदौर के रेसीडेंसी कोठी पर आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने मनीषा धुर्वा का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया. साथ ही अगले महीने आईएएस ट्रेनिंग पर मसूरी जाने की तैयारी करने के लिए मनीषा की आर्थिक सहायता भी की.