Chhattisgarh: पेंड्रा गौरेला के 20 से अधिक स्कूलों में कहीं टॉयलेट जर्जर तो कहीं बाथरूम ही नहीं, फिर भी अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

Chhattisgarh News: बिलासपुर जिले से अलग होकर गौरेला पेंड्रा मरवाही को जिला बने 4 साल से अधिक का समय हो गया है, गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को तो चमकाया जा रहा है, तो इधर हिंदी माध्यम के पुराने स्कूलों की स्थिति बेहद खराब है.
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शौचालय की तस्वीर

Chhattisgarh News: बिलासपुर जिले से अलग होकर गौरेला पेंड्रा मरवाही को जिला बने 4 साल से अधिक का समय हो गया है, गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को तो चमकाया जा रहा है, तो इधर हिंदी माध्यम के पुराने स्कूलों की स्थिति बेहद खराब है. स्कूलों में कहीं टॉयलेट जर्जर हो गए हैं, तो कहीं है ही नहीं. कहीं शौचालयों में कबाड़ रखा है तो कहीं हर जगह गंदगी पसरी हुई है. मिली जानकारी के मुताबिक जिले के अधिकांश स्कूलों में टॉयलेट जर्जर हो चुके हैं. इसके अलावा कई स्कूलों में तो बॉउंड्रीवाल भी नहीं है.

स्कूलों में टॉयलेट जर्जर होने के कारण विद्यार्थियों व स्कूल स्टाफ को अक्सर परेशान होना पड़ रहा है। जब भी उन्हें टॉयलेट जाना होता है, तो स्कूल से भागते या तो नदी-तालाब की ओर भागते हैं या फिर घर जाना पड़ता है. इससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है. दूसरी ओर जर्जर टॉयलेट कब धराशायी हो जाए इस बात की भी चिंता बनी रहती है. ऐसे स्कूलों में व्यवस्था सुधारने शिक्षा विभाग सालभर से दावा कर रहा है, पर अब तक न तो जर्जर टॉयलेट का ज़ीर्णोद्धार किया गया और न ही नए टॉयलेट बनाए गए. प्रभावित स्कूलों के शिक्षक शिक्षिकाओं ने बताया कि कई बार प्रस्ताव बनाकर टॉयलेट बनवाने की मांग की गई है, लेकिन अब तक न ही नया टॉयलेट बना है और न ही जर्जर टॉयलेट की मरम्मत कराई गई है.

शिक्षिकाओं व छात्राओं को सबसे ज्यादा परेशानी

टॉयलेट न होने से महिला शिक्षकों व छात्राओं को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। कई छात्राओं ने बताया कि टॉयलेट जर्जर होने के कारण उनको बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्कूल की शिक्षिकाओं ने बताया कि विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए आते हैं, लेकिन उन्हें प्रसाधन की चिंता बनी रहती है. छात्राओं को भी काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा ने बताया कि स्कूल की प्रिंसिपल ने अपने लिए अलग से बाथरूम बनवाया हुआ है, जिसमें उन्होंने ताला लगा के रखा है, उनका बाथरूम तो हमेशा साफ सुथरा रहता है, लेकिन छात्राओं के बाथरूम की ओर कोई ध्यान नहीं देता. टॉयलेट जर्ज़र होने के कारण हमको पढ़ाई छोड़कर घर जाना पड़ता है.

10 करोड़ रूपये हुए थे जारी

वैसे तो सरकार द्वारा हर साल स्कूलों की मरम्मत के लिए करोड़ों रूपयों की राशि जारी की जाती है, जिसका उपयोग स्कूलों की मरम्मत के अलावा स्कूलों के टॉयलेट का भी मेंटेनेन्स कराने के लिये होता है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के स्कूलों के मरम्मत के लिए मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत करीब 10 करोड रुपए की राशि जारी हुई थी, बावजूद इसके कई स्कूलों में स्कूल भवन और शौचालय की स्थिति बेहद ख़राब है.

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इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी जगदीश शास्त्री से बात करने पर उन्होंने कहा कि जिले के जर्जर स्कूल भवन और शौचालयों को डिसमेन्टल करने की प्रक्रिया चल रही है, इसके लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है, जर्जर शौचालयों को डिस्मेंटल करने के बाद उसके स्थान पर नया शौचालय बनाने के लिए जब तक कोई ग्रांट नहीं आ जाता, तब तक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पुराने शौचालयों को रिपेयर कर उपयोग के लायक बनाने के लिए काम कर रहे हैं.

गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के स्कूलों की जानकारी

गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में कुल सरकारी स्कूलों की संख्या- 862 है.
प्राथमिक स्कूल – 545
माध्यमिक स्कूल- 234
हाई स्कूल – 33
हायर सेकेंडरी स्कूल – 34
अनुदानित स्कूल – 10
सीएम डीएव्ही – 03
केजीवीबी( कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय ) – 03

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