MP News: आगरा के ताजमहल में दफन मुमताज की बहू के मकबरे पर जबलपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, ASI के पक्ष में दिया निर्णय
MP News: बुरहानपुर जिले में स्थित ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व की तीन धरोहर जो कि गजट नोटिफिकेशन में वक्फ की संपत्ति के रूप दर्ज हो गई थी. इसको लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने इन संपत्तियों को वक्फ की संपत्तियां नहीं माना और एएसआई के पक्ष में फैसला दिया बुरहानपुर में पुरातत्वविदो ने इस फैसले का स्वागत किया है जबकि जिला वक्फ बोर्ड फैसले का अध्ययन कर कानूनी सलाहकारों से सलाह लेकर जरूरत पड़ी तो इस फैसले को चुनौती देने हाईकोर्ट की डबल बैंच में जाने की बात कह रहा है.
जबलपुर हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका
एमपी का ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर जहां 200 से अधिक ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व की छोटी बडी इमारते है इन में तीन ऐतिहासिक इमारतें बेगम शाह शुजा का मकबरा, आदिल शाह नादिर शाह फारूकी का मकबरा और बीबी की मस्जिद को वक्फ बोर्ड ने गजट नोटिफिकेशन के अपनी संपत्ति के रूप दर्ज कराई. जिसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई ने इसे चुनौती देते हुए जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की कोर्ट ने कहा प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत आने वाली संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड कैसे अपना हक जता सकता है.
गौरतलब है वक्फ बोर्ड इन तीनों संपत्तियों को गजट नोटिफिकेशन जारी कर अपनी संपत्ति बताई थी. इसके खिलाफ एएसआई ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की कोर्ट ने एएसआई के पक्ष में फैसला देते हुए इन तीनों संपत्तियों से वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया है.
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पुरातत्वविदों ने फैसले का किया स्वागत
हाईकोर्ट के इस फैसले के शहर के पुरातत्वविदों ने स्वागत किया है उनका तर्क है पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व की जो संपत्ति वक्फ बोर्ड के अधीन होती है. उनका मूल स्वरूप बदल दिया जाता है जबकि एएसआई इन संपत्तियों के मूल स्वरूप को बनाए रखता है उन्होने एएसआई से सभी संपत्तियों को संरक्षण व संवर्धन करने की अपील भी की है.
उधर इस फैसले के आने के बाद बुरहानपुर में वक्फ संपत्ती और पुरातत्व विभाग की संपत्तियों को लेकर एक बार फिर नए सिरे बहस छिड गई है. जिला वक्फ बोर्ड ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा हाईकोर्ट के फैसले का बारीकी से अध्यन किया जाएगा कानून विदों से सलाह ली जाएगी और जरूरत पडी तो इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट की डबल बैंच में अपील की जाएंगी.